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UPSC पास करने के बाद कैसे होती है IAS,IPS की नियुक्ति...क्या है पूरी प्रक्रिया, जानिए

ऑल इंडिया सर्विसेज के तहत IAS और IPS अधिकारियों का चयन होता है. इनमें चुने गए लोगों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों उसी के अनुसार कैडर दिया जाता है. सेंट्रल सर्विसेज को भी दो भागों में बांटा गया है. इसी आधार पर उन्हें पद दिए जाते हैं.

हाइलाइट्स
  • इंटरव्यू के आधार पर बनती है मेरिट

  • UPSC में होती हैं कुल 24 सर्विसेज

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)ने सोमवार को यूपीएससी सिविल सेवा अंतिम परिणाम 2021 घोषित किया. इस साल कुल 749 उम्मीदवारों ने यूपीएससी परीक्षा पास की है. बिजनौर की श्रुति शर्मा ने पहली रैंक हासिल की और इस साल यूपीएससी टॉपर बनकर उभरीं. वहीं दूसरे और तीसरे स्थान पर भी लड़कियों ने ही बाजी मारी. इस साल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के लिए 180, आईपीएस के लिए 200 और आईएफएस के लिए 37 उम्मीदवारों का चयन किया गया है.

ये तो हुई रिजल्ट की बात, अब इसकी आगे की प्रक्रिया क्या है और कैसे तय होती है उस पर बात करेंगे. ऐसा नहीं है कि जिस कैंडिडेट ने यूपीएससी क्लियर कर लिया वो आईएएस या आईपीएस बन ही जाएगा. इसके लिए एक पूरा प्रोसेस होता है जिसके जरिेए पोस्ट तय की जाती है.

क्या होती है परीक्षा?
सिविल सर्विसेज परीक्षा में सबसे पहले प्रारंभिक परीक्षा होती है, जिसमें पास होने वाला परीक्षार्थी मेंस परीक्षा के लिए एलिजिबल हो जाता है. इसके बाद मेंस परीक्षा पास करने के बाद इंटरव्यू होता है और इसी के आधार पर मेरिट बनती है. प्रीलिम्स एग्जाम के लिए न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन रखी गई है. इसको पास करने के लिए दो-दो घंटे के दो पेपर होते हैं. दूसरा पेपर सीसैट क्वालीफाइंग होता है और इसमें पास होने के लिए 33 फीसदी अंक लाना जरूरी होता है. पहले पेपर के नंबर के आधार पर कटऑफ बनती है और उसी के अनुसार मेंस के उम्मीदवार तय होते हैं. 

बता दें कि यूपीएससी के लिए सिर्फ आईएएस या आईएफएस पद ही नहीं होते. UPSC में 24 सर्विसेज होती हैं, जिसका चयन यूपीएससी परीक्षा के जरिए किया जाता है. इसे दो कैटेगरी में बांटा गया है. पहली ऑल इंडिया सर्विसेज और दूसरी सेंट्रल सर्विसेज है.

कैसे होती है नियुक्ति?
ऑल इंडिया सर्विसेज के तहत IAS और IPS अधिकारियों का चयन होता है. इनमें चुने गए लोगों को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों उसी के अनुसार कैडर दिया जाता है. सेंट्रल सर्विसेज को भी दो भागों में बांटा गया है जिसमे में ग्रुप ए के तहत भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस), इंडियन सिविल एकाउंट्स सर्विस, आईआरएस, इंडियन रेलवे सर्विस और इंडियन इनफर्मेशन जैसे पद आते हैं. जबकि ग्रुप बी में आर्म्ड फोर्सेज हेडक्वाटर्स सिविल सर्विस, पुडुचेरी सिविल सर्विस, दिल्ली एंड अंडमान निकोबार आइलैंड सिविल और पुलिस सर्विस जैसे पद शामिल हैं.

ये जरूरी नहीं है कि हर कोई आईएएस ही बने या मेरिट के हिसाब से पोस्ट मिले. कई बार उम्मीदवारों से उनकी प्राथमिकता पूछी जाती है और इसी आधार पर पद दिए जाते हैं. इसके अलावा खाली पद भरना भी प्राथमिकता होती है. मान लीजिए कोई अपने अंकों के आधार पर आईएएस के लिए एलिजिबल है लेकिन उसकी प्राथमिकता आईपीएस है तो उसे वह पद दे दिया जाएगा. अगर कोई प्राथमिकता नहीं है तो पद एलिजिबिलिटी के आधार पर ही दिया जाता है.

कितने प्रयास है मान्य
IAS परीक्षा के लिए आमतौर पर सामान्य श्रेणी के कैंडिडेट्स 32 वर्ष की उम्र तक 6 चांस मिलते हैं. इसका मतलब यह हुआ कि एक सामान्य वर्ग का कैंडिडेट 32 साल की उम्र तक छह बार सिविल सर्विसेज का एग्जाम दे सकता है. OBC वर्ग के लिए यह सीमा 35 वर्ष रखी गई है जिसके तहत उन्हें 9 प्रयास मिलते हैं. जबकि SC/ST कैटेगरी को 37 साल तक जितनी बार चाहें उतनी बार पेपर देने की छूट है. उनके लिए एटेंप्ट की कोई सीमा तय नहीं की गई है. वहीं सामान्य वर्ग के दिव्यांग छात्र 42 साल की उम्र तक 9 बार एग्जाम दे सकते हैं.

पोस्ट से संतुष्ट नहीं तो दोबारा दे सकते हैं परीक्षा
इसके अलावा यूपीएससी में पद तय हो जाने के बाद उससे संतुष्ट ना होने पर दोबारा परीक्षा देने का भी प्रावधान है. मान लीजिए आपने किसी साल यूपीएससी की परीक्षा दी जिसमें आपको 446वीं रैंक हासिल हुई. इंटरव्यू और पूरी प्रोसेस के बाद आपको भारतीय राजस्व सेवा (IRS)में योगदान देने का अवसर मिला, लेकिन आप इससे संतुष्ट नहीं है और आपने आईएएस बनने का सपना संजो रखा है. ऐसी स्थिति में आप अगले साल दोबारा (अगर अटेंप्ट बचे हैं) यूपीएससी की परीक्षा दे सकते हैं और बेहतर रैंक आने पर आपको वो मौका मिल सकता है. वहीं अगर दूसरे प्रयास में आप असफल हुए या रैंक उससे भी खराब आई तो आप अपनी पुरानी पोस्ट पर बने रह सकते हैं.

हालांकि भारतीय विदेश सेवा( IFS) के मामले में ये प्रक्रिया बिल्कुल उल्टी है. अगर कोई आईएफएस अपने पद से असंतुष्ट है और दोबारा परीक्षा देना चाहता है तो इस मामले में उसके लिए बहुत रिस्क है. दोबारा दिए गए अटेंप्ट में अगर उसे कम रैंक हासिल होती है तो इस स्थिति में IFS अधिकारी अपनी पुरानी पोस्ट से भी हाथ धो बैठेगा. ऐसे में उनके पास दोबारा अपनी पुरानी पोस्ट पर आने का कोई प्रावधान नहीं है.