एक बार फिर से NEET-UG खबरों में है. भारत सरकार इस पेपर को पेन-एंड-पेपर फॉर्मेट से हटाकर ऑनलाइन मोड में बदलने पर विचार कर रही है. यह प्रस्ताव हाल के विवादों, कथित पेपर लीक और कानूनी लड़ाइयों और पेपर को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आया है. बता दें, हर साल मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए लाखों बच्चे NEET-UG का एंट्रेंस एग्जाम देते हैं.
कलम और कागज की चुनौतियां
मौजूदा समय में NEET-UG एक पेन-एंड-पेपर मोड एग्जाम है. हर साल लगभग 24 उम्मीदवार मेडिकल कॉलेजों में एंट्रेंस के इस परीक्षा को देते हैं. ट्रेडिशनल फॉर्मेट में उम्मीदवारों को ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन (OMR) शीट पर अपने उत्तर मार्क करने होते हैं, जिन्हें बाद में स्कैन किया जाता है और उसके हिसाब से मार्क्स दिए जाते हैं. हालांकि, हाल के दिनों में पेपर लीक से इसका नाम जुड़ गया है.
इस परीक्षा को स्वास्थ्य मंत्रालय और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) मिलकर करवाते हैं. जैसे-जैसे हर साल उम्मीदवारों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे वैसे NEET-UG की निष्पक्षता और अखंडता को लेकर चिंता जताई जा रही है.
डिजिटल बदलाव पर विचार
इन चुनौतियों के बीच केंद्र सरकार JEE Main और JEE एडवांस की तरह ही NEET-UG को कंप्यूटर-आधारित परीक्षा (CBT) में बदलने पर सक्रिय रूप से विचार कर रहा है. इस प्रस्ताव पर कई उच्च-स्तरीय बैठकों में चर्चा की गई है. इसको लेकर का जा रहा है कि ये एक ज्यादा सुरक्षित विकल्प हो सकता है.
ऑनलाइन मोड पर स्विच करने से अभी के फॉर्मेट से जुड़े कई जोखिम कम हो सकते हैं. डिजिटल एग्जाम में आम तौर पर अलग-अलग सत्रों में प्रश्नों के कई सेट शामिल होते हैं, जिससे पेपर लीक की संभावना कम हो जाती है.
इससे पहले भी हो चुकी है बात
हालांकि, इससे पहले भी इस परीक्षा को ऑनलाइन करने की बात पर चर्चा की जा चुकी है. 2018 में, तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने NEET-UG को ऑनलाइन और साल में दो बार आयोजित करने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसपर आपत्ति जताई थी. उनका कहना था कि इससे ग्रामीण और आर्थिक रूप से वंचित छात्रों को परेशानी हो सकती है, जिनके पास पर्याप्त कंप्यूटर सुविधा या डिजिटल साक्षरता तक पहुंच नहीं है.
इसके लिए पैनल भी बनाया गया है
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा है कि कई ग्रामीण छात्र सफलतापूर्वक जेईई मेन में भाग लेते हैं, जो कंप्यूटर आधारित है. इससे सवाल उठता है कि NEET-UG के लिए ये फॉर्मेट लागू क्यों नहीं हो सकता है.
इसे लेकर केंद्र ने पूर्व इसरो अध्यक्ष के. राधाकृष्णन के नेतृत्व में सात सदस्यीय पैनल भी बनाया है. इस पैनल को टेस्टिंग प्रोसेस और डेटा सेफ्टी प्रोटोकॉल में सुधारों की सिफारिश करने के साथ-साथ एनटीए की संरचना और कार्यप्रणाली की समीक्षा करने का काम सौंपा गया है. लेकिन अभी भी आखिरी निर्णय नेशनल मेडिकल एजुकेशन (NMC) पर निर्भर करता है.