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छात्रों को पढ़ाई जाएगी शहीदों-सुधारकों की अमर गाथाएं, 100 दिन के एक्शन प्लान का हिस्सा बनेंगी देश प्रेम और राष्ट्रवाद की कहानियां     

इन दिनों देश में स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. महोत्सव मनाने के दौरान ये बात सामने आई कि क्षेत्रीय स्तर पर ऐसे कई अमर बलिदानी, स्वतंत्रता सेनानी और सुधारक हैं जिनके योगदान को कभी मुख्यधारा में शामिल नहीं किया जा सका. अब इन सभी को छात्रों के सिलेबस में शामिल किया जाएगा.

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हाइलाइट्स
  • आजादी के अमृत महोत्सव में सामने आईं ऐसे बलिदानी सुधारकों की कहानी 

  • 100 दिन के एजेंडे में कार्य शुरू करने का लक्ष्य 

देश की आजादी के लिए योगदान देने वाले अमर बलिदानी हों या समाज को नई राह दिखाने वाले समाज सुधारक, बहुत से ऐसे नाम हैं जिनकी प्रेरक गाथाएं लोग कम जानते हैं. जिनके योगदान को बड़े स्तर पर दस्तावेज में शामिल नहीं किया गया है. ऐसे लोगों की उन प्रेरक कहानियों और राष्ट्र के प्रति योगदान को अब उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा. शिक्षा का स्तर बढ़ाने के साथ ही राष्ट्रवाद और आजादी के इतिहास की स्वर्णिम बातों को अब छात्रों को पढ़ाया जाएगा. 

100 दिन के एजेंडे में कार्य शुरू करने का लक्ष्य 

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों को 100 दिन की कार्ययोजना (action plan) तैयार करने के निर्देश दिए हैं, अब इसके बाद शहीदों की गाथाओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने की तैयारी शुरू हो गई है. उच्च शिक्षा विभाग इसका ड्राफ्ट तैयार कर रहा है कि किस तरह उन लोगों के योगदान को छात्रों को बताया जाए. ये वो लोग होंगे जिनके योगदान को पहले बड़े स्तर पर किसी पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया जा सका है. इसकी कार्ययोजना को मुख्यमंत्री के सामने पेश किया जाएगा. 12 अप्रैल से रोजाना होने वाले विभागवार प्रेज़ेंटेशन में भी इसको रखा जाएगा.   

आजादी के अमृत महोत्सव में सामने आईं ऐसे बलिदानी सुधारकों की कहानी 

दरअसल, सरकार इन दिनों स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रही है. महोत्सव मनाने के दौरान ये बात सामने आई कि क्षेत्रीय स्तर पर ऐसे कई अमर बलिदानी, स्वतंत्रता सेनानी और घटनाएं सुधारक हैं जिनके योगदान को कभी मुख्यधारा में शामिल नहीं किया जा सका. ऐसे कई लोगों का ज़िक्र खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ ने समय-समय कर किया है. 

पीएम मोदी और सीएम योगी इस बात पर सवाल उठाते रहे हैं कि आजादी के इतिहास में कुछ घटनाएं सिर्फ क्षेत्र विशेष तक ही सीमित रह गए और कई बलिदानियों और सुधारकों के योगदान की व्यापक रूप में चर्चा नहीं हो पाई. ऐसे में युवाओं को इसकी जानकारी नहीं है. ऐसे में अमृत महोत्सव के दौरान इन विभूतियों का योगदान सामने आया तो उसको स्थाई पहचान देने और बड़े फलक कर चर्चा करने के लिए इसे को पढ़ाने की योजना है. 

दस्तावेज संकलन के लिए होगा काम 

हालांकि, इसमें व्यावहारिक रूप से भी कई चुनौतियों हैं. उसमें सबसे बड़ी बात दस्तावेजों का संकलन कर सही बातों को लिखित रूप में लाने का काम है. कौन-कौन सी घटनाएं और शख्सियतों को शामिल किया जाएगा इसके लिए विश्वविद्यालयों को भी अपने स्तर से शुरुआती जानकारी और दस्तावेज इकट्ठा करने के लिए कहा जाएगा. सभी संदर्भों को उच्च शिक्षा विभाग संकलित कराएगा. उसके बाद सभी जरूरी बातों का ध्यान रखते हुए उनको ड्राफ्ट का रूप दिया जाएगा, फिर उच्च विभाग की देख-रेख में इसको पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा.

आपको बता दें, संस्कृति विभाग भी अलग से इस तरह की घटनाओं, समाज सुधारकों और बलिदानियों के के जीवन से जुड़ी बातों का संकलन कर रहा है. उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी का कहना है, “योगी सरकार ने पिछले कार्यकाल में भी शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए काम किया है. इस बार भी हमारा ये लक्ष्य है. साथ ही संकल्प पत्र में लिए गए संकल्पों को भी हकीकत में बदलना जरूरी है. हम चाहते हैं कि राष्ट्रप्रेम भी छात्रों में हो. इसके लिए कोशिश की जाएगी.”