UPSC में जालसाजी की घटनाओं को रोकने के लिए अब आधार से वेरिफिकेशन होगा. यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) को इसकी अनुमति दे दी गई है. हालांकि, ये कदम स्वैछिक है. इसका मतलब ही कि उम्मीदवार चुन सकते हैं कि इस उद्देश्य के लिए आधार का उपयोग करना है या नहीं.
इसकी मदद से धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा. आधार से उम्मीदवारों की पहचान को वेरीफाई किया जा सकेगा. ये फैसला प्रोबेशनरी IAS अधिकारी पूजा खेडकर के मामले के बाद लिया गया है.
आधार-आधारित वेरिफिकेशन क्या है?
आधार एक 12 अंकों की विशिष्ट पहचान संख्या है, जो हर भारतीय नागरिक को दी जाती है. इसे यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) द्वारा जारी किया जाता है. यह संख्या किसी व्यक्ति के बायोमेट्रिक और डेमोग्राफिक डेटा जैसे कि फिंगरप्रिंट, आईरिस स्कैन और बुनियादी व्यक्तिगत जानकारी से जुड़ी होती है. आधार-आधारित वेरिफिकेशन में किसी व्यक्ति की पहचान को उसके आधार नंबर का उपयोग करके वेरीफाई करना शामिल है.
आधार-आधारित वेरिफिकेशन क्यों शुरू किया जा रहा है?
यूपीएससी परीक्षाओं में आधार वाले इस वेरिफिकेशन की शुरुआत हाल ही में पूजा खेडकर नाम की एक प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी से जुड़ी घटना के बाद हुई है. पूजा खेडकर को सिविल सर्विस एग्जाम में धोखाधड़ी करते हुए पाया गया था. उन पर विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटा का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया गया था. नतीजतन, पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई और उन्हें भविष्य की सभी यूपीएससी परीक्षाओं से बैन कर दिया गया.
इस घटना की वजह से रजिस्ट्रेशन और परीक्षा प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों की पहचान वेरीफाई करने के लिए सख्त उपायों की मांग की जा रही थी. अब आधार वेरिफिकेशन का उपयोग करके, यूपीएससी का उद्देश्य ऐसी धोखाधड़ी को रोकना और यह सुनिश्चित करना है कि केवल पात्र उम्मीदवारों को ही परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए.
आधार-आधारित वेरिफिकेशन कैसे काम करेगा?
अधिसूचना के अनुसार, यूपीएससी को अब स्वैच्छिक आधार पर उम्मीदवारों के लिए आधार-आधारित वेरिफिकेशन करने की अनुमति होगी. इसका मतलब यह है कि उम्मीदवार "वन टाइम रजिस्ट्रेशन" पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के दौरान और परीक्षा और भर्ती प्रक्रिया के अलग-अलग चरणों में अपने आधार नंबर का उपयोग करके अपनी पहचान सत्यापित करने का विकल्प चुन सकते हैं.
नकल रोकने में टेक्नोलॉजी की भूमिका
आधार-आधारित वेरिफिकेशन के अलावा, यूपीएससी परीक्षा के दौरान नकल रोकने के लिए दूसरे तरीकों और तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है. उदाहरण के लिए, आयोग ने परीक्षा प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवारों की मॉनिटरिंग के लिए फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी और एआई आधारित सीसीटीवी सर्विलांस सिस्टम का उपयोग करने का निर्णय लिया है. इतना ही नहीं ई-एडमिट कार्ड की क्यूआर कोड स्कैनिंग भी इस सिस्टम का हिस्सा होगी.