बागपत लोकसभा सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है. जब से ये सीट अस्तित्व में आई है, तक से लेकर अब तक सिर्फ एक बार गैर-जाट सांसद बना है. पिछले 57 साल के इतिहास में बागपत लोकसभा सीट पर जाट समुदाय का दबदबा रहा है. इस सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की फैमिली का दबदबा रहा है. बागपत से इस परिवार के सदस्य 9 बार सांसद चुने गए हैं. साल 2014 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा था. लेकिन इस बार ये आरएलडी के खाते में गई थी. चलिए आपको बागपत लोकसभा सीट के जातीय समीकरण और इतिहास के बारे में बताते हैं.
RLD को मिली जीत-
आम चुनाव 2024 में बागपत लोकसभा सीट से आरएलडी के डॉ. राजकुमार सांगवान ने 1.59 लाख वोटों से जीत हासिल की है. उन्होंने समाजवादी पार्टी के अमरपाल को हराया है.
चौधरी परिवार का दबदबा-
बागपत लोकसभा सीट पर चौधरी परिवार का दबदबा रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह इस सीट से 3 बार सांसद चुने गए थे. उन्होंने साल 1977 में पहली बार जीत दर्ज की थी. उसके बाद उन्होंने लगातार साल 1980 और साल 1984 आम चुनाव में भी जीत हासिल की. चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह बागपत लोकसभा सीट से 6 बार सांसद चुने गए. चौधरी अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी ने भी इस सीट से किस्मत आजमाई. लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा.
साल 2019 आम चुनाव के नतीजे-
साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार सत्यपाल सिंह ने आरएलडी के उम्मीदवार जयंत चौधरी को हराया था. सत्यपाल सिंह को 5 लाख 25 हजार 789 वोट मिले थे, जबकि जयंत चौधरी को 5 लाख 2 हजार 287 वोट हासिल हुए थे. इस तरह से सत्यपाल सिंह ने जयंत चौधरी को 23 हजार 502 वोटों से हराया था.
बागपत सीट का इतिहास-
बागपत लोकसभा सीट साल 1967 में असित्व आई. इसके बाद से इस सीट पर 14 बार चुनाव हुए हैं. लेकिन अब तक सिर्फ एक बार गैर-जाट सांसद चुने गए. साल 1967 में जनसंघ के उम्मीदवार रघुवीर सिंह शास्त्री ने जीत हासिल की. साल 1971 आम चुनाव में कांग्रेस के राम चंद्र विकल सांसद चुने गए. साल 1977 आम चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर चौधरी चरण सिंह ने पहली बार जीत हासिल की. इसके बाद साल 1980 और साल 1984 आम चुनाव में चौधरी चरण सिंह ने लोकदल के टिकट पर सांसद चुने गए. साल 1989 और साल 1991 आम चुनाव में चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजित सिंह जनता दल के टिकट पर सांसद चुने गए. इसके बाद साल 1996 आम चुनाव में अजित सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की.
साल 1998 आम चुनाव में बीजेपी को पहली बार बागपत में जीत मिली. बीजेपी उम्मीदवार सोमपाल शास्त्री ने जीत दर्ज की. इसके बाद लगातार तीन बार अजित सिंह सांसद चुने गए. उन्होंने साल 1999, साल 2004 और साल 2009 आम चुनाव में जीत हासिल की. साल 2014 आम चुनाव के बाद से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. साल 2014 में सत्यपाल सिंह ने जीत हासिल की. साल 2019 आम चुनाव में भी सत्यपाल सिंह सांसद चुने गए.
5 विधानसभा सीटों का समीकरण-
बागपत लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें मेरठ जिले की सिवालखास और गाजियाबाद जिले की मोदीनगर विधानसभा सीट शामिल हैं. इसके अलावा इसमें बागपत जिले की तीन विधानसभा सीटें बड़ौत, बागपत और छपरौली शामिल हैं. साल 2022 विधानसभा चुनाव में इनमें से दो सीटों पर आरएलडी और 3 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. सिवालखास से आरएलडी के गुलाम मुहम्मद और छपरौली से आरएलडी के अजय कुमार सिंह विधायक चुने गए थे. जबकि बीजेपी के कृष्णपाल मलिक बड़ौत से, योगेश धामा बागपत से और मंजू शिवाच ने मोदीनगर से जीत हासिल की.
क्या है जातीय समीकरण-
बागपत लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम और जाट वोटर्स की बहुलता है. इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या 3.5 लाख है. जबकि जाट वोटर्स की संख्या 4 लाख के करीब है. इसके अलावा दलित वोटर्स की संख्या डेढ़ लाख है. इस सीट पर 50 हजार यादव वोटर हैं. बागपत में राजपूत और गुर्जर वोटर्स की संख्या भी एक लाख से ऊपर है. इसके अलावा त्यागी समुदाय के 50 हजार मतदाता हैं. इस सीट पर ओबीसी वोटर्स की संख्या भी अच्छी-खासी है.
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