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Budaun Lok Sabha Election: 9 बार लड़ चुके हैं Hari Singh, पेंशन और जमीन बेचकर इलेक्शन में करते हैं खर्च, चंदा से भी मिलता है पैसा

Lok Sabha Election 2024: बदायूं लोकसभा सीट से हरि सिंह ने पर्चा दाखिल किया था. लेकिन जांच में उनका नामांकन अवैध पाया गया और रद्द कर दिया गया. आपको बता दें कि 70 साल के हरि सिंह 9 बार चुनाव लड़ चुके हैं. हरि सिंह पेंशन के पैसे और जमीन बेचकर चुनाव में खर्च करते हैं.

Leader Hari Singh Leader Hari Singh

आम चुनाव को लोकतंत्र का पर्व माना जाता है. लोग इस पर्व को मनाने के लिए अलग-अलग तरीके के प्रयास करते हैं. आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताते हैं, जो इस पर्व को मनाने के लिए बार-बार प्रत्याशी बनते हैं, चुनाव लड़ते हैं. चुनाव लड़ना इनके जीवन का मकसद है. इनका नाम हरि सिंह है और ये 70 साल के हैं. हरि सिंह ने बदायूं लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया था. हालांकि जांच में उनका नामांकन रद्द कर दिया गया. हरि सिंह जमीन बेचकर एमपी और एमएलए के 9 चुनाव लड़ चुके हैं. चलिए इनके बारे में बताते हैं.

कौन हैं हरि सिंह-   
हरि सिंह पेशे से सरकारी कर्मचारी थे, लेकिन इनका मन राजनीति में अधिक लागता था. महात्मा ग़ांधी को आदर्श मानने वाले हरि सिंह 8 विधानसभा चुनाव और एक लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं. उन्होंने पहला चुनाव साल 1989 में लोकदल(व) से लड़ा और तब से अभी तक लगातार चुनाव लड़ते आ रहे हैं.

हरि सिंह चुनाव को पर्व की तरह मानते है. हरि सिंह इस चुनाव को अपना अंतिम चुनाव मानकर नामांकन पत्र दाखिल किया था, लेकिन उनका नामांकन जांच में सही नही पाया गया. जिसके चलते उनका नामांकन रद्द कर दिया गया. हमारी टीम ने हरि सिंह से बातचीत की. उन्होंने कहा कि पहले जनता कैंडिडेट देखती थी, लेकिन अब ईमानदार कैंडिडेट नहीं, बल्कि पैसा होना चाहिए. चलिए बताते हैं कि उन्होंने बातचीत में क्या कुछ कहा.

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आपने पहला चुनाव अपना कब लड़ा था-
जब हरि सिंह ने पूछा गया कि आपने पहला चुनाव कब लड़ा था? इसपर हरि सिंह ने कहा कि साल 1989 में लोकदल (व) से चुनाव लड़ा था. उन्होंने बताया कि 4 बार सहसवान विधानसभा से चुनाव लड़ चुका हूं, 4 बार गुन्नौर विधानसभा उम्मीदवार रहा हूं, प्रधान भी रहा हूं, जिला पंचायत सदस्य भी रहा हूं. चुनाव लड़ना ही हमारा जीवन है, बहुत संघर्ष किया हैं.

चुनाव लड़ने के लिए बेचनी पड़ी जमीन-
बदायूं लोकसभा सीट से हरि सिंह ने नामांकन दाखिल किया था. जब उनसे पूछा गया कि चुनाव लड़ने के लिए आप फंड कैसे मैनेज करते हैं? इसपर उन्होंने बताया कि हमारे पास संपत्ति थी, जमीन भी था और नौकरी भी थी, इंटर कॉलेज में नौकरी करते थे, खेती से आमदनी होती थी. उन्होंने बताया कि 4-6 बीघा जमीन बेच चुका हूं. 50-60 बीघा जमीन थी.

हरि सिंह ने बताया कि पहले के इस चुनाव में जमीन-आसमान का फर्क है. पहले पैदल भी लड़ जाते थे, लोग साइकिल से भी लड़ जाते थे और उन्हीं को लोग वोट देते थे, ट्रैक्टर से गस्त होती थी, अब गाड़ियों से होने लगी. पहले दो -दो, चार -चार गाड़ियों से इलेक्शन हो जाता था और अब 50,100 गाड़ियों से होता है. अब इलेक्शन बहुत महंगा है. पहले इलेक्शन महंगा नहीं था और नेताओं का लड़ने का भी तरीका अपना अलग था. पहले ईमानदार लोगों को वोट देती थी जनता, नेता को उसके हाव भाव से पहचानती थी, अब तो पार्टी को वोट देती है. रैली में ले जा रहे, खाने को मिलता है, पीने को मिलता है, तो वोट देती है. हम जैसे लोगों को वोट कम मिलता है. उन्होंने कहा कि यह चुनाव हमारा अंतिम चुनाव है. ये भी हमारा आखिरी पर्व है, जिससे चुनाव लड़ना जरूरी है.

उन्होंने कहा कि चंदा मिल जाता है. हमारे पास 4-6 लाख रुपए है. बाकी का पैसा खेती का है, पेंशन का भी है और चुनाव लड़ने के लिए पब्लिक भी हमें चंदा देती है.

कैसे करेंगे प्रचार?
हरि सिंह ने कहा कि अब चुनाव प्रचार के लिए पैसों की कोई खास जरूरत नहीं है. इंटरनेट से कर सकते हैं, सभाओं से कर सकते हैं, सबसे बड़ा तरीका तो ये नेट का सिस्टम हो गया, कहीं मत जाओ,परमिशन लो, सभा करो और नेट पर दिखा दो. तो हम नेट से भी करेंगे, सवारी से भी करेंगे, घूमेंगे भी, जैसे संभव होगा उस तरह से करेंगे.

फैमिली में कौन-कौन है?
हरि सिंह के 6 बच्चे हैं. 4 लड़के और 2 लड़कियां हैं. उनकी पत्नी नहीं है. बच्चे जॉब करते हैं. उन्होंने कहा कि बच्चे हमसे कुछ नहीं कहते हैं. हमसे कह देते हैं कि पापा का है सब, हमारा नहीं है. हमे कोई रोकने वाला नहीं है. उनका कहना है कि चुनाव का खर्च कुछ पेंशन से इकट्ठा कर लेते हैं, कुछ जमीन से हो जाता है, कुछ जनता भी मदद करती है.
(बदायूं से अंकुर चतुर्वेदी की रिपोर्ट)

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