विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी इस कोविड काल में छात्रों के लिए एक बड़ी गुड न्यूज लेकर आई है. यूजीसी ने शुक्रवार को एक सर्कुलर जारी कर सभी शैक्षणिक संस्थानों से डिजिलॉकर खाते में रखी डिग्री, मार्कशीट और अन्य शैक्षणिक दस्तावेजों को वैध दस्तावेजों के रूप में स्वीकार करने का अनुरोध किया है. डिजिलॉकर इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा यूजर्स के लिए दस्तावेजों और प्रमाणपत्रों को स्टोर करने, साझा करने और वेरिफाई करने के लिए एक सुरक्षित क्लाउड आधारित पहल है.
अकादमिक दस्तावेजों के लिए एक ऑनलाइन स्टोरहाउस है ‘एनएडी’
यूजीसी ने कहा कि नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी (एनएडी) एक डिजिटल प्रारूप में अकादमिक दस्तावेजों के लिए एक ऑनलाइन स्टोरहाउस है. नोटिस में आगे कहा गया है, "भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को एक एकल डिपॉजिटरी के रूप में डिजिलॉकर के सहयोग से एनएडी को किसी भी यूजर फीस के बिना स्थायी योजना के रूप में लागू करने के लिए अधिकृत निकाय के रूप में चुना है. शैक्षणिक संस्थान डिजिलॉकर एनएडी पोर्टल के माध्यम से अपना पंजीकरण करा सकते हैं और अपने संस्थान के शैक्षणिक सर्टिफिकेट्स को एनएडी पर अपलोड कर सकते हैं.
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड जारी कर रहा है डिजिटल दस्तावेज
सर्कुलर में आगे कहा गया है, "डिजिलॉकर नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटरी (एनएडी) प्लेटफॉर्म के माध्यम से मूल जारीकर्ता द्वारा अपलोड किए जाने के बाद छात्रों की डिग्री, मार्कशीट और अन्य दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप में जारी किए गए दस्तावेज़ सेक्शन में शामिल किया जा सकता है." भारत में कई राज्य और केंद्रीय शैक्षिक बोर्ड जैसे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और कई विश्वविद्यालयों ने पहले ही डिजिटल दस्तावेज उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है.