scorecardresearch

नेकी हो तो ऐसी! 200 सरकारी कर्मचारियों ने दान की अपनी एक दिन की सैलरी ताकि भर सकें MBBS छात्रा की फीस

गुजरात में भरूच प्रशासन ने नेकी की मिसाल पेश की है. दरअसल, राजस्व विभाग के 200 से ज्यादा कर्मचारियों ने मिलकर एक MBBS छात्रा की फीस भरी है.

200 सरकारी कर्मचारियों ने दान की एक दिन की सैलरी ताकि भर सकें MBBS छात्रा की फीस 200 सरकारी कर्मचारियों ने दान की एक दिन की सैलरी ताकि भर सकें MBBS छात्रा की फीस
हाइलाइट्स
  • पीएम मोदी ने दिया था मदद का आश्वासन

  • जिला प्रशासन की मदद से भरी फीस  

गुजरात में भरूच के जिला कलेक्टर तुषार सुमेरा सहित प्रशासन के 200 से अधिक कर्मचारियों ने अपना एक दिन का वेतन दान किया है ताकि एक एमबीबीएस छात्रा, आलियाबानू पटेल की दूसरे सेमेस्टर की 4 लाख रुपये की फीस भरी जा सके. आलियाबानु के पिता नेत्रहीन हैं और उन्होंने 12वीं कक्षा में 79.80 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बाद पिछले साल वड़ोदरा के पारुल विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. 

हालांकि, आलिया को अपनी शिक्षा जारी रखने में बहुत सी आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और जिला प्रशासन को सहायता के लिए पत्र लिखा था. पिछले साल एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने उन्हें मदद का आश्वासन भी दिया था. 

पीएम मोदी ने दिया था मदद का आश्वासन
पिछले साल, 12 मई को, सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों के लिए एक कार्यक्रम में, प्रधान मंत्री ने आलिया के नेत्रहीन पिता, अय्यूब पटेल से बातचीत की. वह केंद्र सरकार की राष्ट्रीय वृद्ध पेंशन योजना के लाभार्थियों में से एक थे. पटेल अपनी पत्नी और तीन बेटियों के साथ भरूच के दूधधारा डेयरी ग्राउंड में आयोजित 'उत्कर्ष पहल' कार्यक्रम में मौजूद थे. उस समय, अय्यूब ने पीएम को बताया कि ग्लूकोमा के कारण उन्होंने अपने आंखों की रोशनी खो दी. 

पीएम मोदी ने उनके बच्चों के बारे में पूछा और संयोग से उस दिन कक्षा 12 के परिणाम घोषित हुए तो पटेल ने अपनी सबसे बड़ी बेटी आलियाबानू के बारे में बात की. उन्हें पीएम मोदी से बात करने का मौका मिला, जिन्होंने उन्हें बधाई दी. अपने करियर के बारे में पूछे जाने पर, उन्होंने पीएम को बताया कि उनके पिता की आंखों की रोशनी चली जाने के बाद वह डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखती हैं. पीएम मोदी ने पटेल से कहा कि अगर उनकी बेटी को सपने को पूरा करने में कोई चुनौती आती है तो वह उनसे संपर्क करें.

जिला प्रशासन की मदद से भरी फीस  
सोमवार को द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, आलियाबानू पटेल ने कहा, “मैं एक नेत्र रोग विशेषज्ञ बनना चाहती हूं. मेरे पिता आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, और हमें याद आया कि पीएम मोदी ने हमसे कहा था कि वह हमारी मदद करने के लिए तैयार हैं. इसलिए, हमने उन्हें और जिला कलेक्टर को पत्र लिखा और आर्थिक मदद मांगी. मैं उनके समर्थन के लिए पीएम मोदी और जिला कलेक्टर का बहुत आभारी हूं."

पत्र मिलने के बाद, जिला कलेक्टर, सुमेरा ने अपने सहयोगियों को कुछ पैसों की मदद पिच करने के लिए कहा. भरूच राजस्व विभाग के 200 से अधिक अधिकारियों ने इस नेक काम के लिए अपने दिन का वेतन दान किया. राशि एक बैंक में जमा की गई थी. चेक शनिवार को आलियाबानू को सौंप दिया गया. सुमेरा ने कहा, "हम ऐसी व्यवस्था करने की भी योजना बना रहे हैं ताकि अय्यूब भाई आने वाले सालों में अपनी बेटी की फीस जमा कर सकें."

जैसे-तैसे परिवार ने भरी पहले सेमेस्टर की फीस
दरअसल, भरूच के जिला प्रशासन के कर्मचारियों ने परिवार की मुश्किलों को समझते हुए उनकी मदद करने की ठानी. पटेल ने बताया कि उन्होंने दोस्तों, रिश्तेदारों और अन्य लोगों से पैसे उधार लेकर पहले सेमेस्टर की फीस (आलिया के लिए) और अन्य शुल्क के लिए 7.70 लाख रुपए जमा किए. उन्होंने एक निजी बैंक से 5 लाख रुपये का कर्ज लिया था. उन्हें वर्ल्ड भरूच वोहरा फेडरेशन से भी 1 लाख रुपये भी दिए गए थे. 

पहला सेमेस्टर मई में समाप्त होता है और उन्हें जून से पहले दूसरे सेमेस्टर की फीस जमा करनी होती है. उन्होंने पीएम, सीएम और जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर अपनी बेटी की फीस भरने के लिए आर्थिक मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने जनवरी में मुख्यमंत्री युवा स्वावलंबन योजना छात्रवृत्ति योजना के लाभ के लिए आवेदन किया था और अभी भी उसका इंतजार कर रहे हैं. अय्यूब की भरूच में एक दुकान है जिसे वह 10,000 रुपये प्रति माह किराए पर देते हैं.