भारत को अपनी गुरु-शिष्य संस्कृति के वजह से जाना जाता है. सदियों से गुरुओं को सर्वोपरि माना गया है. अब इसी कड़ी में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने गुरु को सबसे बड़ी गुरु दक्षिणा दी है. केरल के दो दिवसीय दौरे पर गए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने स्कूल के शिक्षक से मुलाकात की. वे केरल के उत्तरी जिले में पन्नियानूर ग्राम पंचायत में रहते हैं. उपराष्ट्रपति ने अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के साथ स्कूल की शिक्षिका रत्ना नायर से मुलाकात की. इतने साल के बाद अपने शिष्य को देखकर वे बहुत खुश हुई. वहां मौजूद अधिकारियों के मुताबिक, उन्होंने कहा कि इससे बेहतर गुरु दक्षिणा नहीं हो सकती.
उपराष्ट्रपति ने ट्वीट कर जताई खुशी
दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने शिक्षक से मिलने के बाद एक व्यक्ति के जीवन में गुरु के मार्गदर्शन के महत्व पर एक ट्वीट भी पोस्ट किया. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "एक गुरु का मार्गदर्शन और करुणा एक दिक्सूचक है जो किसी के जीवन की दिशा को निर्देशित करता है. सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में आज केरल में अपने निवास स्थान पर मेरी शिक्षिका रत्ना नायर से मिलने के लिए मैं बहुत आभारी हूं.”
इसके अलावा, उपराष्ट्रपति ने अपने शिक्षक और उनके परिवार के साथ अपनी मुलाकात के एक छोटे से वीडियो के साथ ट्वीट किया, "उनके स्नेह और आशीर्वाद से अभिभूत हूं."
नारियल पानी से किया स्वागत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा कि शिक्षिका और उनके परिवार ने उपराष्ट्रपति का नारियल पानी से स्वागत किया और उन्हें और उनकी पत्नी को घर में बनी इडली और केले के चिप्स परोसे. हालांकि, शिक्षिका रत्ना नायर के कई छात्र बड़े-बड़े पदों पर हैं, ज्यादातर सशस्त्र बलों और पुलिस में, लेकिन ऐसा पहली बार है कि उनमें से एक देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचा है. उन्हें अपने "जगदीप" पर काफी गर्व है.
शिक्षिका ने पुराने दिनों को किया याद
शिक्षिका ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बचपन के चेहरे को याद करते हुए कहा “खाकी में एक युवा लड़के, पहली पंक्ति में बैठे, पूरी तरह से क्लास में फोकस रहता है.” वे कहती हैं कि जगदीप धनकड़ बेहद एक्टिव, अनुशासित और आज्ञाकारी लड़के थे. जो क्लास के अंदर और बाहर की सभी एक्टिविटी में अच्छा प्रदर्शन करते थे.
वे आगे कहती हैं, “माता-पिता बीच-बीच में स्कूल आ जाते थे. मुझे याद है कि जगदीप के पिता इन मीटिंग में बहुत नियमित रूप से शामिल होते थे. वह अपने दोनों बेटों की प्रगति पर नजर रखने के लिए हर महीने स्कूल आते थे."