लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) का बिगुल बज चुका है. इस बार सात चरणों में चुनाव हो रहे हैं. पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल 2024 को हो चुका है. बड़ी पार्टियों से टिकट नहीं मिलने के कारण कई उम्मीदवार इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी कई प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं. इतना ही नहीं, इनमें से कई जीत कर सांसद भी बन चुके हैं.
सियासी दलों का बढ़ा रहे सिरदर्द
बिहार में पूर्णिया सीट से पप्पू यादव (Pappu Yadav) कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन टिकट नहीं मिलने पर वह निर्दलीय ही चुनाव मैदान में कूद पड़े हैं. इससे लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की चिंता बढ़ गई है क्योंकि यह सीट इंडिया ब्लॉक में आरजेडी के खाते में गई है. इसी तरह भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार पवन सिंह (Pawan Singh) बीजेपी (BJP) की ओर से मनपसंद सीट नहीं दिए जाने के कारण काराकाट लोकसभा सीट (Karakat Lok Sabha Seat) से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
राजस्थान की बाड़मेर सीट पर रवींद्र सिंह भाटी बीजेपी की टेंशन बढ़ा रहे हैं. कर्नाटक में बीजेपी से बगावत कर केएस ईश्वरप्पा ने भी शिमोगा सीट से निर्दलीय ताल ठोक दी है. इस तरह से बागी निर्दलीय सियासी दलों का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं. निर्दलीय उम्मीदवारों को कोई वोटकटवा तो कोई डमी उम्मीदवार कहता है. इनके चुनाव नहीं लड़ने की मांग कई बार हो चुकी है. 2015 में लॉ कमीशन ने सरकार से जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा चार और पांच में संशोधन की सिफारिश करते हुए यह कहा था कि सिर्फ पंजीकृत राजनीतिक दल के उम्मीदवारों को ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने की इजाजत दी जाए. आयोग का कहना था कि ज्यादातर निर्दलीय या तो डमी कैंडिडेट होते हैं या फिर गंभीरता से चुनाव नहीं लड़ते.
कब और कितने निर्दलीय बने सांसद
आजादी के बाद देश में पहली बार लोकसभा चुनाव 1951-52 में कराया गया था. पहले चुनाव से ही चुनाव मैदान में निर्दलीय उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाते आ रहे हैं. पहले आम चुनाव में कुल 37 निर्दलीय सांसद चुनकर लोकसभा पहुंचे थे. दूसरे लोकसभा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या और बढ़ गई. लोकसभा चुनाव 1957 में 42 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी. दूसरी लोकसभा में निर्दलीय जीत का यह आंकड़ा अब तक सबसे अधिक रहा है.
इतनों को मिली जीत
तीसरी लोकसभा के लिए चुनाव 1962 में कराया गया था. हालांकि इस चुनाव में निर्दलीय सांसदों की संख्या में कमी आई. 1962 में हुए लोकसभा के चुनावों में कुल 20 निर्दलीय प्रत्याशी सांसद बने. चौथी लोकसभा में निर्दलीय सांसदों की संख्या में एक फिर बढ़ोतरी हुई. लोकसभा चुनाव 1967 में कुल 35 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. लोकसभा चुनाव 1971 में एक बार फिर निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या घटी. इस बार सिर्फ 14 निर्दलीय सांसद चुने गए.
इमरजेंसी के बाद जब 1977 में हुआ था लोकसभा चुनाव
इमरजेंसी के बाद 1977 में लोकसभा चुनाव हुआ. इसमें निर्दलीय सांसदों का प्रतिनिधित्व फिर घट गया. छठी लोकसभा में केवल 9 निर्दलीय सांसद बने. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1980 में भी 9 निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत नसीब हुई. लोकसभा चुनाव 1984 में एक बार फिर निर्दलीय सांसदों का प्रतिनिधित्व में सुधार हुआ. कुल 13 स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. लोकसभा चुनाव 1989 में निर्दलीय सांसदों की संख्या में मामूली कमी आई. इस समय 12 निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली.
जब सिर्फ एक निर्दलीय को जीत हुई नसीब
10वीं लोकसभा के लिए चुनाव 1991 में हुआ. इसमें निर्दलीय सांसदों का प्रतिनिधित्व घट गया. सिर्फ एक स्वतंत्र उम्मीदवार को जीत नसीब हुई. इस तरह से लोकसभा के लिए निर्वाचित निर्दलीय सांसदों की सबसे कम संख्या 1991 में ही थी. 11वीं लोकसभा के लिए 1996 में चुनाव हुआ. इसमें 9 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की.
इसी तरह लोकसभा चुनाव 1998 में 6 निर्दलीय, लोकसभा चुनाव 1999 में भी 6 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की. 14वीं लोकसभा के लिए 2004 में चुनाव कराया गया. इसमें पांच निर्दलीय उम्मीदवारों को ही जीत हासिल हुई. लोकसभा चुनाव 2009 में 9 निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत नसीब हुई. 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव 2014 में कराया गया. इसमें सिर्फ तीन स्वतंत्र उम्मीदवार को जीत मिली.
लोकसभा चुनाव 2019 में कैसा रहा रिकॉर्ड
17वीं लोकसभा के लिए चुनाव 2019 में कराया गया था. इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा. इस चुनाव में कुल 3,461 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत अजमाई थी लेकिन सफलता सिर्फ चार को ही मिली. 3,449 की निर्दलीय उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. 2019 में महाराष्ट्र के अमरावती से नवनीत राणा, कर्नाटक के मांड्या से सुमलता अंबरीश, दादरा और नगर हवेली से मोहनभाई सांजीभाई और असम के कोकराझार से नबा कुमार सरानिया बतौर निर्दलीय जीतकर संसद पहुंचे थे.