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चाय वाले के बेटे ने पास की नीट की परीक्षा... आर्थिक तंगी के कारण पढ़ने को नहीं थी किताबें, इंटरनेट का लिया सहारा

उड़ीसा में एक चाय बेचने वाले के बेटे ने नीट की परीक्षा पास की है. सूरज के पिता पैसे के अभाव में निजी अस्पतालों के सामने चाय की दुकान लगाते थे. उनका बचपन से सपना था कि उनका बेटा डॉक्टर बने.

सूरज सूरज
हाइलाइट्स
  • पढ़ाई के लिए लिया ऐप का सहारा 

  • अस्पताल के सामने लगाते थे चाय की दुकान 

कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से बड़ी से बड़ी सफलता को हासिल किया जा सकता है. इस कथन को उड़ीसा के फुलवनी शहर के चाय वाले के बेटे सूरज बेहरा ने सच साबित किया है. सूरज ने आर्थिक चुनौतियां का सामना कर अपनी मेहनत और लगन से नीट की परीक्षा पास कर ली है. सूरज को परीक्षा में 635 अंक, 8065वीं रैंक हासिल हुई है. सूरज अब डॉक्टर बनाकर पैसे के अभाव में निजी अस्पतालों में इलाज नहीं करवा पाने वाले गरीबों का इलाज करना चाहता है. 

अस्पताल के सामने लगाते थे चाय की दुकान 

सूरज के पिता हरिशेखर बेहरा शहर में सालों से प्रतिदिन अस्पताल के सामने चाय की दुकान लगाते हैं. हालांकि, सूरज ने बचपन से अपने पिता की दुकान पर दर्जनों डॉक्टरों को देख डॉक्टर बनने का सपना देख रखा था. वह आर्थिक तंगी का सामना कर अपनी कड़ी मेहनत से नीट परीक्षा पास कर लिया है. सूरज की इस सफलता पर परिवार में खुशी की लहर दौड़ रही है.

पढ़ाई के लिए लिया ऐप का सहारा 

सूरज बेहरा ने कहते हैं, “मेरे पापा फुलवनी शहर में अस्पताल के सामने सालों से चाय की दुकान चलाते हैं. मैं बचपन से पढ़ाई के बाद पापा की दुकान पर जाया करता था. वहां अस्पताल में डॉक्टरों की कार्यशैली को देखकर मैं भी एक डॉक्टर बनाना चाहता था. बारहवीं की परीक्षा के बाद आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण कोचिंग का पैसा जुटाना मुश्किल हो गया था. बहरहाल, पर्याप्त किताबें खरीदने संभव नहीं होती थी. जिसके बाद इंटरनेट की मदद से यूट्यूब का सहारा लेकर पढ़ाई शुरु कर दी. हालांकि यूट्यूब के साथ-साथ मैंने नीट की तैयारी के लिए दर्जनों ऐप का सहारा लिया.”

पिछले साल भी दी थी परीक्षा

सूरज ने आगे बताया कि पिछले साल भी उन्होंने नीट की प्रवेश परीक्षा में भाग लिया था. लेकिन वे केवल 575 अंक प्राप्त होने के कारण चयनित नहीं हो पाए थे. सूरज कहते हैं, “हालांकि, उस वक्त मैंने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा कठिन परिश्रम किया. इस वर्ष नीट की परीक्षा में 635 अंक के साथ सफलता मिली है. साथ ही साथ ऑल-इंडिया में 8065 रैंक हासिल किया हूं. मैं डॉक्टरी की उच्च शिक्षा के लिए सरकारी कॉलेज में दाखिला लूंगा और डॉक्टर बनने के सपनों को पंख दूंगा.  

सूरज कहते हैं,  “मैं एक अच्छा डॉक्टर बनना चाहता हूं और सीधा मरीजों का इलाज करना पसंद करूंगा.  इन दिनों शहर एवं गांव में मरीजों की संख्या डॉक्टरों की औसतन संख्या से अधिक है. मैं एक डॉक्टर बनकर पैसे के अभाव में निजी अस्पतालों में इलाज नहीं करवा पाने वाले गरीबों का इलाज करना पसंद करूंगा." 

पिता देते हैं अच्छा डॉक्टर बनने की सलाह  

सूरज के पिता कहते हैं, “मैंने अपने बेटे का कठिन परिश्रम को देखा है. आज वह अपनी मेहनत के बल पर नीट की परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर गया है. मैं आज बहुत खुश हूं और सूरज को एक अच्छा डॉक्टर बनने की सलाह देता हूं. हमारे परिवार ने सूरज को अच्छी शिक्षा देने का लिए कई चुनौतियों का एक साथ मिलकर सामना किया है. हम सभी को हमारी मेहनत का फल मिला है.”

सूरज की मां ने कहा, “मैं अपने बेटे की सफलता पर बहुत खुश हूं. लेकिन उसके पांच सालों की उच्च शिक्षा की पढ़ाई के खर्च के लिए चिंतित हूं. हमारे पास बेचने के लिए अपना घर या कोई जमीन नहीं है.

बता दें कि सूरज ने बारवहीं की परीक्षा में 80 प्रतिशत अंक प्राप्त किये थे. राज्य सरकार ने इस सफलता पर सूरज को एक लैपटॉप उपहार के रूप में प्रदान किया था, जिससे उसे पढ़ाई करने में मदद मिली.
 

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