एक समय था जब आम लोगों के मन में खाकी वर्दी के प्रति सम्मान से ज्यादा डर बैठा हुआ था. लोग पुलिस के पास अपनी शिकायत लेकर जाने में भी घबराते थे. लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं. पुलिस की छवि दिन-प्रतिदिन सुधर रही है और लोगों के मन में भी डर की जगह सम्मान और संवेदना ने ले ली है.
इस बदलाव का कारण है पुलिस फाॅर्स के जवान और उनके चलाये जागरूकता अभियान. कई मौकों पर देश के पुलिस अफसरों ने अपनी ड्यूटी से बढ़कर लोगों की मदद की है और नागरिकों के साथ एक ट्रांसपेरेंट रिश्ता बनाने की कोशिश की है.
आज ऐसे ही एक और पुलिस अफसर के बारे में हम आपको बता रहे हैं. जो न सिर्फ पुलिस की नौकरी ईमानदारी से कर रहे हैं बल्कि जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा में सहायक बनकर समाज की भलाई भी कर रहे हैं.
पुलिस थाने में शुरू हुआ अध्ययन केंद्र-सह-पुस्तकालय:
मध्य प्रदेश में एक अनूठी पहल के तहत एक दूरदराज के गांव ब्रजपुर में पुलिस थाने के परिसर में एक अध्ययन केंद्र-सह-पुस्तकालय शुरू किया गया है. जिसका उद्देश्य वंचित बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करना है. यह पहल की है शिक्षक से पुलिसकर्मी बने सब-इंस्पेक्टर बखत सिंह (41) ने.
हर सुबह अपनी पुलिस की वर्दी पहनने से पहले सब-इंस्पेक्टर बखत सिंह एक शिक्षक की भूमिका अदा करते हैं. वह कक्षा 4 से ऊपर की कक्षाओं में पढ़ रहे बच्चों और विभिन्न प्रतियोगी और सिविल सेवा परीक्षाओं में बैठने की इच्छा रखने वालों छात्रों के लिए क्लास लगाते हैं.
वह बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं. बच्चों के लिए सभी जरूरत की किताबें पुलिस स्टेशन में स्थापित पुस्तकालय में रखी गई हैं.
बेझिझक पढ़ने आते हैं बच्चे:
पन्ना जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर स्थित इस गांव में अशिक्षा और गरीबी को देखकर सिंह ने 'विद्यादान' पहल शुरू की. इस क्षेत्र में मुख्य रूप से दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े तबके के लोग रहते हैं और ज्यादातर लोग खदानों में मजदूर के रूप में काम करते हैं.
सिंह ने कुछ साल पहले तक बतौर शिक्षक काम किया था. उनका कहना है कि शुरू से ही उनके उद्देश्य अपराधियों में पुलिस का डर पैदा करना और आम नागरिकों में पुलिस के प्रति विश्वास को बढ़ाना रहा है. वह पुलिस की सकारात्मक छवि बनाना चाहते हैं. उनका दृढ़ विश्वास है कि साक्षरता और अच्छी नैतिक शिक्षा समाज में अपराध पर अंकुश लगा सकती है.
सिविल सेवा के 15 वर्षीय उम्मीदवार आदर्श दीक्षित का कहना है कि वह शुरू में पुलिस स्टेशन में आने से डरते थे, लेकिन अब वह बेझिझक आकर पढ़ते हैं और कोई परेशानी होने पर सिंह से परामर्श लेते हैं. बच्चों को सिंह का शिक्षण कौशल पसंद है और बहुत से बच्चे उनसे प्रेरित होकर आज पुलिस में शामिल होना चाहते हैं.