नीट में गड़बड़ी से जुड़े मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में चौथी और अंतिम सुनवाई हुई. देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने नीट पर फाइनल फैसला सुना दिया. कोर्ट ने साफ किया है कि नीट की परीक्षा दोबारा आयोजित नहीं कराई जाएगी. यानी रीनीट की कोई गुंजाइश नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि परीक्षा की पवित्रता का उल्लंघन किया गया था.
कोर्ट ने क्या कहा ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आगे दागी स्टूडेंट्स और बेदाग स्टूडेंट्स की पहचान की जा सकती है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर जांच के दौरान दागियों की पहचान होती है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. और अगर कोई छात्र इस फ्रॉड में शामिल पाया जाता है तो उसे एडमिशन नहीं मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया है कि नीट की परीक्षा में पेपर लीक की घटना हुई है और इस पर कोई विवाद नहीं है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच कर रही है और उनकी जानकारी के मुताबिक करीब 155 स्टूडेंट्स को हजारीबाग और पटना के एग्जाम सेंटर्स से पकड़ा गया जिन्हें इस फर्जीवाड़े का फायदा मिला है.
दोबारा परीक्षा से इनकार
इससे पहले याचिकाकर्ताओं के वकील ने परीक्षा में धांधली की शिकायत करते सुप्रीम कोर्ट से नीट परीक्षा रद्द करने की मांग की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 24 लाख बच्चों के भविष्य से जुड़ा मामला बताते हुए दोबारा परीक्षा कराने से इनकार कर दिया. इस फैसले के बाद करीब 24 लाख बच्चों के भविष्य पर मंडरा रहे असमंजस के बादल छंट गये हैं और अब उम्मीद है कि जल्दी नीट परीक्षा में सफल हुए स्टूडेंट्स के लिए मेडिकल कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो सकेगा.
काउंसलिंग कब से शुरू ?
नीट परीक्षा पर उठे विवाद की वजह से परीक्षा परिणाम प्रकाशित होने के करीब डेढ़ महीने के बाद भी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन की काउंसलिंग शुरू नहीं हो सकी थी. लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि नीट की परीक्षा दोबारा नहीं होगी. ऐसे में जल्द ही मेडिकल कॉलेज की सीटों को लेकर काउंसलिंग शुरू हो सकती है.
पूरा मामला जान लीजिए
5 मई को NEET UG की परीक्षा आयोजित की गई थी. 4 जून को रिजल्ट आया. परीक्षा में 67 बच्चे टॉपर बने थे और सभी के एक समान 720-720 अंक आए थे. इसके बाद पेपर लीक की बातें सामने आई. छात्रों ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया और देशभर में बवाल मचा. बच्चों ने परीक्षा रद्द करने की मांग की. 40 से अधिक याचिका डाली गई. इसके बाद सभी याचिकाओं को सुनने के लिए 8, 11 और 19 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. आज यानी 22 जुलाई को अंतिम सुनवाई हुई.जिसके बाद कोर्ट ने अपना अंतिम फैसला सुना दिया.