मध्य प्रदेश की हॉट सीटों में से एक दमोह पर पिछले 35 सालों से बीजेपी (BJP) का कब्जा है. तमाम प्रयास के बाद भी भाजपा के इस मजबूत किले में कांग्रेस (Congress) सेंध नहीं लगा पा रही है. पिछले दो चुनावों में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को यहां से जीत मिली थी. हालांकि इस बार बीजेपी ने राहुल सिंह लोधी को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी पर भरोसा जताया है. दिलचस्प बात ये कि दोनों नेता पहले कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं. बता दें कि 1989 से दमोह बीजेपी का गढ़ है लेकिन उससे पहले यहां से 5 बार कांग्रेस जीत दर्ज कर चुकी है.
कौन हैं बीजेपी के राहुल सिंह लोधी और कांग्रेस के तरवर सिंह लोधी ?
* राहुल सिंह लोधी
राहुल सिंह लोधी दमोह विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में राहुल सिंह ने बीजेपी के जयंत मलैया को करीबी मुकाबले में 798 वोटों से हराया था. 2020 में वे भाजपा में शामिल हो गए. विधायकी से इस्तीफा देने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ. लेकिन इस बार कांग्रेस के अजय टंडन से 17 हजार वोटों से उन्हें शिकस्त खानी पड़ी. हालांकि इस हार से उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि उन्हें शिवराज सरकार में मंत्री बनाया गया.
* तरवर सिंह लोधी
कांग्रेस ने तरवर सिंह लोधी को टिकट दिया है. तरवर सिंह बंडा के पूर्व विधायक हैं और पूर्व सीएम कमलनाथ के करीबी बताए जाते हैं. जमीनी नेता के रूप में उनकी पहचान है. सरपंच पद से उन्होंने राजनीतिक करियर शुरू किया और 2018 में बीजेपी के हरवंश राठौर को 25 हजार वोटों से हराकर पहली बार विधायक बने. हालांकि 2023 में बीजेपी के वीरेंद्र लोधी से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. एक बार फिर कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताया है.
2014 और 2019 का जनादेश
2014 और 2019 के आम चुनाव में देश ने मोदी लहर देखा. इन दोनों चुनावों में बीजेपी को यहां से बंपर जीत मिली. 2014 के चुनाव में प्रहलाद पटेल ने कांग्रेस के महेंद्र प्रताप सिंह को शिकस्त दी थी. इस चुनाव में प्रहलाद पटेल को 5,13,079 वोट तो महेंद्र प्रताप सिंह को 2,99,780 वोट मिले थे. 2019 के चुनाव में फिर से एक बार प्रहलाद पटेल को जीत मिली. इस चुनाव में उन्होंने प्रताप सिंह लोधी को हराया था. प्रहलाद पटेल को 704,524 वोट तो प्रताप सिंह लोधी को 3,51,113 वोट मिले थे.
1989 से लगातार बीजेपी का कब्जा
भाजपा इस सीट पर पिछले 35 सालों से काबिज है. 1989 में लोकेंद्र सिंह, 1991 से 1999 तक चार बार रामकृष्ण कुसमरिया, 2004 में चंद्रभान भैया, 2009 में शिवराज लोधी, 2014 और 2019 में प्रहलाद पटेल को यहां से जीत मिली. हालांकि 1962,1967, 1971,1980 और 1984 में कुल 5 बार कांग्रेस को यहां से सफलता मिली थी. बाकी पिछले 3 चुनावों के आंकड़ों को देखे तो कांग्रेस आसपास भी नजर नहीं आ रही है. ऐसे में 2024 का चुनाव जीतकर कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पाना चाहेगी. वहीं भाजपा अपने किले को और मजबूत करना चाहेगी.
विधानसभा सीट और जातीय समीकरण
कुल 19.09 लाख वोटर वाले इस सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र- रहली, देवरी, बंडा, दमोह, हटा, पथरिया, जबेरा और मलहरा आते हैं. इन 8 में से 7 पर बीजेपी का कब्जा है. लोधी समाज के वोटर्स की संख्या अधिक होने के कारण भाजपा और कांग्रेस दोनों ने लोधी समाज से आने वाले उम्मीदवार को टिकट दिया है. वैसे तो चुनाव किसी भी जाति का लड़े लेकिन पिछले 35 सालों से जीत बीजेपी को ही मिली है.