scorecardresearch

Lok Sabha Election 2024: इस लोकसभा चुनाव में कौन से बड़े मुद्दे रहेंगे हावी, किस राज्य में कैसा है समीकरण, कहां, कौन और किसके लिए खड़ी करेगा मुसीबत, यहां जानिए सबकुछ

Lok Sabha Election 2024 की तारीखों के ऐलान होते ही पूरे देश में सियासा पारा चढ़ गया है. बीजेपी जहां मोदी की गारंटी से इस बार लोकसभा की नैया पार करना चाह रही है तो वहीं कांग्रेस न्याय गारंटी को लेकर चुनावी मैदान में है. सपा, आप, तृणमूल कांग्रेस जैसी अन्य पार्टियां मोदी सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल पर सवाल उठाकर घेरने की कोशिश कर रही हैं.

Lok Sabha Election 2024 Lok Sabha Election 2024
हाइलाइट्स
  • पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को और आखिरी फेज की 1 जून को होगी

  • 4 जून 2024 को लोकसभा चुनाव के आएंगे नतीजे 

चुनाव आयोग (Election Commission) की ओर से लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) की तारीखों का ऐलान करते ही रणभेरी बज गई है. चुनाव मैदान सज चुका है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) हो, कांग्रेस (Congress) हो या अन्य दल सभी ने अपने-अपने बड़े नेताओं को मैदान में उतार दिया है. अगले तीन महीनों तक पूरा देश चुनावी रंग में रंगा नजर आएगा. राजनेता हर दांव-पेच आजमाते नजर आएंगे. आइए आज जानते हैं इस बार कौन से बड़े मुद्दे हावी रहेंगे और किस राज्य में कैसे समीकरण हैं?

543 सीटों के लिए सात फेजों में होगा चुनाव
लोकसभा की 543 सीटों के लिए इस बार चुनाव सात चरणों में होगा. पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को और आखिरी फेज की 1 जून को होगी. 4 जून 2024 को नतीजे आएंगे. चुनाव की तारीखों के ऐलान होते ही सियासा पारा चढ़ गया है. बीजेपी जहां मोदी की गारंटी से इस बार लोकसभा की नैया पार करना चाह रही है तो वहीं कांग्रेस न्याय गारंटी को लेकर चुनावी मैदान में है. सपा, आप, तृणमूल कांग्रेस जैसी अन्य पार्टियां मोदी सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल पर सवाल उठाकर घेरने की कोशिश कर रही हैं. इस लोकसभा चुनाव में कई मुद्दे हावी रहने वाले हैं.

पीएम मोदी हैट्रिक लगाने को लेकर आश्वस्त
पीएम मोदी (PM Modi) इस बार हैट्रिक लगाने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं. उनकी रैली में और भाषणों में इसकी झलक दिखती है. प्रधानमंत्री ने 'मोदी की गारंटी' को अपने अभियान का मुख्य विषय बनाया है. पीएम मोदी की वेबसाइट पर भी 'मोदी की गारंटी' को विस्तृत तरीके से बताया गया है. इसमें दर्शाया गया है कि ये युवाओं के विकास, महिलाओं के सशक्तिकरण, किसानों के कल्याण और उन सभी हाशिये पर पड़े व कमजोर लोगों के लिए एक गारंटी है, जिन्हें दशकों से नजरअंदाज किया गया है.

सम्बंधित ख़बरें

कांग्रेस अपनी 5 न्याय गारंटी को लेकर है मैदान में 
कांग्रेस इस लोकसभा चुनाव में 5 न्याय गारंटी को लेकर मैदान में कूदी है. जिसका उद्देश्य युवाओं, किसानों, महिलाओं, मजदूरों के लिए न्याय सुनिश्चित करना और साथ ही सहभागी न्याय सुनिश्चित करना है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान लोगों के सामने 'न्याय' की गारंटी पेश की गई है. कांग्रेस का घोषणापत्र इन गारंटियों के इर्द-गिर्द तैयार किए जाने की संभावना है. 

INDIA गठबंधन इस मुद्दे के सहारे 
INDIA गठबंधन में शामिल पार्टियां मोदी सरकार को बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई को लेकर घेरने की कोशिश कर रही हैं. नौकरियों की कमी, पेट्रोल-डीजल से लेकर रोजमर्रा की वस्तुओं के बढ़ते दाम को लेकर विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार पर सवाल उठा रही हैं. कांग्रेस चुनावी बॉन्ड योजना में कथित भ्रष्टाचार के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी को घेरने की कोशिश करेगी.

चुनाव अभियान के दौरान वह इसे जोर-शोर से उठाने की कोशिश करेगी. किसानों के मुद्दे और एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर भी विपक्षी पार्टियां चुनावी मैदान में बीजेपी को घेरने की कोशिश करेंगी. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का वादा किया है. 

बीजेपी इन मुद्दों को भुनाने की कोशिश में 
बीजेपी इस लोकसभा चुनाव में CAA यानी समान नागिरक संहिता (संशोधन) अधिनियम, अनुच्छेद 370, राम मंदिर निर्माण को भुनाने की कोशिश में है. जानकारों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी ने 370 सीटें जीतने का लक्ष्य राम मंदिर लहर को देखते ही तय किया है. इतना ही नहीं चुनावी मौसम के दौरान एक बड़ा मुद्दा है अमृत काल बनाम अन्य काल.

बीजेपी का दावा है कि मोदी सरकार ने सुशासन, तेज गति से विकास और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आश्वासन दिया है. इसे अमृतकाल बताया है वहीं, दूसरी ओर, कांग्रेस ने मोदी सरकार के 10 वर्षों को 'बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें, संस्थानों पर कब्जा, संविधान पर हमला और बढ़ती आर्थिक असमानताओं' वाला 'अन्य काल' करार दिया है.

किस राज्य में कैसा है समीकरण 
उत्तर प्रदेश: इस राज्य पर सभी पार्टियों की नजर है. यहां से दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है. पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा में गठबंधन था. इस बार सपा और कांग्रेस साथ मिलकर चुनावी मैदान में हैं. वहीं बीजेपी को अपना दल, निषाद पार्टी, सुभासपा और रालोद के साथ जुड़ने से इस बार भी प्रचंड जीत की उम्मीद है.

बसपा अकेले दम भर रही है. यूपी में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 62 सीटें पर जीत मिली थी. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 10, समाजवादी पार्टी (सपा) ने 5, कांग्रेस ने एक और बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल (सोनेलाल) ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी.

बिहार: सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर एनडीए गठबंधन से जुड़ चुके हैं. इससे बीजेपी का पलड़ा भारी है. इसके साथ ही कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर बीजेपी ने विपक्ष को उलझा दिया है. हालांकि लोजपा के दो धड़ों के कारण सीट बंटवारे की गुत्थी सुलझाना बीजेपी के सामने अहम चुनौती है. उधर, राजद और कांग्रेस एक साथ चुनावी मैदान में हैं. बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी को 17 सीटों पर, जदयू को 16, लोजपा को 6 और कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी.

मध्य प्रदेश: बीजेपी का मजबूत गढ़ मध्य प्रदेश को माना जाता है. इस बार इस राज्य में बीजेपी शिवराज चौहान के बाद मोहन यादव सरकार के भरोसे फिर परचम लहराने के लिए तैयार है तो वहीं कांग्रेस का गहरा संकट टल गया है. पूर्व सीएम कमलनाथ की नाराजगी और सांसद पुत्र नकुलनाथ के भाजपा में जाने की अटकलों पर विराम लग गया है. इससे कांग्रेस ने राहत की सांस ली है. इस राज्य में कुल 29 लोकसभा सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 28 और कांग्रेस ने एक सीट पर दर्ज की थी.

राजस्थान: इस राज्य में गत साल हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया था. दो लोकसभा चुनावों से यहां से बीजेपी को प्रचंड जीत मिल रही है. बीते चुनाव में बीजेपी की सहयोगी आरएलपी अलग हो गई. बीजेपी इस बार वसुंधरा राजे जैसे पुराने दिग्गजों की जगह नया नेतृत्व उभारने में जुटी है. वहीं कांग्रेस की उम्मीदें पूर्व सीएम अशोक गहलोत व सचिन पायलट पर टिकीं हैं. यहां कुल 25 लोकसभा सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. 

गुजरात: यह राज्य पीएम मोदी का गृह राज्य है. यहां बीते दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी सभी सीटों को जीतने में कामयाब रही है. विधानसभा चुनाव में भी बड़ी जीत मिली थी. इसको देखते हुए बीजेपी को हौसले बुलंद हैं. कांग्रेस यहां आप के साथ गठबंधन कर चुनावी मैदान में है. यहां कुल 26 लोकसभी सीटें हैं. बीजेपी पिछले चुनाव में सभी पर जीत दर्ज करने में सफल रही थी.

पंजाब: इस राज्य में किसान आंदोलन के बाद लड़ाई बहुध्रुवीय दिख रही है. अकाली दल ने किसान आंदोलन के बहाने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया है, तो कांग्रेस बड़े नेता माने जाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखड़ भाजपाई हो गए हैं. आप विपक्षी गठबंधन में शामिल है. हालांकि कांग्रेस संग सीटों का बंटवारा उलझा है.अकाली दल फिर भाजपा से गठजोड़ में जुटा है. यहां पर लोकसभा की कुल 13 सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 8, भाजपा को 2, अकाली दल को 2 और आप को एक सीट पर जीत मिली थी. उपचुनाव में आप ने इकलौती व कांग्रेस ने एक सीट गंवा दी.

महाराष्ट्र: कभी बीजेपी के साथ रही शिवसेना भाजपा से नाता तोड़ कांग्रेस व एनसीपी के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी सरकार राज्य में बनाई है. उद्धव सीएम तो बन गए, पर पहले शिवसेना और बाद में एनसीपी ही टूट गई. चुनाव आयोग ने भले ही शिवसेना और एनसीपी के असली-नकली का अपने हिसाब से फैसला कर दिया हो, लेकिन जनता किसे असली मानती है, फैसला लोकसभा चुनाव में होना है. यहां पर कुल 48 लोकसभा सीटें हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 23, शिवसेना ने 18, एनसीपी ने 4, कांग्रेस ने 1 और अन्य दलों ने 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

पश्चिम बंगाल: इस राज्य को कभी वामपंथ की राजनीति का अभेद्य किला माना जाता था लेकिन इस राज्य में अभी वाम दल अपना वजूद बचाने में जुटा है. अभी इस राज्य को तृणमूल का अभेद्य दुर्ग माना जाता है लेकिन बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उसके किले को तोड़ने का प्रयास किया था.  इस समय संदेशखाली में महिलाओं के उत्पीड़न के आरोपी शाहजहां शेख को बचाने को लेकर ममता की खूब किरकिरी हुई.

भाजपा की निगाहें इस राज्य में विस्तार पर टिकी हैं. वह महिला सुरक्षा, तृणमूल कार्यकर्ताओं का आतंक और मुस्लिम तुष्टीकरण जैसे मुद्दे को लेकर मैदान में है.  तृणमूल मुसलमानों को साथ लेकर चलने के फिराक में है. उसका कांग्रेस से गठबंधन भी नहीं हो पाया है. इस राज्य में कुल 42 लोकसभा सीटें हैं. पिछले चुनाव में टीएमसी को 22, भाजपा को 18 और कांग्रेस को दो सीटों पर जीत मिली थी.