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FYUP Draft Rules: 4 साल की अंडर ग्रेजुएट डिग्री के बाद सीधे PhD में ले सकेंगे एडमिशन, लाखों छात्रों को सीधे पहुंचेगा फायदा 

कुछ दिन पहले यूजीसी ने छात्रों के हित में फैसला लिया था. इसमें कहा गया था कि वो लोग जो सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में पढ़ाना चाहते हैं उनके लिए पीएचडी की डिग्री जरूरी नहीं होगी. वे बगैर इस डिग्री के भी यूनिवर्सिटीज में प्रोफेसर बन सकेंगे, बस इसके लिए उन्हें उस फील्ड का या उस विषय का एक्सपर्ट होना जरूरी होगा.

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हाइलाइट्स
  • छात्र करेंगे सीधे पीएचडी प्रोग्राम ज्वाइन 

  • एक संस्थान से निकलकर दूसरे में आसानी से जा सकेंगे

पिछले कुछ साल से शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने पर खूब जो दिया जा रहा है. इसी कड़ी में पीएचडी के नियमों में भी बदलाव लाने की तैयारी चल रही है. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) चार साल में पूरे किये जाने वाले कोर्स के साथ-साथ पीएचडी के नए नियमों के तो लेकर नोटिफिकेशन जारी करने वाली है. हायर स्टडीज की इच्छा रखने वाले लाखो छात्रों पर इसका सीधे असर पड़ने वाला है. यूजीसी के मुताबिक, 10 मार्च को हुई मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि रिसर्च के साथ चार साल का कोर्स पूरा करने वाले छात्र अब सीधे पीएचडी प्रोग्राम में एडमिशन ले पाएंगे. 

छात्र करेंगे सीधे पीएचडी प्रोग्राम ज्वाइन 

दरअसल, द टाइम्स ऑफ इंडिया के हाथ चार साल वाले अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के नियमों की कॉपी लगी जिसमें इससे जुड़े कई नियमों के बारे में पता चला है. ये प्रोग्राम 160 क्रेडिट का होगा जो मौजूदा तीन साल वाले अंडर ग्रेजुएट लेवल के मौजूदा चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम की जगह शुरू होगा. छात्रों को इस 4 साल के डिग्री प्रोग्राम के बाद सीधे पीएचडी प्रोग्राम ज्वाइन करने का मौका मिल सकेगा.

NET/JRF में 60% तक का रिजर्वेशन 

बता दें, यूजीसी के इस फैसले का असर देश के लाखों छात्रों पर सीधे पड़ेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, 7.5 के न्यूनतम सीजीपीए के साथ चार साल के अंडर ग्रेजुएशन डिग्री होल्डर पीएचडी प्रोग्रामों में सीधे एडमिशन ले सकेंगे. इसके अलावा, यूजीसी ने रेगुलेशन एक्ट 2016 में संशोधन के अपने नए ड्राफ्ट में नेट (NET) और जूनियर रिसर्च फेलोशिप (JRF) की सीटों में से 60%  पर रिजर्वेशन देने का भी प्रस्ताव दिया है.

प्रोफेसर बनने के लिए पीएचडी जरूरी नहीं 

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले यूजीसी ने छात्रों के हित में फैसला लिया था. इसमें कहा गया था कि वो लोग जो सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में पढ़ाना चाहते हैं उनके लिए पीएचडी की डिग्री जरूरी नहीं होगी. वे बगैर इस डिग्री के भी यूनिवर्सिटीज में प्रोफेसर बन सकेंगे, बस इसके लिए उन्हें उस फील्ड का या उस विषय का एक्सपर्ट होना जरूरी होगा.   

एक संस्थान से निकलकर दूसरे में आसानी से जा सकेंगे

इसके साथ इस न्यू एजुकेशन पॉलिसी में छात्र आगे चाहेंगे तो कोर्स के बीच में ही एक संस्थान से दूसरे संस्थान में जा सकेंगे. उनके पास वहां एडमिशन लेने का ऑप्शन रहेगा. इसके अलावा अगर वे चाहेंगे तो आराम से अपनी पढ़ाई का तरीका भी बदल सकेंगे. और अगर किसी छात्र को रोज क्लास लेने में किसी भी तरह की कोई परेशानी हो रही है तो वो इसका मोड बदलकर ऑनलाइन क्लास या हाइब्रिड क्लास कर सकेगा.