Bihar Politics: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) को फतह करने के लिए सभी पार्टियां जुट गई हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी (BJP) जहां तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए पूरा जोर लगा रही है, वहीं, विपक्षी गठबंधन इंडिया (INDIA) से जुड़ी पार्टियां उलटफेर करने की फिराक में हैं. आज हम आपको बिहार की अररिया लोकसभा सीट का जातीय समीकरण और इतिहास बताने जा रहे हैं, जहां यहां तीसरे चरण में 7 मई 2024 को मतदान होना है.
पिछले कुछ चुनावों से बीजेपी और राजद के बीच जंग
बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं. यहां लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन में जोरदार टक्कर देखने को मिल सकती है. अररिया लोकसभा सीट एनडीए (NDA) गठबंधन की तरफ से भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई है. बीजेपी ने यहां से वर्तमान सांसद प्रदीप कुमार सिंह (Pradeep Kumar Singh) को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है. उधर, इंडिया अलायंस की तरफ से यह सीट लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की पार्टी राजद (RJD) के खाते में गई है.
राजद ने यहां से शाहनवाज आलम (Shahnawaz Alam) को अपना उम्मीदवार बनाया है.शाहनवाज आलम पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व सांसद स्वर्गीय मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. पिछले कुछ लोकसभा चुनावों से अररिया में बीजेपी और राजद के बीच चुनावी जंग देखने को मिल रही है. अब लोकसभा चुनाव 2024 में जहां बीजेपी के पास अपनी साख बचाने की चुनौती है तो वहीं, आरजेडी महागठबंधन की राह भी आसान नहीं दिख रही है. अब देखना है कि बीजेपी फिर से कब्जा कर पाती है या राजद को जनता मौका देती है.लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे.
कभी कांग्रेस की गढ़ मानी जाती थी अररिया सीट
अररिया लोकसभा चुनाव 1967 से पहले पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करता था.1967 में परिसीमन के बाद अररिया पृथक लोकसभा क्षेत्र बना. 1967 से 2009 तक अररिया लोकसभा एससी आरक्षित सीट थी. सामान्य सीट होने के बाद हुए 2009 के चुनाव में यहां से भाजपा के प्रदीप कुमार सिंह सांसद बने थे. अररिया लोकसभा सीट आजादी के बाद के शुरुआती दशकों में कांग्रेस का गढ़ बनी रही. इस लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार को चार बार जीत मिल चुकी है. यहां से चार बार बीजेपी ने भी जीत दर्ज की है. अररिया लोकसभा क्षेत्र से तीन बार जनता दल और इतनी बार ही आरजेडी को जीत मिल चुकी है.
पहली बार तुलमोहन राम बने थे सांसद
अररिया लोकसभा सीट पर पहली बार चुनाव 1967 में हुआ था. कांग्रेस के प्रत्याशी तुलमोहन राम ने जीत दर्ज की थी.उन्होंने बीजेएस के टिकट पर चुनाव लड़े और जे राम को 70,649 वोटों से हराया था. इस चुनाव में तुलमोहन राम को 1,19,954 वोट और जे राम को 49,305 वोट हासिल हुए थे. लोकसभा चुनाव 1971 में भी तुलमोहन ने कांग्रेस की टिकट पर जीत हासिल की थी. उन्होंने डुमर लाल बैठा को 83,185 मतों से हराया था.
तुलमोहन को 1,34,162 और डुमर लाल बैठा को 50,977 वोट मिले थे. लोकसभा चुनाव 1977 में कांग्रेस को यह सीट गंवानी पड़ी. इस चुनाव में भारतीय लोक दल के उम्मीदवार महेंद्र नारायण सरदार ने जीत दर्ज की थी. इस तरह से महेंद्र ने गैर कांग्रेसी सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1980 और 1984 में अररिया लोकसभा सीट से कांग्रेस के डुमर लाल बैठा ने विजय प्राप्त की थी. फिर लोकसभा चुनाव 1989, 1991 और 1996 में जनता दल ने कब्जा जमाया. पहली बार लोकसभा चुनाव 1998 में बीजेपी के रामजी दास ऋषिदेव जीत दर्ज कर अररिया लोकसभा क्षेत्र में कमल खिलाया था.
अररिया लोकसभा सीट से कब और किसने दर्ज की जीत
1967: तुलमोहन राम, कांग्रेस
1971: तुलमोहन राम, कांग्रेस
1977: महेंद्र नारायण सरदार, भारतीय लोक दल
1980: डुमर लाल बैठा, कांग्रेस
1984: डुमर लाल बैठा, कांग्रेस
1989: सुकदेव पासवान, जनता दल
1991: सुकदेव पासवान, जनता दल
1996: सुकदेव पासवान, जनता दल
1998: रामजी दास ऋषिदेव, बीजेपी
1999: सुकदेव पासवान, आरजेडी
2004: सुकदेव पासवान, बीजेपी
2009: प्रदीप कुमार सिंह, बीजेपी
2014: मोहम्मद तस्लीमुद्दीन, आरजेडी
2018: सरफराज़ आलम, आरजेडी
2019: प्रदीप कुमार सिंह, बीजेपी
तस्लीमुद्दीन ने 2014 में दर्ज की थी जीत
लोकसभा चुनाव 2014 अररिया लोकसभा सीट से आरजेडी के उम्मीदवार तस्लीमुद्दीन विजयी हुए थे. तस्लीमुद्दीन ने बीजेपी उम्मीदवार प्रदीप कुमार सिंह को हराया था. तीसरे नंबर पर जेडीयू उम्मीदवार विजय कुमार मंडल रहे थे. तस्लीमुद्दीन को 4,07,978 वोट, प्रदीप सिंह को 2,61,474 वोट और विजय मंडल को 2,21,769 वोट मिले थे. इस तरह से तस्लीमुद्दीन ने 1,46,504 वोटो से प्रदीप कुमार सिंह को हराया था. 2014 में इस लोकसभा सीट पर 60.44 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.
2018 में हुआ था उपचुनाव
साल 2018 में तसलीमुद्दीन के निधन के बाद अररिया लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराया गया. कुल सात उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे. लेकिन सीधा मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल के सरफराज आलम और भाजपा-जेडीयू के संयुक्त उम्मीदवार प्रदीप सिंह के बीच था. भाजपा के प्रदीप सिंह को 4,47,546 वोट मिले और राजद प्रत्याशी सरफराज आलम को 5,09,334 वोट मिले. तसलीमुद्दीन के बेटे सरफराज आलम 6,17,88 वोटों से ये चुनाव जीत गए थे.
2019 में बीजेपी के प्रदीप सिंह ने मारी थी बाजी
लोकसभा चुनाव 2019 में अररिया से बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप कुमार सिंह ने आरजेडी उम्मीदवार सरफराज आलम को हराया था. प्रदीप सिंह को 6,18,434 वोट मिले थे. सरफराज आलम को 4,81,193 वोट से संतोष करना पड़ा था. इस तरह से प्रदीप कुमार सिंह ने 1,37,193 वोटों से जीत हासिल की थी. इस सीट पर कुल 12 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी. तीसरे नंबर पर इस सीट में बड़ी संख्या में लोगों ने NOTA का बटन दबाया था. 2019 अररिया लोकसभा सीट पर 62.38 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.
अररिया लोकसभा क्षेत्र में कुल इतनी हैं विधानसभा सीटें
अररिया लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें हैं. विधनसभा चुनाव 2020 में 3 सीटों पर बीजेपी, एक पर आरजेडी, एक पर कांग्रेस और एक जदयू उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. फारबिसगंज विधानसभा सीट (विद्या सागर केशरी), नरपतगंज (जय प्रकाश यादव), सिकटी (विनय कुमार मंडल) बीजेपी के खाते में गई थी. अररिया विधानसभा सीट से कांग्रेस के आबिदुर रहमान ने जीत हासिल की थी. जोकीहाट में राजद उम्मीदवार सरफराज आलम ने बाजी मारी थी. रानीगंज से जदयू उम्मीदवार अश्मित ऋषि ने जीत दर्ज की थी.
कितने हैं मतदाता
अररिया जिले की आबादी 2011 के जनगणना के अनुसार 2811569 है. लेकिन अब 30 लाख से अधिक हो गई है. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1985549 है. पुरुष मतदाता 1034015 और महिला मतदाता 951445 हैं. अन्य मतदाता 89 हैं. जिला प्रशासन ने मतदाताओं की संख्या 2024 में प्रकाशित की है. 2024 में नए मतदाताओं की संख्या 31209 जुड़ी है. कुल मतदाताओं में 18 से 19 वर्ष के युवा मतदाताओं की संख्या 19574 है.
क्या है जातीय समीकरण
अररिया लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की तुलना में हिंदू वोटरों की संख्या अधिक है. यहां मुस्लिम आबादी 42.9 व हिंदूओं की आबादी 56.6 प्रतिशत है. यहां 32 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं. मुस्लिम समुदाय की यहां दो प्रमुख जातियां कुल्हैया और शेखरा हैं. कुल्हैया की आबादी सबसे अधिक है. इसके अलावा अंसारी, शेरशाहबादी, सब्जीफ्रोश और फकीर जातियां भी हैं. हिंदुओं में यादव और मंडल वोट सबसे अधिक हैं. हरिजन और आदिवासी वोट भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. कुर्मी और कोइरी मतदाताओं की संख्या भी यहां अच्छी-खासी है. अगड़ी जातियों भूमिहार, राजपूत व कायस्थ में सबसे अधिक ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या है.