लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस ने दिल्ली के तीन उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. इन तीन उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा हाई प्रोफाइल उम्मीदवार कन्हैया कुमार हैं. कन्हैया कुमार अब दो बार के सांसद और भोजपुरी एक्टर मनोज तिवारी को सीधी चुनौती देंगे. सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि देशभर की नजर इस हाई प्रोफाइल मुकाबले पर रहने वाली है. चलिए आपको बताते हैं कि ये मुकाबला इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
पूर्वांचली बनाम पूर्वांचली-
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में पूर्वांचली या भोजपुरी भाषी लोगों की आबादी काफी ज्यादा है. यह पूरे देश का सबसे सघन आबादी वाला इलाका है. यहां पर अनधिकृत कॉलिनियों में अलग-अलग राज्यों से प्रवासी या माइग्रेट जनसंख्या सबसे ज्यादा है. इसी इलाके में बुराड़ी, करावल नगर, सीमापुरी, गोकुलपुरी जैसे क्षेत्र आते हैं, जहां सैकड़ों की तादाद में अनऑथराइज्ड कॉलोनियां हैं. इन कॉलोनियों में बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आकर काम करने वाली बड़ी आबादी रहती है. ऐसे में उन सबका वोट किस तरफ जाएगा, यह भी यहां का चुनावी समीकरण तय करेगा.
21 फीसदी मुस्लिम आबादी मतदाता-
दिल्ली में साल 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में धार्मिक ध्रुवीकरण बहुत ज्यादा देखने को मिला. इस लोकसभा क्षेत्र में सीलमपुर, मुस्तफाबाद, बाबरपुर और करावल नगर जैसे क्षेत्र आते हैं, जहां मुस्लिम आबादी काफी ज्यादा है. पूरे लोकसभा क्षेत्र में वोटरों के लिहाज से 21 फीसदी वोटर मुस्लिम समुदाय से आते हैं. इसलिए संभावना यही है कि इस बार के चुनाव में भी धार्मिक ध्रुवीकरण का मुद्दा काफी जोर पकड़ सकता है.
दो दिग्गजों के बीच सियासी लड़ाई-
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट पर इस बार दो दिग्गजों के बीच सियासी लड़ाई होने वाली है. एक तरफ भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी हैं तो दूसरी तरफ युवाओं के बीच लोकप्रिय कन्हैया कुमार हैं. बीजेपी के उम्मीदवार मनोज तिवारी लगातार दो बार सांसद रह चुके हैं. उनकी इस इलाके में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है. नेता के तौर पर वह लोकप्रिय हों ना हों, लेकिन अभिनेता और गायक के तौर पर उनकी फैन फॉलोइंग का जवाब नहीं है. जबकि कन्हैया कुमार की स्टार छवि अलग किस्म की है. कन्हैया कुमार जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्रसंघ प्रेसिडेंट थे, वो रातोंरात स्टार बन गए. उनके भाषणों के जरिए उनकी लोकप्रियता एक अलग स्तर तक पहुंच गई. अब वो NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और खास तौर पर युवाओं से जुड़े मुद्दे लगातार उठाते रहे हैं.
मोदी का सिपाही बनाम राहुल का राइट हैंड-
राहुल गांधी की दोनों 'भारत जोड़ो यात्रा' में कन्हैया कुमार काफी सक्रिय रहे. लगातार उन यात्राओं की योजना बनाना और युवाओं को साथ जोड़ने में उनकी अहम भूमिका रही है. कभी कम्युनिस्ट रहे कन्हैया कुमार अब राहुल गांधी के सबसे सक्रिय सिपहसालारों में से एक हैं. वहीं, मनोज तिवारी की अहमियत इस बात से पता चलती है कि बीजेपी ने दिल्ली की 7 सीटों में से सिर्फ एक मौजूदा संसद को टिकट दिया गया और वह मनोज तिवारी हैं. मनोज तिवारी खुद को नरेंद्र मोदी का एक सिपाही मानते हैं और सिर्फ दिल्ली की सियासत में ही नहीं, बल्कि अलग-अलग राज्यों में बतौर स्टार प्रचारक उनकी भूमिका काफी अहम रही है.
नॉर्थ ईस्ट की जंग से निकलेगा दिल्ली का भविष्य-
एक बात तो तय है कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के नतीजे चाहे जो भी हो, यह आने वाले दिनों में देश की राजधानी की राजनीति की दिशा जरूर तय करेगा. इन चुनाव में चाहे मनोज तिवारी जीते या फिर कन्हैया कुमार, दोनों के सामने दिल्ली की राजनीति में अपनी पार्टी को नेतृत्व देने की काफी क्षमता मौजूद है. मौजूदा समय में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल कई आरोपों में घिरे हैं, ऐसे में यहां से जो भी जीतेगा, उसे उनकी पार्टी दिल्ली के भविष्य के तौर पर प्रोजेक्ट कर सकती है.
(दिल्ली से कुमार कुणाल की रिपोर्ट)
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