ब्रिटेन में वीजा से जुड़े नियम बदल गए हैं. बाहर के देशो से ब्रिटेन पढ़ाई करने आए छात्र अब से अपने रिश्तेदारों को वहां लेकर नहीं जा सकेंगे. यूके में 1 जनवरी से, छात्र वीजा के लिए नए नियम पेश किए गए हैं. हालांकि, अगर वे पीएचडी या पोस्ट ग्रेजुएट रिसर्च कोर्स कर रहे हैं तो उनके लिए इसकी छूट होगी. इस नियम के आ जाने के बाद से छात्र अपने माता-पिता, पार्टनर्स या बच्चों को ब्रिटेन में नहीं ले जा सकेंगे.
छात्र वीजा पर आ रहे हैं लोग
इसे लेकर ब्रिटेन के लीगल माइग्रेशन मंत्री टॉम पर्सग्लोव ने कहा, “हमारी यूनिवर्सिटी में दुनिया भर के सबसे प्रतिभाशाली छात्र आते हैं. लेकिन हमने छात्रों द्वारा लाए जा रहे उनके रिश्तेदारों की संख्या में इजाफा देखा है, जिससे माइग्रेशन ज्यादा हो रहा है. ऐसे में हमें उनका माइग्रेशन रोकना होगा. स्टूडेंट वीजा पर आने वाले लोगों पर प्रतिबंध लगाना शुरू किया जा रहा है. इसकी मदद से हम अर्थव्यवस्था और सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर कर सकेंगे. इस नियम से पिछले साल की चलने में 300,000 कम लोग ब्रिटेन आएंगे.”
भारतीय छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा
उच्च शिक्षा (Higher Studies) के लिए ब्रिटेन जाने वाले छात्रों को अब नए नियमों के परिणामों का सामना करना पड़ रहा है. 2022 में, लगभग 55,000 भारतीय छात्र यूके में पढ़ रहे थे. 2023 में इसमें 54 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. जून 2023 तक ये संख्या 142,848 तक पहुंच गई थी.
पीएचडी छात्रों के लिए अलग क्राइटेरिया
हालांकि, पीएचडी छात्रों के लिए एक अलग क्राइटेरिया है. स्टूडेंट वीजा से वर्क वीजा तक आने के लिए पीएचडी छात्रों को कम से कम 24 महीने तक पढ़ाई करनी होगी. इसके आलावा, वर्क वीजा पर स्विच करने से पहले उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करनी होगी और नौकरी शुरू करने की तारीख भी पहले ही बतानी होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए ग्रेजुएट वीजा प्रावधान की समीक्षा करने की योजना बना रही है.
ब्रिटेन है छात्रों की पसंद की जगह
दरअसल, ब्रिटेन भारतीय छात्रों और उनके परिवारों के लिए एक पॉपुलर जगह बनती जा रही है. स्टडी अब्रॉड प्लेटफॉर्म ग्रेडिंग की संस्थापक ममता शेखावत कहती हैं कि यूके में वैल्यू फॉर मनी को तवज्जो दी जाती है. यानी अगर आप उन्हें क्वालिटी वर्क देंगे तो आपको उसी के हिसाब से पैसे भी मिलेंगे. यही वजह है कि ब्रिटेन भारतीय छात्रों के लिए एक पसंदीदा जगह बनती जा रहा है और छात्र वहां जाना चाहते हैं. इंडिया टुडे के अनुसार, आने वाले अकादमिक सेशन में लगभग 3 लाख भारतीय छात्र यूके को यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए तैयार हैं. आंकड़ों से यह भी पता चला है कि भारतीय एक साल की मास्टर डिग्री ज्यादा पसंद कर रहे हैं, क्योंकि इसकी मदद से वे आसानी से अपने परिवार या जीवनसाथी को यूके ला सकते हैं.