हापुड़ के पिलखुवा में रहने वाली शिवांगी गोयल ने यूपीएससी की परीक्षा में 177 वी रैंक हासिल करके अपने माता-पिता का ही नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है. परिणाम आने के बाद से ही लोग लगातार शिवांगी के घर बधाई देने आ रहे हैं. शिवांगी अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता पिता और अपनी 7 वर्षीय बेटी रैना अग्रवाल को देती है.
जी हां, बहुत से लोगों को यह जानकर हैरानी होगी कि शिवांगी एक मां हैं और अपनी बेटी की देखभाल करते हुए उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है. शिवांगी गोयल के पिता राजेश गोयल एक व्यापारी हैं और उनकी मां हाउसवइफ हैं.
हमेशा से थी IAS बनने की ख्वाहिश
शिवांगी ने बताया कि वह पढ़ाी में अच्छी थी. उनके स्कूल की प्रिंसिपल ने उन्हें UPSC की तैयारी करने के लिए प्रेरित किया. स्कूल के बाद उनका एडमिशन दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में हो गया था. पढ़ाई के बाद उन्होंने दो बार आईएएस का एग्जाम दिया पर सेलेक्शन नहीं हुआ.
इसके बाद उनकी शादी हो गई. और यहां से उनकी जिंदगी एकदम बदल गई. शादी के बाद शिवांगी ने एक खुशहाल जिंदगी के सपने देखे थे. पर उनका जीवन मानो नर्क हो गया था.
झेला दहेज उत्पीडन, घरेलू हिंसा, पर नहीं मानी हार
शिवांगी ने बताया कि उनके ससुराल वाले लालची निकले. शादी के कुछ दिन बाद से ही उनके साथ दहेज के लिए कहासुनी होने लगी. दहेज के लिए उनके साथ घरेलू हिंसा भी होने लगी और इसके बाद शिवांगी के माता-पिता उन्हें वापस अपने साथ ले आए. उनकी बेटी भी उनके पास है.
शिवांगी ने अपनी बेटी के लिए खुद को संभाला. साल 2019 में उनके पापा ने उन्हें अपने सपने पूरे करने के लिए प्रोत्साहित किया. औप शिवांगी ने IAS की तैयारी शुरू कर दी. दिन-रात मेहनत करके, अब वह अपने तीसरे प्रयास में सफल हुई हैं. उनकी 177वीं रैंक हैं.
बेटी बनी आगे बढ़ने की ताकत
शिवांगी का उनकी बेटी ने पूरा साथ दिया. उन्होंने सेल्फ स्टडी की और उनका विषय समाजशास्त्र रहा. अपनी सफलता का श्रेय वह अपने माता-पिता और विशेषकर अपनी बेटी देती हैं. जिन्होंने मुझे आईएएस बनने में पूरा सहयोग दिया. मैं समाज में सभी महिलाओं को एक प्रेरणा देना चाहती हूं कि यदि उनके साथ ससुराल में कुछ गलत हो रहा है तो वे इसका विरोध करें.
महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हों सकती हैं. वह चाहे तो पढ़ लिखकर आईएएस अधिकारी बन सकती हैं और आज मैं बहुत खुश हूं कि मेरा भविष्य फिर से सुनहरा हो गया है.
(देवेंद्र शर्मा की रिपोर्ट)