सरकार ने एक सर्वे किया है जिसमें पता चला है कि अधिकतर बच्चे पढ़ाई के बजाय मनोरंजन के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. ये सर्वे 21 राज्यों के ग्रामीण समुदायों में 6-16 आयु वर्ग के स्कूली बच्चों के 6,229 माता-पिता को लेकर किया गया.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने 8 अगस्त को नई दिल्ली में ग्रामीण भारत में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति रिपोर्ट लॉन्च की. यह रिपोर्ट डेवलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट (DIU)द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित थी, जो ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया और संबोधि रिसर्च एंड कम्युनिकेशंस (Transform Rural India and Sambodhi Research and Communications)के बीच एक सहयोग है.
सर्वे में क्या आया सामने?
सर्वे से पता चला कि ग्रामीण भारत में 49.3% छात्रों के पास स्मार्टफोन तक पहुंच है. हालांकि, जिन माता-पिता के बच्चों के पास गैजेट्स तक पहुंच है, उनमें से 76.7% ने कहा कि उनके बच्चे मुख्य रूप से वीडियो गेम खेलने के लिए मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं.
सर्वे में कहा गया है कि गैजेट तक पहुंच रखने वाले छात्रों में से 56.6% ने डिवाइस का उपयोग फिल्में डाउनलोड करने और देखने के लिए किया, जबकि 47.3% ने उनका उपयोग संगीत डाउनलोड करने और सुनने के लिए किया. केवल 34% बच्चों ने पढ़ाई-लिखाई से संबंधित कोई चीज डाउनलोड के लिए गैजेट का उपयोग किया. जबकि 18% बच्चे ट्यूटोरियल के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षण का उपयोग करते हैं. सर्वेक्षण में 6,229 अभिभावकों की प्रतिक्रियाएं शामिल थीं, जिनमें से 6,135 के स्कूल जाने वाले छात्र थे, 56 के ऐसे बच्चे थे जिन्होंने स्कूल छोड़ दिया था, और 38 ऐसे बच्चे थे जिन्होंने कभी स्कूल में दाखिला नहीं लिया था.
घर पर सीखने का कितना माहौल?
सर्वे में यह भी पता चला कि लड़कियों के कम से कम 78% माता-पिता और लड़कों के 82% माता-पिता अपने बच्चों को स्नातक या उससे ऊपर के स्तर तक पढ़ाना चाहते थे. आठवीं कक्षा और उससे ऊपर के छात्रों के पास स्मार्टफोन तक अधिक पहुंच थी (58.32%), जबकि कक्षा एक से लेकर तीन तक के 42.1 प्रतिशत छात्रों के पास भी स्मार्टफोन तक पहुंच थी. घर पर सीखने के माहौल पर सवालों से पता चला कि 40% माता-पिता ने कहा कि पाठ्यपुस्तकों के अलावा, उम्र के अनुरूप पढ़ने की सामग्री घर पर उपलब्ध है.
लड़कियों को क्यों छोड़ना पड़ता स्कूल
सर्वे से पता चला कि केवल 40% माता-पिता अपने बच्चों के साथ हर दिन स्कूल में सीखने के बारे में बातचीत करते हैं, जबकि 32% अपने बच्चों के साथ सप्ताह में कुछ दिन ऐसी बातचीत करते हैं. सर्वे में 56 उत्तरदाताओं के एक उपसमूह से बच्चों के स्कूल छोड़ने के कारणों को भी जानने की कोशिश की गई. पढ़ाई छोड़ने वाली लड़कियों के 36.8% माता-पिता ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उन्हें परिवार की कमाई में मदद करने की जरूरत थी. इसके अतिरिक्त, 31.6% माता-पिता ने अपने बच्चे की पढ़ाई में रुचि की कमी का उल्लेख किया, जबकि 21.1% का मानना था कि उनकी बेटियों को घर के कामकाज और घर पर भाई-बहनों की देखभाल करनी पड़ती है.
सर्वेक्षण के अनुसार, लड़कों के लिए स्कूल छोड़ने का मुख्य कारण पढ़ाई में बच्चे की रुचि की कमी थी. 71.8% उत्तरदाताओं ने यही कारण बताया, जबकि अन्य 48.7% ने कहा कि लड़कों को परिवार की कमाई में मदद करने की आवश्यकता थी. माता-पिता की भागीदारी पर, सर्वेक्षण से पता चला कि 84% माता-पिता ने कहा कि वे नियमित रूप से स्कूल में पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में भाग लेते हैं. माता-पिता का मीटिंग्स में भाग न लेने के शीर्ष दो कारण शॉर्ट नोटिस और इच्छा की कमी था.