उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार की बेटी कुहू गर्ग ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर ली है. कुहू गर्ग ने ऑल इंडिया में 178वीं रैंक हासिल की है. उनका चयन आईपीएस के लिए हुआ है. 16 अप्रैल 2024 को संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विसेज एग्जाम के अंतिम नतीजे घोषित किए जिसमें कुहू गर्ग आईपीएस के लिए सेलेक्ट हुई हैं. 1989 बैच के आईपीएस रहे अशोक कुमार मूल रूप से हरियाणा के पानीपत जिले के रहने वाले हैं. उन्हें ह्यूमन ऑफ खाकी के नाम से जाना जाता है.आईपीएस की नौकरी से रिटायर होने के बाद अशोक कुमार को हरियाणा खेल विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया है. कुहू की मां भी पेशे से प्रोफेसर हैं.
कहां से पढ़ाई की?
सेवानिवृत्त आईपीएस अफसर अशोक कुमार की बेटी कुहू गर्ग की शुरुआती पढ़ाई देहरादून स्थित St. Joseph's Academy से हुई . इसके बाद उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली के SRCC कॉलेज से पूरी की. कुहू गर्ग बैडमिंटन की इंटरनेशनल खिलाड़ी भी हैं,जिन्होंने एशियाई चैंपियनशिप के साथ ही ओपन कैटेगरी के कई मेडल अपने नाम किए हैं.उन्होंने बैडमिंटन खिलाड़ी चिराग सेन के साथ मिलकर ओपन कैटेगरी के कई मेडल अपने नाम किए हैं. कुहू की इस सफलता के पीछे की प्रेरणा कौन रहा? परिवार में इस समय कैसा माहौल है और वो खुद कैसा फील कर रही हैं, ये हमने उनसे जानने की कोशिश की. पढ़िए उनकी बातचीत के कुछ अंश.
खेल के बाद अचानक से UPSC कैसे?
इस पर कुहू ने कहा, "मेरा ड्रीम था कि मैं ओलंपिक्स में दुनिया को रिप्रेजेंट करूं और मैं इसके लिए समर्पित थी. 12 साल की ही उम्र से ही मैं बैंडमिंटन की तरफ आकर्षित थी.लॉकडाउन में एक ब्रेक हुआ और थोड़े हेल्थ इशूज हो गए थे. मेरे को इंजरी हो गई थी. Ligament टियर हो गया था जिसकी सर्जरी होनी थी. तो इसके लिए स्पोर्ट्स से मुझे लगभग डेढ़ साल का ब्रेक लेना पड़ता. इस समय का इस्तेमाल करने के लिए मैंने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए सोचा. मैं सोसाइटी को सर्व करना चाहती हूं जोकि मैं इस सर्विस के जरिए ही कर सकती थी. तो उस समय ये डिसीजन लिया गया कि खेल और पढ़ाई मेरे दो मोटिव थे. तो खेल नहीं हुआ तो इसलिए पूरा फोकस पढ़ाई पर लगा दिया."
पिता भी आईपीएस,बेटी भी आईपीएस ! कैसा फील हो रहा है?
पापा एक डीजीपी होने के नाते रोजाना कई लोगों की मदद करते थे और मुझे ये सब देख के बहुत इंस्पीरेशन मिलता था. लोगों के लिए उनका डेडीकेशन देखकर मुझे बहुत प्रेरण मिली. उन्होंने कई सारी बुक्स लिखी हैं. मैंने वो भी पढ़ी और उनसे कई सवाल भी करती थी. तो इस तरह से पूरी गाइडेंस और मेंटरशिप मेरे लिए मेरे पापा ने ही की है. मेरी पूरी इस प्रीपरेशन में उनका बहुत बड़ा हाथ है.
आपकी इस सफलता में आपके प्लेयर होने का कुछ फायदा
घर में अनुशासन बहुत है. मैं खुद भी बहुत सेल्फ मोटिवेटेड थी, फिर चाहें वो स्पोर्ट्स हो या कुछ भी. खेलने के लिए मैं खुद सुबह 5 बजे उठ के ट्रेनिंग के लिए चली जाती थी. एक स्पोर्ट्स पर्सन होने के नाते मेरा नेचर ऐसा हो गया था कि खुद को क्रिटिकली एनालाइज करों और अपनी गलतियां देखों और वो शायद मैंने यहां पर भी अप्लाई किया. इन सभी ने मेरे को यहां सफलता पाने में बहुत मदद की.
इंटरव्यू में पूछे गए सवाल
मेरा 50 प्रतिशत इंटरव्यू बैंडमिंटन और स्पोर्ट्स से संबंधित था. मेरे से एक बहुत ही इंटरेस्टिंग सवाल पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि क्रिकेट की वजह से बाकी स्पोर्ट्स पीछे हो रहे हैं. अगर हम क्रिकेट को एक इंडस्ट्री बना दें इस पर आप क्या कहेंगी? इस पर मैंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है, क्रिकेट की वजह से बाकी स्पोर्ट्स खराब नहीं हो रहे हैं. क्रिकेट ने अपना अच्छा किया है और एक बार परफॉर्मेंस आने के साथ बैडमिंटन भी अपना अच्छा कर रहा है. एक पार्ट होता है आईपीएल जोकि लीग्स होती हैं और एक पार्ट होता है जब आप अपने देश के लिए खेलते हैं तो इसे वैसे ही देखना चाहिए. तो जो लीग्स वाला पार्ट है वो कमर्शियलाइज्ड है उसे वैसे ही देखें और देश के लिए जब वो खेलते हैं तो उसे वैसे ही ट्रीट करें.
सिविल सेवा परीक्षा के अभ्यर्थियों के लिए टिप्स
इस एग्जाम में सबसे ज्यादा स्मार्ट वर्क की जरूरत है. गाइडेंस भी अच्छा रोल प्ले करता है. अगर आपको सही गाइडेंस मिल जाए तो आप काफी अच्छा कर सकते हैं. एक प्रॉपर प्लान बनाए जिसे लॉन्ग टर्म और मिड टर्म में बांटे ताकि एग्जाम से पहले आप उसे रिवाइज कर सकें. अपनी टाइमलाइन से स्टिक करें. टाइम का ऐसा कोई टारगेट नहीं है कि हां इतने घंटे पढ़ना है.कुछ लोग 14 से 16 घंटे पढ़ाई करके उसे हासिल करते हैं तो कुछ लोग 10 घंटे में भी उसे पूरा कर लेते हैं.एक एग्जाम से पहले डेढ़ साल का पीरियड होना चाहिए कि आप पूरी तैयारी कर लें.बेसिक एनसीआरटी से आप ग्रेजुएशन के बाद से ही तैयारी करना शुरू कर सकते हैं.