कहते हैं कि किस्मत हाथों की लकीरों में होती है. लेकिन जिनके हाथ नहीं होते, तो क्या उनकी किस्मत नहीं होती? किस्मत तो सबकी होती है जिसे कोई हाथों की लकीरों में ढूंढता है तो कोई सिर्फ मेहनत करने पर ध्यान देता है. वडोदरा की इस बेटी ने भी यही किया और फिर एक हाथ न होने के बावजूद अपनी किस्मत लिख डाली.
यह कहानी है वड़ोदरा की मुस्कान शेख की. एक सड़क दुर्घटना में अपना एक हाथ गंवाने के बाद भी मुस्कान ने बिना हिम्मत हारे अपनी पढ़ाई जारी रखी और आज एसएसजी अस्पताल में एमबीबीएस के अंतिम वर्ष में पढ़ रही हैं.
एक्सीडेंट में गंवाया दाहिना हाथ
नौ साल पहले, जब मुस्कान आठवीं कक्षा में पढ़ रही थी, तो एक यात्रा के दौरान एक दुर्घटना में उन्होंने अपना दाहिना हाथ खो दिया था. अगर इंसान के शरीर का एक हिस्सा कम हो जाए तो काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. खासकर भारत जैसे देश में जहां अभी भी दिव्यांगों के अनुकूल सुविधाएं नहीं हैं.
इस दुर्घटना ने उनकी जिंदगी का रुख मोड़ दिया पर मुस्कान ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने बाएं हाथ से लिखना सीखा. क्योंकि मुस्कान पढ़ाई में बहुत अच्छी थीं. मुस्कान के माता-पिता एक सरकारी स्कूल में बतौर शिक्षक कार्यरत हैं. वे भी इस बात का ध्यान रखते थे कि उनकी लाडली बेटी पढ़ाई में कोई कसर न छोड़े.
बाएं हाथ से दी थीं आठवीं की परीक्षा
साल 2014 में एक दुर्घटना के बाद, अस्पताल में इलाज के दौरान, मुस्कान ने अपने बाएं हाथ से लिखने का कौशल विकसित करना शुरू कर दिया. क्योंकि वह 8वीं कक्षा की परीक्षा देने जा रही थीं. और उन्होंने परीक्षा भी अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की. समय के साथ, उनकी प्रतिभा का ग्राफ बढ़ता गया और उन्होंने कक्षा 10 में 94 प्रतिशत और कक्षा 12 विज्ञान स्ट्रीम में 81 प्रतिशत अंक प्राप्त किए.
मेडिकल ब्रांच में दाखिले के लिए नीट में अच्छे अंक हासिल करने के बाद वह शारीरिक रूप से दिव्यांग श्रेणी में पूरे गुजरात में प्रथम आईं. और आज वह अपना और अपने परिवार का सपना साकार कर रही हैं. मुस्कान MBBS के अंतिम वर्ष में हैं और जल्द उनकी इंटर्नशिप शुरू हो जाएगी. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि मुस्कान बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा हैं.
(वडोदरा से दिग्विजय पाठक की रिपोर्ट)