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Lok Sabha Election: उत्तर प्रदेश की 34 लोकसभा सीटों से अब तक नहीं चुनी गई कोई महिला सांसद, Varanasi और Gorakhpur में क्या है हाल

Lok Sabha Election 2024: देश के पहले आम चुनाव में 24 महिलाएं सांसद चुनी गई थीं. जबकि साल 2019 आम चुनाव में इनकी संख्या 78 पहुंच गई. लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी भी 34 लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां से एक बार भी महिला सांसद नहीं चुनी गई है. इसमें पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी और सीएम योगी का गृह जिला गोरखपुर भी शामिल है.

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देश में महिला आरक्षण और महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है. लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर बहस हो रही है. लेकिन उत्तर प्रदेश की सियासत की सच्चाई कुछ और है. यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 43 सीटें ऐसी हैं, जहां आम चुनावों के इतिहास में अब तक एक भी महिला सांसद नहीं चुनी गई हैं.

भागीदारी ज्यादा, प्रतिनिधित्व कम-
लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में महिलाओं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं. अगर आंकड़े देखे जाएं तो साल 2019 आम चुनाव में 67.18 फीसदी महिलाओं ने अपने वोट का इस्तेमाल किया था. ये आंकड़े पुरुष मतदाताओं के मुकाबले ज्यादा है. साल 2019 आम चुनाव में 67.01 फीसदी पुरुषों ने अपने मत का इस्तेमाल किया था. लेकिन उत्तर प्रदेश की बात करें तो प्रतिनिधित्व करने के मामले में महिलाएं पीछे छूट गई हैं. यूपी में 34 ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जहां एक बार भी महिला सांसद नहीं बनी हैं. कुछ सियासी दलों ने इन सीटों पर महिलाएं उम्मीदवार भी उतारा. लेकिन वो जीत हासिल करने में नाकाम रहीं. महिलाएं संसद में इन सीटों का प्रतिनिधित्व करने के लिए आज भी इंतजार कर रही हैं.

इन 34 सीटों पर अब तक महिला सांसद नहीं-
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 34 ऐसी सीटें हैं, जहां अब तक के संसदीय इतिहास में कोई भी महिला सांसद नहीं बनी है. ये सीटें सूबे की कुल सीटों का 42 फीसदी है. इसमें मुरादाबाद, आगरा, सहारनपुर, अमरोहा, बुलंदशहर, एटा, बागपत, गोरखपुर, बलिया, अकबरपुर, बस्ती, भदोही, देवरिया, फैजाबाद, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजीपुर, घोषी, हमीरपुर, जालौन, जौनपुर, कौशांबी,  कुशीनगर, मछली शहर,  मुजफ्फरनगर, नगीना, रॉबर्ट्सगंज, सलेमपुर, श्रावस्ती, संत कबीर नगर और वाराणसी शामिल है. ये वो सीटें हैं, जहां लोकसभा चुनाव में आज तक एक भी महिला उम्मीदवार को जीत नहीं मिली है.

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कई सीटों पर टिकट मिला, नहीं मिली जीत-
इनमें से कई ऐसी सीटें हैं, जहां सियासी दलों ने महिला उम्मीदवारों को उतारा. लेकिन उनकी जीत नहीं मिली. आगरा लोकसभा सीट की बात करें तो साल 2019 आम चुनाव में कांग्रेस ने प्रीता हरित को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन उनको सिर्फ 25149 वोट ही हासिल हुए. इसी तरह से एटा लोकसभा सीट पर साल 1962 आम चुनाव में जनसंघ ने जानकी देवी को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन उनको सिर्फ 34 हजार 441 वोट मिले थे.

पहले लोकसभा चुनाव में 24 महिलाएं बनी थीं सांसद-
आजादी के बाद पहली बार देश में साल 1951-52 में लोकसभा चुनाव हुए थे. इस चुनाव में 24 महिला सांसद चुनकर संसद गई थीं. इसमें मगथम चंद्रशेखर, सुचेता कृपलानी, कुमारी एनी मैस्करेन और अनुसूया भाऊराव बोरकर शामिल थीं. संसद में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ती गई. साल 2019 आम चुनाव में 78 महिलाएं सांसद चुनी गईं.

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