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Baramati Lok Sabha Seat: 35 साल से पवार फैमिली का कब्जा, इस बार पवार की बेटी को मिली जीत... जानें क्या है बारामती लोकसभा सीट का समीकरण और इतिहास

Lok Sabha Election 2024: बारामती लोकसभा सीट से शरद पवार 6 बार सांसद रहे हैं. जबकि उनकी बेटी सुप्रिया सुले को 3 बार सांसद बनने का मौका मिला है. इस बार चौथी बार सुप्रिया सुले को इस सीट से जीत मिली है. इस बार इस सीट पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को हराया है.

Baramati Lok Sabha Seat Baramati Lok Sabha Seat

बारामती लोकसभा सीट (Baramati Lok Sabha Seat) महाराष्ट्र में है और देशभर में चर्चित है. इस सीट पर पवार फैमिली का 35 सालों से कब्जा है. बारामती में 11 बार इस फैमिली को जीत मिली है. बीजेपी को महाराष्ट्र की इस सीट पर अब तक एक बार भी जीत नहीं मिली है. चलिए आपको बारामती लोकसभा सीट का समीकरण और इतिहास बताते हैं.

सुप्रिया सुले को फिर से मिली जीत-
आम चुनाव 2024 में बारामती से एनसीपी-एसपी के सुप्रिया सुले को जीत मिली है. उन्होंने एनसीपी के सुनेत्रा पवार को 1.58 लाख वोटों से हराया है. सुप्रिया सुले को 7.32 लाख वोट मिले और सुनेत्रा पवार को 5.73 लाख वोट हासिल हुए. 

2019 आम चुनाव के नतीजे-
साल 2019 आम चुनाव में बारामती लोकसभा सीट पर एनसीपी की सुप्रिया सुले ने जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी की कंचन राहुल को एक लाख 55 हजार 774 वोटों से हराया था. सुप्रिया सुले को 6 लाख 86 हजार 714 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 5 लाख 30 हजार 940 वोट मिले थे. VBA के नवनाथ पडलकर को 44 हजार 134 वोट हासिल हुए थे.

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पवार फैमिली का दबदबा-
बारामती लोकसभा सीट पर पवार फैमिली का दबदबा रहा है. इस सीट पर 11 बार इस फैमिली को जीत मिली है. साल 1984 आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार शरद पवार सांसद चुने गए थे. साल 1991 आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर अजित पवार को जीत मिली. इसके बाद साल 1991 उपचुनाव में शरद पवार सांसद चुने गए. साल 1996 आम चुनाव में शरद पवार फिर से सांसद बने. शरद पवार साल 1998, साल 1999 और साल 2004 आम चुनाव में सांसद चुने गए.

साल 2009 आम चुनाव में पहली बार एनसीपी के टिकट पर सुप्रिया सुले बारामती लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं. साल 2014 आम चुनाव में सुप्रिया सुले दोबारा सांसद बनीं. साल 2019 आम चुनाव में सुप्रिया सुले ने इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाई.

लोकसभा सीट का इतिहास-
बारामती लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1957 आम चुनाव में वोटिंग हुई थी. उस चुनाव में कांग्रेस के केशवराव जेधे ने जीत हासिल की थी. इसके बाद साल 1962 आम चुनाव में गुलाबराव जेधे सांसद चुने गए. साल 1967 आम चुनाव में कांग्रेस के तुलसीदास जाधव को जीत मिली. साल 1971 चुनाव में आरके खाडिलकर को जीत मिली.

साल 1977 आम चुनाव में पहली बार जनता पार्टी के संभाजीराव काकड़े सांसद चुने गए. साल 1980 आम चुनाव में कांग्रेस के शंकरराव बाजीराव पाटिल ने जीत हासिल की. साल 1984 में शरद पवार और साल 1985 उपचुनाव में जनता पार्टी के संभाजीराव काकड़े सांसद चुने गए.

साल 1991 आम चुनाव से इस सीट पर एनसीपी का कब्जा है. लेकिन इस चुनाव से पहले एनसीपी टूट गई है. शरद पवार और अजित पवार अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार दोनों पार्टियों के बीच मुकाबला है.

6 विधानसभा सीटों का गणित-
बारामती लोकसभा सीट के तहत 6 विधानसभा सीटें हैं. इसमें दौंड, इंदापुर, बारामती, पुरंदर, भोर और खड़कवासला शामिल है. बीजेपी, कांग्रेस और एनसीपी को दो-दो सीटों पर जीत मिली है. कांग्रेस को पुरंदर और भोर में जीत मिली है, जबकि बीजेपी को खड़कवासला और दौंड सीट पर जीत मिली है. एनसीपी को इंदापुर और बारामती विधानसभा सीटों पर जीत मिली है. दौंड से राहुल कुल, इंदापुर से दत्तात्रय भरणे, बारामती से अजित पवार, पुरंदर से संजय जगताप, भोर से संग्राम थोपटे और खड़कवासला विधानसभा सीट से भीमराव तपकिर विधायक चुने गए हैं.

बारामती सीट का जातीय समीकरण-
बारामती लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम आबादी 7.15 फीसदी है. जबकि बौद्ध धर्म के अनुयायी 3.61 फीसदी हैं. इस सीट पर अनुसूचित जाति (SC) की आबादी 12.5 फीसदी है. जबकि अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी 3.7 फीसदी है. इस सीट पर मराठी वोटर्स की दबदबा है. इस सीट पर पवार वोटर्स की संख्या 70 हजार के आसपास है. जबकि गायकवाड 30 हजार, शिंदे 65 हजार, चव्हाण 25 हजार और ब्राह्मण वोटर 80 हजार हैं.

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