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सेंट्रल युनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए PhD नहीं होगी जरूरी, फील्ड के एक्सपर्ट्स को दिया जाएगा मौका

इससे पहले, केंद्र सरकार ने यूजीसी के नियमों में संशोधन किया था जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर की हायरिंग के लिए पीएचडी को जरूरी बताया था. ये नियम 2021 से लागू होना था, लेकिन कोविड -19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था. इसे बाद में जुलाई 2023 तक बढ़ा दिया गया था. इस बीच, यूजीसी ने उम्मीदवार के नेट स्कोर के आधार पर ही हायरिंग जारी रखी.

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हाइलाइट्स
  • कोई भी 65 साल की उम्र तक पढ़ा सकते हैं

  • इससे पहले पीएचडी को बताया गया था जरूरी 

विश्वविद्यालयों में पढ़ाने को लेकर युनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) ने बड़ा फैसला लिया है. अब अलग-अलग क्षेत्र के एक्सपर्ट और प्रोफेशनल्स देश की यूनिवर्सिटीज में पढ़ा सकेंगे, इसके लिए पीएचडी की डिग्री अनिवार्य नहीं होगी. जी हां, यूजीसी ने अपने फैसले में कहा है कि संबंधित विषय के एक्सपर्ट युनिवर्सिटी में बिना पीएचडी की डिग्री के पढ़ा सकेंगे. इसके अलावा यूजीसी ने कहा है कि जो लोग 60 साल से ऊपर की उम्र वाले हैं वो भी सेंट्रल युनिवर्सिटी में 65 साल की उम्र तक पढ़ा सकेंगे. 

पीएचडी नहीं होगी जरूरी 

आपको बताते चलें यूजीसी के चेयरपर्सन जगदीश कुमार ने इसपर कहा कि इस तरह के पदों के लिए पीएचडी जरूरी नहीं होगी.  उन्होंने कहा, “ऐसे कई एक्सपर्ट हैं जो पढ़ाना चाहते हैं, वह कोई भी हो सकता है. अब इसके लिए पीएचडी जरूरी नहीं होगी, बस उन्होंने बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम किया हो. उनके पास जमीनी अनुभव होना जरूरी है. वह कोई भी हो सकता है, जैसे डांसर, म्यूजिशियन आदि.”

इससे पहले पीएचडी को बताया गया था जरूरी 

गौरतलब है कि इससे पहले, केंद्र सरकार ने यूजीसी के नियमों में संशोधन किया था जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर की हायरिंग के लिए पीएचडी को जरूरी बताया गया था. ये नियम 2021 से लागू होना था, लेकिन कोविड -19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था. इसे बाद में जुलाई 2023 तक बढ़ा दिया गया था. इस बीच, यूजीसी ने उम्मीदवार के नेट स्कोर के आधार पर ही हायरिंग जारी रखी.

यूजीसी ने अब अपने एक आधिकारिक नोटिस में कहा, "यूजीसी ने कोविड-19 महामारी को देखते हुए असिस्टेंट प्रोफेसरों की सीधी भर्ती के लिए अनिवार्य योग्यता के रूप में पीएचडी के आवेदन की तारीख 1 जुलाई, 2021 से बढ़ाकर 1 जुलाई, 2023 करने का फैसला किया है."

दरअसल, वीसी जगदीश कुमार ने एक बैठक की थी, जिसमें शिक्षक और प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति के नियमों में संशोधन के लिए एक समिति के गठन का फैसला किया गया है. ये बैठक नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के क्रियान्वयन समेत कई दूसरे  मुद्दों पर चर्चा करने के लिए बुलाई गई थी.