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NMMS Result : तमिलनाडु में पोलियो पीड़ित बच्चे ने NMMS मेरिट लिस्ट में मारी बाजी, अब NEET है अगला टारगेट

एस गोकुलकृष्णन पांच साल की उम्र से ही व्हीलचेयर का इस्तेमाल करते हैं लेकिन, इसके बाद भी इस बच्चे ने कभी हार नहीं मानी. उनका कहना है कि वह अपने शरीर के बारे में कभी भी बुरा नहीं सोचते हैं. वह अपने सभी दोस्तों की तरह ही खुश हैं.

एस गोकुलकृष्णन. एस गोकुलकृष्णन.
हाइलाइट्स
  • पांच साल से ही पोलियोमाइलाइटिस से पीड़ित है गोकुलकृष्णन

शारीरिक चुनौतियां किसी के सपनों की उड़ान को नहीं रोक सकती हैं. इसके कई उदाहरण आज आपको देश भर में देखने को मिलेंगे. एक उदाहरण अब तमिलनाडु का यह 14 साल का बच्चा भी बन गया है. इस 14 वर्षीय लड़के ने विल्लुपुरम में नेशनल मीन-कम-मेरिट स्कोर (NMMS)एग्जाम में पहला स्थान हासिल किया है. इस नन्हे बच्चे का नाम एस गोकुलकृष्णन है, जो कि पांच साल से ही पोलियोमाइलाइटिस से पीड़ित थे. 

एस गोकुलकृष्णन पांच साल की उम्र से ही व्हीलचेयर का इस्तेमाल करते हैं लेकिन, इसके बाद भी इस बच्चे ने कभी हार नहीं मानी. गोकुलकृष्णन की मां एस अमुधा ने 'द न्यू इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि उनके दो बेटे हैं. दोनों ही पोलियो से प्रभावित हैं. गोकुलकृष्णन सबसे छोटा है और हमेशा से पढ़ाई में आगे रहा है. वह बीमार होने के बाद भी कभी क्लास मिस नहीं करता है. 

गोकुलकृष्णन 3-4 सालों से कर रहे थे NMMS की तैयारी 

गोकुलकृष्णन अभी कक्षा 9वीं में पढ़ते हैं लेकिन, वह कक्षा 6 से ही एनएमएमएस की तैयारी कर रहे थे और इस साल दूसरे प्रयास में सफल रहे. गोकुलकृष्णन ने बताया कि वह अपने शरीर के बारे में कभी भी बुरा नहीं सोचते हैं. न ही उदास महसूस करते हैं. उन्होंने कहा कि वह अपने सभी दोस्तों की तरह ही खुश हैं कि उन्हें यह जीवन मिला. उन्हें अपने शरीर से कोई शिकायत नहीं है. उन्होंने बताया कि उन्हें पढ़ाई करने में बहुत मजा आता है. 

स्कूल से मिलेगी पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद 

गोकुलकृष्णन के गणित के टीचर के रामकुमार ने कहा कि गोकुलकृष्णन स्कूल में सभी निबंध और भाषण प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, हमें इस उपलब्धि को हासिल करने में उनकी मदद करने पर गर्व है और हम उनकी उच्च शिक्षा के माध्यम से उनका समर्थन करना जारी रखेंगे. प्रवेश परीक्षा को पास करने पर गोकुलकृष्णन के लिए कक्षा 9 से 12 तक 1,000 रुपये का मासिक वजीफा मिलेगा, जो कुल 48,000 रुपये होगा. 

NMMS ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट के तहत स्कूल शिक्षा और लिटरेसी डिपार्टमेंट द्वारा एक केंद्र प्रायोजित योजना है. इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के मेधावी छात्रों को स्कूल छोड़ने से रोकने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करना है. सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और स्थानीय निकाय स्कूलों में चयनित छात्रों को हर साल 12,000 रुपये स्कॉलरशिप दी जाती है. 

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