दिल्ली और गुड़गांव के गरीब बच्चों तक ज्ञान का प्रसार करती यह एक डिजिटल बस है. ट्राई पार्टी भागीदारी से बनी यह बस, hp कंपनी ने बनाई है. इसका संचालन सर्द (SARD) और mareli फाउंडेशन के द्वारा किया जा रहा है. इस बस को अंदर से देखकर कोई नहीं कह सकता कि यह एक बस है. इस बस में अत्याधुनिक डिजिटल व्यवस्थाएं की गई हैं ताकि बच्चों को आधुनिक शिक्षा आराम से दी जा सके. बस के अंदर 20 कंप्यूटर मौजूद है, जिनके साथ में माइक, हेडफोन और कैमरा की भी व्यवस्था की गई है. इस बस के अंदर दो बड़ी एलईडी स्क्रीन भी मौजूद है, जिनके द्वारा शिक्षक आराम से बच्चों को पढ़ा सकते हैं.
एक दिन में एक या दो स्कूल करती है कवर
इस डिजिटल बस का नाम world on wheels है. इसके अंदर कक्षा पहली से लेकर 12वीं तक का एनसीईआरटी सिलेबस मौजूद है. इसके साथ ही इसके अंदर ऑनलाइन एजुकेशन पोर्टल के अन्य पढ़ाई की सामग्री भी दी गई है. इस बस के अंदर 8 टेराबाइट का सरवर दिया गया है, जिसमें आराम से 1000 मूवीज जितनी स्टोरेज की जा सकती है. यह बस 1 दिन में एक या दो स्कूल कवर करती है, जिसमें हर क्लास को 45 मिनट का समय दिया जाता है. सिलेबस के अंदर बस में सभी सब्जेक्ट की जानकारी मौजूद है. इसमें ना सिर्फ चैप्टर्स है बल्कि उनके साथ में एसेसमेंट के लिए अलग से एक्सरसाइसेज भी मौजूद है.
तीन साल पहले हुई थी शुरुआत
इस चमचमाती बस की शुरुआत 3 साल पहले की गई थी. इस बस का संचालन अब दिल्ली और गुड़गांव में हो रहा है. अब तक इसके द्वारा 4000 बच्चें शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं. इस बस की शुरुआत पर पूर्व मेयर एसडीएमसी, कमलजीत कौर बताती है की शिक्षा की पहुंच को बच्चों तक पहुंचाने के लिए यह बस एक प्रयास है ताकि अच्छी शिक्षा उन बच्चों तक पहुंच सके जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं.
रोज कुछ नया सीखते हैं बच्चे
इस बस से बच्चे भी बेहद खुश हैं. इस बस के माध्यम से उन्हें रोज कुछ नया सीखने को मिलता है. बच्चे कंप्यूटर चलाने से लेकर खुद अपनी चैप्टर की एक्सरसाइज करना सीख गए हैं. सर्द फाउंडेशन के सीईओ सुधीर भटनागर बताते है की इस बस में सभी सुविधाएं है जो एक डिजिटल क्लास के लिए आवश्यक होती हैं. इसमें सोलर पैनल लगा है जिसके जरिए इसमें इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई होती है. इसमें 3 दिन तक की बैटरी की व्यवस्था है. बस में कम्युनिटी को इनफॉर्मेटिव फिल्म दिखाने के लिए एक एलईडी स्क्रीन बस के पीछे की ओर लगी हुई है, जो गांव और दूर-दराज के इलाके में जागरूकता से जुड़ी फिल्में दिखाने के लिए इस्तेमाल होती है.