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President के सरकारी आवास Rashtrapati Bhavan की क्या है खासियत, जानिए

Rashtrapati Bhavan: चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होगा और 21 जुलाई को नए राष्ट्रपति मिल जाएंगे. राष्ट्रपति जिस सरकारी आवास में रहते हैं, उसे राष्ट्रपति भवन कहते हैं. राष्ट्रपति भवन दुनिया में किसी भी राष्ट्राध्यक्ष के आवास से बड़ा है. राष्ट्रपति भवन की भव्यता बहुआयामी है.

राष्ट्रपति भवन का बैंक्विट हॉल ( Photo/presidentofindia.nic.in) राष्ट्रपति भवन का बैंक्विट हॉल ( Photo/presidentofindia.nic.in)
हाइलाइट्स
  • राष्ट्रपति भवन के निर्माण में लगे 17 साल

  • राष्ट्रपति भवन के बनने के 17 साल बाद आजाद हुआ देश

राष्ट्रपति भवन का आकार और भव्यता बेहतरीन है. दुनिया भर में ऐसा विशाल भवन शायद ही किसी देश में है. राष्ट्रपति भवन दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के राष्ट्रपति का निवास स्थान है. पहले ब्रिटिश वायसराय का सरकारी आवास था. इसका निर्माण उस वक्त किया गया, जब साल 1911 में तय हुआ कि भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट किया जाएगा. भवन के निर्माण में 17 साल लग गए. 26 जनवरी 1950 को इसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की स्थाई संस्था के रूप में बदल दिया गया. राष्ट्रपति भवन चार मंजिला है और इसमें 340 कमरे हैं. राष्ट्रपति भवन में इमारत के अलावा मुगल गार्डन और कर्मचारियों का भी आवास है. राष्ट्रपति भवन का निर्माण वास्तुकार एडविन लैंडसीयर लुट्येन्स ने किया था. चलिए आपको राष्ट्रपति भवन की भव्यता और विशेषता बताते हैं.

दरबार हॉल-
दरबार हॉल में 33 मीटर की ऊंचाई पर 2 टन का झाड़फानूस लटका हुआ है. अंग्रजों के शासन में इसे सिंहासन कक्ष कहा जाता था. इसमें दो सिंहासन वायसराय और वायसरीन के लिए होते थे. हालांकि अब इसमें सिर्फ एक साधारण कुर्सी होती है, जो राष्ट्रपति के लिए होती है. 5वीं शताब्दी के गुप्त काल से जुड़ी आशीर्वाद की मुद्रा वाली गौतमबुद्ध की मूर्ति है. इस हॉल का इस्तेमाल राजकीय समारोह, पुरस्कार वितरण के लिए किया जाता है. 

मारबल हॉल-
किंग जॉर्ज पंचम और महारानी मेरी की प्रतिमाएं हैं. पूर्व वायसरायों और गवर्नर जनरलों के तैल चित्र हैं. महारानी का इस्तेमाल किया गया चांदी का सिंहासन भी है. ब्रिटिश राजमुकुट की पीतल की प्रतिकृति भी रखी गई है.

संग्रहालय-
थॉमस डेनियल और विलियम डेनियल के उकेरे चित्र और कई राष्ट्राध्यक्षों के सिग्नेचर फोटोग्राफ हैं. इसके अलावा राष्ट्रपति को मिले उपहारों को प्रदर्शित किया गया है. महात्मा गांधी के शव पर चढ़ावा गया सूरजमुखी का फूल भी रखा गया है. पश्चिम बंगाल के नादिया के एक बुनकर का बनाया खादी का एक किलोमीटर लंबा धागा रखा गया है. साल 1911-12 में दिल्ली दरबार में किंग एम्परर ने जिस चांदी के सिंहासन का इस्तेमाल किया था, उसे भी रखा गया है.

नॉर्थ ड्राइंग रूम-
नॉर्थ ड्राइंग रूम में राष्ट्रपति दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात करते हैं. ड्राइंग रूम में दो तस्वीर खास है. जिसमें एसएन घोषाल की 14 अगस्त को सत्ता हस्तांतरण की तस्वीर है और ठाकुर सिंह के जरिए प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल के शपथ ग्रहण समारोह की तस्वीर.

अशोक हॉल-
अशोक हॉल एक विशाल आभूषण घर जैसा है. इसमें शाही नृत्य कक्ष के रूप में निर्मित किया गया था. इका फर्श लकड़ी का है और इसमें एक केंद्रीय नृत्य स्थान है. इसमें तीन ड्योढ़ियां हैं. अशोक हॉल की छत पर फारसी शैली में चित्रकारी की गई है. मुख्य चित्रकारी में शाही शिकार का दृश्य दर्शाया गया है. जबकि कोनों में दरबारी जीवन को दिखाया गया है. अशोक हॉल में चमड़े पर चित्रकारी करने की वजह से ज्यादातर रंग हरे हैं. इसमें सफेद रंग भी भूरापन लिए दिखाई देता है. यह चित्रकारी लेडी विलिंग्डन ने अपने पति के वायसराय काल में करवाया था.

बैंक्विट हॉल-
इस हॉल में 104 लोगों के बैठने की जगह है. इसे पहले स्टेट डायनिंग हॉल कहते थे. बाद में इसे बैंक्विट हॉल कहा जाने लगा. पूर्व राष्ट्रपतियों के चित्र इस हॉल में दीवारों पर लगे हुए हैं.

येलो ड्राइंग रूम-
येलो ड्राइंग रूम का इस्तेमाल छोटे कार्यक्रमों के लिए किया जाता है. जैसे किसी अकेले मंत्री के शपथ-ग्रहण हो या मुख्य निर्वाचन आयुक्त का शपथ ग्रहण हो, इस तरह के छोटे राजकीय समारोह के लिए इसका इस्तेमाल होता है. इसके साथ ही एक ग्रे ड्राइंग रूम है, जिसका इस्तेमाल अतिथियों के स्वागत के लिए किया जाता है.
राष्ट्रपति भवन के खंभों में भारतीय मंदिरों की घंटियों का इस्तेमाल है. राष्ट्रपति भवन का सबसे विशेष पहलू इसका गुंबद है, जो काफी दूर से दिखाई देता है. इस गुंबद का ढांचा सांची के स्तूप की बनावट पर तैयार किया गया था. वास्तव में पूरा राष्ट्रपति भवन बौद्ध रेलिंगों, छज्जों, छतरियों और जालियों जैसे भारतीय वास्तुशिल्प संबंधी बनावटों का मूर्त रूप है.

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