बस्तर लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. यहां से भाजपा 1998 से 2014 तक चुनाव जीतती आई थी, लेकिन 2019 में कांग्रेस ने बाजी मार ली. अनूठे आदिवासी, मूल निवासियों और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध बस्तर सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इसमें 3 कांग्रेस के पास और 3 बीजेपी के पास है. इस बार यहां पहले चरण में यानी 19 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. नक्सल प्रभावित होने की वजह से इस सीट पर मतदान कराने के लिए चुनाव आयोग ने खास तैयारी की है.
2024 के लिए किसे मिला टिकट ?
2014 में गांव से सरपंच चुने गए महेश कश्यप पर भारतीय जनता पार्टी ने भरोसा जताया है. महेश 2016 में भाजपा में शामिल हुए थे और पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. वे अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पार्टी जिला अध्यक्ष रहे और लंबे समय तक धर्मांतरण के खिलाफ बीजेपी का चेहरा बने हुए थे. इसके अलावा उन्होंने विश्व हिंदू परिषद के जिला संगठन मंत्री, बजरंग दल के जिला संयोजक के रूप में भी काम किया. वहीं कांग्रेस ने कवासी लखमा को टिकट दिया है. लखमा 5 बार कोंटा विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. मूल रूप से वे सुकमा जिले के ग्राम नागारास के रहने वाले हैं.
2019 का जनादेश
1998 से लगातार इस सीट पर चुनाव जीतती आ रही भाजपा मोदी लहर के बावजूद 2019 में यहां हार गई. बता दें कि इस सीट पर 1998 में पहली बार भाजपा को जीत मिली थी. इसके बाद 2009 तक 4 बार बीजेपी के बलिराम कश्यप ने जीत दर्ज की तो वहीं साल 2011 और 2014 में दिनेश कश्यप को मौका मिला. लेकिन 2019 के चुनाव में कांग्रेस बीजेपी के 20 सालों का तिलिस्म का तोड़ने में कामयाब रही. बीजेपी के बैदूराम कश्यप को कांग्रेस के दीपक बैज ने 38,982 हजार वोटों से शिकस्त दी थी. बता दें कि बैदूराम कश्यप को 3 लाख 63 हजार 545 वोट और दीपक बैज को 4 लाख 2 हजार 527 वोट मिले थे. वहीं तीसरे नंबर पर सीपीआई के रामू राम ने 38 हजार 395 वोट प्राप्त किया था.
विधानसभा सीटें और समीकरण
बस्तर लोकसभा के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें हैं. बस्तर, दंतेवाड़ा, जगदलपुर, नारायणपुर, चित्रकोट, कोंडागांव, बीजापुर और कोंटा. यहां की 70% आबादी जनजातीय समुदाय की है. यहां चित्रकोट, तीरथगढ़ और कांगेर धारा ये सब ऐसे जलप्रपात हैं जिसको देखने के लिए पर्यटक यहां तक खींचे चले आते हैं. गुफाएं, घाटी और घने वनों से घिरे बस्तर पर कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी तो कभी निर्दलीय का कब्जा रहा. इस बार दोनों बड़ी पार्टी कांग्रेस और बीजेपी इस सीट को जीतना चाहेगी. भाजपा जहां कमबैक करना चाहेगी तो वहीं कांग्रेस अपनी जीत को दोहराना चाहेगी.
सीट का इतिहास, कब किसने मारी बाजी (1952-2019)
साल | पार्टी | जीतने वाले प्रत्याशी |
1952 | निर्दलीय | मुचाकि कोसा |
1957 | कांग्रेस | सुरति किस्तैया |
1962 | निर्दलीय | लखमू भवानी |
1967 | निर्दलीय | राम सुंदर लाल |
1971 | निर्दलीय | लंबोदर बलियार |
1977 | जनता पार्टी | दृगपाल शाह |
1980 | कांग्रेस | लक्ष्मण कर्मा |
1985 | कांग्रेस | मनकू राम सोढ़ी |
1989 | कांग्रेस | मनकू राम सोढ़ी |
1991 | कांग्रेस | मनकू राम सोढ़ी |
1996 | निर्दलीय | महेद्र कर्मा |
1998 | बीजेपी | बलिराम कश्यप |
1999 | बीजेपी | बलिराम कश्यप |
2004 | बीजेपी | बलिराम कश्यप |
2009 | बीजेपी | बलिराम कश्यप |
2014 2019 |
बीजेपी कांग्रेस |
दिनेश कश्यप दीपक बैज
|