लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को लेकर उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन (INDIA Bloc) आखिरकार पटरी पर आ ही गया. गठबंधन की सहयोगी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने सीट शेयरिंग का ऐलान कर दिया है. अखिलेश यादव की पार्टी ने कांग्रेस को 17 सीटें दी हैं. एक दिन पहले तक गठबंधन टूटने की खबरें आने लगी थीं. लेकिन अचानक ऐसा क्या हो गया कि 24 घंटे में सीट भी तय हो गई और गठबंधन का ऐलान भी हो गया. चलिए आपको यूपी में इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग फाइनल होने की इनसाइड स्टोरी बताते हैं.
यूपी में अखिलेश और राहुल साथ
उत्तर प्रदेश में इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग का ऐलान हो गया है. कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं. जबकि समाजवादी पार्टी समेत बाकी सहयोगी 63 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे. कांग्रेस के खाते में रायबरेली, अमेठी, कानपुर नगर, फतेहपुर सीकरी, बांसगांव, सहारनपुर, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, गाजियाबाद, मथुरा, सीतापुर, बाराबंकी और देवरिया सीट गई है.
कहां फंसा था पेंच
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन का ऐलान भले ही हो गया. लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब दोनों के रास्ते अलग होने लगे थे. दोनों पार्टियों के बीच लोकसभा की तीन सीटों को लेकर पेंच फंसा था. मामला इतना बढ़ गया था कि दोनों के रास्ते करीब-करीब अलग हो गए थे. अखिलेश यादव ने कह दिया था कि जब तक सीट शेयरिंग फाइनल नहीं होगा, तब तक राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल नहीं होंगे. इसके पीछे वजह कांग्रेस की 3 लोकसभा सीटों की मांग थी. दरअसल समाजवादी पार्टी कांग्रेस को 17 सीटें देने को राजी थी. लेकिन कांग्रेस 20 सीटों की मांग कर रही थी. बिजनौर, मुरादाबाद और बलिया सीट को लेकर पेंच फंसा गया था. समाजवादी पार्टी इन तीनों सीटों को देने के लिए राजी नहीं थी. मामला इतना बढ़ गया कि गठबंधन टूटने की आशंका जताई जाने लगी थी.
बलिया सीट पर क्यों अड़ी थी कांग्रेस?
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच अनबन की वजह बलिया सीट भी थी. कांग्रेस इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारना चाहती थी. सूत्रों की माने तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. क्योंकि इस सीट पर मुस्लिम और भूमिहार फैक्टर मजबूत है. इसके साथ ही अगर समाजवादी पार्टी का साथ मिल जाता तो यादव वोटर्स भी जुड़ जाते. ऐसे में इस सीट पर जीतने की संभावना बन सकती थी. लेकिन समाजवादी पार्टी इस सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी. आपको बता दें कि अजय राय पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ चुके हैं. फिलहाल गठबंधन में बलिया सीट समाजवादी पार्टी के पास ही है. समाजवादी पार्टी ने वाराणसी सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी है. आपको बता दें कि अखिलेश यादव की पार्टी ने वाराणसी से अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया था. लेकिन अब ये सीट कांग्रेस को दे दी गई है.
मुरादाबाद पर क्यों फंसा था पेंच?
सूत्रों की मानें तो मुरादाबाद सीट को लेकर भी कांग्रेस अड़ी हुई थी. इस सीट पर प्रियंका गांधी अपने किसी करीबी को चुनाव में उतारना चाहती थीं. लेकिन मुरादाबाद सीट अभी समाजवादी पार्टी के पास है. इसलिए पार्टी किसी भी कीमत पर इसे छोड़ने को तैयार नहीं थी.
प्रियंका ने संभाला मोर्चा, बन गई बात!
3 सीटों को लेकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच दूरियां बढ़ने लगी थी. दोनों पार्टियां करीब-करीब बातचीत बंद हो गई थी. लेकिन तभी प्रियंका गांधी एक्टिव हुईं. समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला और सबकुछ सेटल किया. बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी ने पहले राहुल गांधी से बात की. इसके बाद उन्होंने अखिलेश यादव को फोन मिलाया. दोनों नेताओं में बातचीत हुई और सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया. प्रियंका गांधी के हस्तक्षेप के बाद कांग्रेस ने बलिया, मुरादाबाद और बिजनौर सीट की डिमांड छोड़ दी. इसके साथ ही कांग्रेस ने दो सीटों पर बदलाव की भी मांग की. जिसकी समाजवादी पार्टी ने सहमति दे दी.
2017 में भी हुआ था गठबंधन
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच साल 2017 विधानसभा चुनाव को लेकर भी गठबंधन हुआ था. लेकिन दोनों पार्टियों को सिर्फ 54 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी गठबंधन ने 312 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. विधानसभा चुनाव में मिली इस हार के बाद गठबंधन टूट गया था.
पिछले 2 लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है. साल 2014 में बीजेपी ने 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि समाजवादी पार्टी को 5 और कांग्रेस को 2 सीटों पर जीत मिली थी. इस चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था. 2019 आम चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने गठबंधन किया था. इस गठबंधन ने 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी और बीजेपी को 9 सीटों का नुकसान हुआ था.
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