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Lok Sabha Election Results 2024: आम चुनाव के जनादेश ने क्षेत्रीय दलों को नेशनल पॉलिटिक्स की धुरी बना दिया, समझिए कैसे?

Lok Sabha Election Results 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं. एनडीए गठबंधन को बहुमत मिला है. लेकिन अकेले किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी है. भारतीय जनता पार्टी को 240 सीटों पर जीत मिली है. जबकि एनडीए गठबंधन को 292 सीटों पर जीत मिली है. इंडिया गठबंधन को 234 सीटों पर जीत मिली है. इंडिया गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत हासिल हुई है.

Akhilesh Yadav, Nitish Kumar and Chandrababu Naidu (Photo/PTI) Akhilesh Yadav, Nitish Kumar and Chandrababu Naidu (Photo/PTI)

क्या 2014 के पहले के गठबंधन की राजनीति मुख्य धारा में एक बार फिर लौट रही है? टुकड़े-टुकड़े में मिला जनादेश कम से कम यही इशारा कर रहा है. साल 2014 और साल 2019 का जनादेश देने वाले मतदाताओं ने तय किया था कि राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का दखल ना हो. इसके उलट 2024 का जनादेश मतदाताओं ने उलट दिया है. यानी मतदाताओं ने तय कर दिया है कि गठबंधन की राजनीति फिर चलेगी.

अब राष्ट्रीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का हस्तक्षेप बढ़ गया. अभी के जनादेश को देखें तो सबसे बड़े किंग मेकर के तौर पर टीडीपी के चंद्रबाबू नायडू और जनता दल यूनाइटेड के नीतीश कुमार उभरे हैं. यानी मौजूदा NDA सरकार की मजबूती बीजेपी के बजाय अब सहयोगी दल तय करेंगे. बीजेपी को लोकसभा में दो तिहाई बहुमत नहीं है, वहीं राज्यसभा में बीजेपी की स्थिति अच्छी भले हो, लेकिन वन नेशन वन इलेक्शन जैसे मुद्दे पर सहयोगी दलों की राय बहुत मायने रखेगी.

400 पार और 370 का नारा नहीं चला-
देश में एक बार फिर से एनडीए को बहुमत मिला है और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. तो वहीं कांग्रेस लगातार तीसरी बार सत्ता से बाहर है और कांग्रेस पार्टी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है. एनडीए को 292 सीटों पर जीत मिली है. जबकि इंडिया गठबंधन को 234 सीटों पर जीत मिली है. अन्य के खाते में 17 सीटें गई हैं.

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नहीं चल पाया हिंदुत्व और विकास का मुद्दा-
कहते हैं कि प्रधानमंत्री बनने का रास्ता उत्तर प्रदेश से जाता है तो बीजेपी की सबसे खराब परफॉर्मेंस उत्तर प्रदेश में ही है. यूपी में बीजेपी को सिर्फ 33 सीटों पर जीत मिली है. जबकि समाजवादी पार्टी को 37 सीटों पर जीत मिली है. इस सूबे में कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई है. दरअसल विपक्ष ने जिस तरह से आरक्षण के मुद्दे को हवा दी, लोगों ने उस पर यकीन किया और बड़े फैक्टर के तौर पर जाति का फैक्टर हावी हो गया और वो हिंदुत्व के मुद्दे पर भारी पद गया. 

साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में भी आरक्षण का मुद्दा चला था और अब 2024 में इस मुद्दे ने बड़ा असर दिखाया है. बीजेपी के 400 पार के नारे को विपक्ष ने आरक्षण को खत्म करने का हथियार बना डाला और इसका असर दलितों पर हुआ है, लिहाजा वह वोट गठबंधन की तरफ शिफ्ट कर गया.

UP में कांग्रेस-SP गठबंधन को फायदा-
बीजेपी हिंदुत्व के जरिए जाति समीकरण की काट करती रही है. लेकिन बीजेपी की कोशिश के बावजूद भी काउंटर पोलराइजेशन नहीं हुआ है और मुस्लिम मतों का एकीकरण हुआ.  जाति एकजुट हो जाती है तो ना विकास का मुद्दा चलता है और ना ही हिंदुत्व का. यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों में बीजेपी को अपेक्षित परिणाम नहीं मिले, क्योंकि वहां पर जाति का मुद्दा हावी रहा.

दूसरी तरफ हिंदू जातियों में बंट गए. दलित समाज के एक बड़े तबके ने समाजवादी पार्टी को वोट किया. यही वजह है कि बीएसपी का वोट शेयर करीब 4% घटकर समाजवादी पार्टी के गठबंधन को चला गया. मतदाताओं के बड़े हिस्से ने यकीन कर लिया कि बीजेपी अगर तीसरी बार आ गई तो वह आरक्षण को खत्म कर सकती है इस दावे पर यकीन ने बीजेपी की जमीन खिसका दी और यूपी में बड़ी हार मिली.

यूपी में उम्मीदवारों के चयन पर सवाल-
उत्तर प्रदेश में उम्मीदवारों के चयन पर भी सवाल उठाए गए. यही वजह रही कि मोदी का करिश्मा, योगी का बुलडोजर और विकास के काम का असर नहीं रहा. साल 2019 में बीएसपी-एसपी और आरएलडी के गठबंधन के मुकाबले साल 2024 में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन ज्यादा प्रभावी रहा. बीएसपी को मिलने वाला 13% वोट शेयर करीब चार प्रतिशत कम होकर गठबंधन को शिफ्ट हो गया और गठबंधन को फायदा हो गया.

(नई दिल्ली से राम किंकर सिंह की रिपोर्ट)

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