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India’s 2024 General Election: 44 दिन... 7 फेज... 96.9 करोड़ वोटर्स और 2669 राजनीतिक दल... ये है दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव

1951-1952 में भारत के पहले चुनाव में मतदान में लगभग चार महीने लगे थे, 1980 में केवल चार दिन और 2019 में 39 दिन. इस साल का 44 दिनों का चुनाव, इतिहास में दूसरा सबसे लंबा चुनाव है.

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हाइलाइट्स
  • 96.9 करोड़ वोटर्स 

  • दुनिया का सबसे महंगा चुनाव!

भारत का आम चुनाव हमेशा देश के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए एक यादगार घटना होता है. इसबार का आम चुनाव 19 अप्रैल को शुरू हुआ था और 1 जून को समाप्त हुआ. इसमें 64.2 करोड़ वोटर्स ने मतदान किया. यह 44-दिवसीय आयोजन विश्व स्तर पर सबसे बड़े चुनावों में से एक था. 

हालांकि, 2024 में 80 से ज्यादा देशों के लिए चुनावी साल है, इनमें कुछ सबसे प्रभावशाली और आबादी वाले देश भी शामिल हैं. लेकिन इन सबमें भी भारत अपने आकार, विविधता और इसमें शामिल तार्किक चुनौतियों के कारण अलग दिखता है. भारत की चुनावी प्रक्रिया 44 दिनों में सात चरणों में चली. ये चरण- 19 अप्रैल, 26 अप्रैल, 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को हुए. 

96.9 करोड़ वोटर्स 

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96.9 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर्स के साथ, भारत के मतदाताओं का आकार यूरोप की जनसंख्या से ज्यादा है और लगभग अफ्रीका के बराबर है. इन मतदाताओं ने 10.5 लाख मतदान केंद्रों पर 55 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) से अपना वोट डाला. ECI ने इस पूरे  प्रोसेस को सुविधाजनक बनाने के लिए लगभग 1.5 करोड़ पोलिंग स्टाफ और सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया था, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि दूरदराज के इलाकों में भी लोगों की मतदान केंद्रों तक पहुंच हो.

दुनिया का सबसे महंगा चुनाव!

इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, 2024 का चुनाव दुनिया का सबसे महंगा चुनाव होने की उम्मीद है, जिसमें 14.4 बिलियन डॉलर का अनुमानित खर्च होने की बात कही गई है. यह आंकड़ा 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति इलेक्शन में हुए खर्च को पार कर गया है. 

हालांकि, चुनाव और वोटिंग कभी आसान नहीं रही है. अरुणाचल प्रदेश में, चुनाव कर्मियों ने एक वोटर के लिए पोलिंग सेंटर स्थापित करने के लिए चार दिनों में 300 मील की यात्रा की. वहीं, हिमाचल प्रदेश में 15,256 फीट की ऊंचाई पर एक पोलिंग स्टेशन स्थापित किया गया. ये दुनिया में सबसे ऊंचा पोलिंग स्टेशन था. उड़ीसा के मलकानगिरी जिले में, माओवादी विद्रोहियों से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों की सुरक्षा के लिए मतदान कर्मचारी जंगलों में 15 किलोमीटर पैदल चले थे.

2,660 पार्टियां थीं शामिल 

भारत के बहुदलीय लोकतंत्र में 2,660 रजिस्टर्ड राजनीतिक दल शामिल हैं, जिनमें से हर दल के पास अपना चिन्ह है. बता दें,  2019 के चुनावों में, 36 पार्टियों ने लोकसभा में सीटें जीती थीं, जिनमें 8,054 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे थे, जिनमें 3,461 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल थे. 2019 के चुनाव में रिकॉर्ड 67.4% मतदान हुआ था, जिसमें 61.2 करोड़ लोगों ने वोट डाले थे. महिलाओं की भागीदारी भी 67.18% थी. 

बता दें, 2024 के चुनाव में प्रमुख दावेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीजेपी और मुख्य विपक्षी कांग्रेस पार्टी हैं. 2019 में, बीजेपी ने 303 सीटें हासिल की थी और उसके गठबंधन के पास कुल 353 सीटें थीं. कांग्रेस पार्टी ने 52 सीटें जीतीं, जबकि 91 सीटें उसके सहयोगियों के पास रहीं. 

इसमें इतना समय क्यों लगता है?

भारत के चुनाव कोई एक या दो दिन की बात नहीं है. देश के बड़े आकार और इसमें शामिल साजो-सामान के कारण इसमें काफी समय लगता है. 96.9 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं के साथ, जिनमें 1.8 करोड़ पहली बार के वोटर्स और 19.7 करोड़ 20 साल की उम्र के मतदाता शामिल रहे. 1951-1952 में भारत के पहले चुनाव में मतदान में लगभग चार महीने लगे थे, 1980 में केवल चार दिन और 2019 में 39 दिन. इस साल का 44 दिनों का चुनाव, इतिहास में दूसरा सबसे लंबा चुनाव है.

आज पूरा देश चुनाव परिणामों का इंतजार कर रहा है और जनता अपनी नई सरकार को चुनने के लिए बेताब है…