भारत की कोयला राजधानी के नाम से मशहूर धनबाद का मुकाबला इस बार बेहद ही दिलचस्प होने जा रहा है. इस सीट से 7 बार भारतीय जनता पार्टी ने और 6 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. 2009 के बाद से लगातार बीजेपी के पशुपतिनाथ सिंह यहां से जीतते आए हैं. हालांकि 2024 चुनाव के लिए भाजपा ने उनकी जगह ढुलू महतो को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं कांग्रेस ने अनुपमा सिंह पर भरोसा जताया है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस सीट पर मुकाबला कांटे का होने जा रहा है.
कौन हैं बीजेपी के ढुलू महतो ?
जीत की हैट्रिक लगाने के बाद भी जब पशुपतिनाथ सिंह का टिकट काटकर बीजेपी ने ढुलू महतो पर भरोसा जताया तो लोगों में सबसे ज्यादा इस बात की चर्चा थी कि आखिर ढुलू महतो कौन हैं. तो चलिए हम आपको विस्तार से बता देते हैं. ढुलू तीन बार से (2009,2014, 2019) बाघमारा विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव जीतते आ रहे हैं. 2009 में वे झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते. लेकिन 2014 और 2019 में वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और दोनों ही चुनाव में उन्हें सफलता मिली. बाघमारा के चिटाही गांव के रहने वाले ढुलू ने 12वीं तक की पढ़ाई की है. उन्हें बाहुबली नेता कहा जाता है. उन पर कई मुकदमे भी दर्ज है और अलग-अलग मामलों में जेल भी जा चुके हैं.
कौन हैं कांग्रेस की अनुपमा सिंह ?
बाहुबली नेता ढुलू महतो के सामने कांग्रेस ने अनुपमा सिंह को मैदान में उतारा है. अनुपमा सिंह कांग्रेस के दिग्गज नेता स्वर्गीय राजेंद्र सिंह की पुत्रवधू और बेरमो विधायक जयमंगल सिंह की पत्नी हैं. राजेंद्र सिंह को बेरमो विधानसभा से तीन बार 2000, 2009 और 2019 में सफलता मिली थी. मई 2020 में उनके निधन के बाद बेरमो सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें उनके बेटे जयमंगल सिंह को जीत मिली. उन्होंने बीजेपी के योगेश्वर महतो को हराया था.
2009, 2014, 2019 का जनादेश
2009 से ही भाजपा इस सीट पर काबिज है. तीनों बार पशुपतिनाथ सिंह को सफलता मिली है. चुनाव दर चुनाव उनकी लोकप्रियता बढ़ती ही गई. ये बात उनको मिले वोटों से समझा जा सकता है. 2009 में उन्हें 2,60,521 (31.99 %) वोट मिले थे. इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के चंद्रशेखर दुबे को हराया था. 2014 के चुनाव में पशुपतिनाथ सिंह को 5,43,491 (47.51%) वोट मिले. जो कि पिछले चुनाव से 15.51% ज्यादा था. 2019 के चुनाव का परिणाम देखें तो उन्होंने कांग्रेस के कीर्ति आजाद को हराया था. इस चुनाव में उन्हें 827,234 (66.03%) वोट प्राप्त हुए जो कि 2019 के चुनाव से (18.51%) ज्यादा था. वहीं कीर्ति आजाद को केवल 3,41,040 ( 27.22%) वोट ही मिले थे.
विधानसभा सीट और जातीय समीकरण
2011 की जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 26 लाख 84 हजार 487 है. इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं. निरसा, धनबाद, चन्दनकियारी (अनुसूचित जाति ), बोकारो, झरिया और सिन्दरी. यहां 62% शहरी तो 38% ग्रामीण मतदाता हैं. ऐसे में शहरी मतदाता का झुकाव जिस भी पार्टी की तरफ होगा उस पार्टी को यहां से जीत मिलेगी.
सीट का इतिहास, कब किसको मिली जीत (1952-2019)
साल | पार्टी | जीतन वाले प्रत्याशी |
1952 | कांग्रेस | पीसी बोस |
1957 | कांग्रेस | पीसी बोस |
1962 | कांग्रेस | पीसी बोस |
1967 | निर्दलीय | रानी ललिता राज्य लक्ष्मी |
1971 | कांग्रेस | राम नारायण शर्मा |
1977 | मार्क्सवादी समन्वय समिति | एके रॉय |
1980 | मार्क्सवादी समन्वय समिति | एके रॉय |
1984 | कांग्रेस | शंकर दयाल सिंह |
1989 | कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मार्क्सवादी | एके रॉय |
1991 | भाजपा | रीता वर्मा |
1996 | भाजपा | रीता वर्मा |
1998 | भाजपा | रीता वर्मा |
1999 | भाजपा | रीता वर्मा |
2004 | कांग्रेस | चंद्र शेखर दुबे |
2009 | भाजपा | पशुपतिनाथ सिंह |
2014 | भाजपा | पशुपतिनाथ सिंह |
2019 | भाजपा | पशुपतिनाथ सिंह |