Bihar Politics: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) में पांच चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है. अब छठे चरण में 25 मई 2024 को वोट डाले जाएंगे. इसी फेज में बिहार की गोपालगंज लोकसभा सीट पर भी मतदान होना है. यहां एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन (India Alliance) अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं.
उधर, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) की एंट्री के बाद गोपालगंज सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है. हम आपको आज गोपालगंज लोकसभा सीट का इतिहास और ताजा समीकरण बताने जा रहे हैं.
जदयू ने फिर डॉ. आलोक पर जताया भरोसा
बिहार की कुल 40 लोकसभा सीटों में गोपालगंज लोकसभा सीट (Gopalganj Lok Sabha Seat) हर चुनाव में काफी चर्चा में रहती है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) का जन्म गोपालगंज के फुलवरिया गांव में ही हुआ था. लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी का मायका सलार गांव में है. इस जिले से सूबे को तीन सीएम मिले हैं. पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर भी गोपालगंज के रहने वाले थे.
गोपालगंज सीट इस बार भी बंटवारे के तहत एनडीए से जुड़ी जदयू (JDU) के खाते में गई है. यहां से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की पार्टी ने मौजूदा सांसद डॉ. आलोक कुमार सुमन (Dr. Alok Kumar Suman) पर ही अपना भरोसा जताया है. उधर, इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के खाते में है. यहां से वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) ने प्रेमनाथ चंचल उर्फ चंचल पासवान (Premnath Chanchal alias Chanchal Paswan) को प्रत्याशी बनाया है.
ये उम्मीदवार भी ठोक रहे ताल
लोकसभा चुनाव 2024 में गोपालगंज सीट से डॉ. आलोक कुमार सुमन और प्रेमनाथ चंचल सहित कुल 11 उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं. इनमें 4 निर्दलीय और सात राजनीतिक दलों के प्रत्याशी शामिल हैं. एआईएमआईएम से दीनानाथ मांझी, भारतीय राष्ट्रीय दल से सुरेंद्र राम, निर्दलीय अभ्यर्थी सत्येंद्र बैठा, गण सुरक्षा पार्टी से राम कुमार मांझी, बहुजन मुक्ति पार्टी से जितेंद्र राम, बहुजन समाज पार्टी से सुजीत कुमार राम, निर्दलीय अभ्यर्थी भोला हरिजन, निर्दलीय अभ्यर्थी नमीराम और अनिल राम चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
नीतीश कुमार की मुस्लिम वोटों पर नजर
सीवान के पूर्व सांसद मो.शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को आरजेडी से टिकट नहीं मिलने और निर्दलीय चुनाव लड़ने का असर गोपालगंज के अल्पसंख्यक वोटरों पर दिख रहा है. महागठबंधन से अल्पसंख्यक वोटरों को खिसकते देख बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उन्हें अपनी ओर करने के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं. जदयू लगातार अल्पसंख्यक के बीच गोपालगंज में बैठक कर रही है. जदयू के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष और नीतीश कुमार के भरोसेमंद सांसद डॉ, आलोक कुमार सुमन दूसरी बार गोपालगंज से चुनाव लड़ रहे हैं.
नीतीश कुमार के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का विषय बन गई है. यही वजह है कि सीएम नीतीश कुमार खुद गोपालगंज जिले के प्रत्येक विधानसभा में चुनावी जनसभा को संबोधित करने के लिए पहुंच रहें हैं. उधर, लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव का गृह जिला होने की वजह से यह सीट राजद सुप्रीमो की प्रतिष्ठा बन गई है. वह यहां से महागठबंधन उम्मीदवार को जीत दिलाने की फिराक में हैं. हालांकि वोटर शांत हैं, किनके साथ जाएंगे पत्ता नहीं खोल रहे हैं.
गोपालगंज लोकसभा सीट का इतिहास
गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था. गोपालगंज लोकसभा सीट से सबसे अधिक पांच बार कांग्रेस को जीत मिली है. लोकसभा सुनाव 1952 गोपालगंज से कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. सैयद महमूद ने जीत दर्ज की थी. 1957 में भी वह जीत दर्ज करने में कामयाब रहे था. डॉ.सैयद महमूद ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के सिया बिहारी शरण को पराजित किया था. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1962, 1967 और 1971 में लगातार तीन बार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार द्वारिका नाथ तिवारी ने जीत दर्ज की थी. लोकसभा चुनाव 1980 कांग्रेस के टिकट पर नगीना राय ने जीत दर्ज की थी.
फिर कांग्रेस को जीत नहीं हुई नसीब
लोकसभा चुनाव 1984 में कांग्रेस के गढ़ गोपालगंज लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार काली प्रसाद पांडेय ने जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति लहर भी कांग्रेस की डूबती नैया को नहीं बचा सकी. कांग्रेस उम्मीदवार नगीना राय को हार का समाना करना पड़ा था. इसके बाद से कांग्रेस को इस सीट से जीत कभी नसीब नहीं हुई. लोकसभा चुनाव 1989 में जनता दल के उम्मीदवार राजमंगल मिश्रा ने जीत दर्ज की थी.
अब्दुल गफूर बने थे सांसद
लोकसभा चुनाव 1991 में कांग्रेस के उम्मीदवार काली पांडेय को जनता दल के प्रत्याशी अब्दुल गफूर ने हराया था. लोकसभा चुनाव 1996 में लालू प्रसाद यादव की लहर में लाल बाबू यादव ने काली पांडेय को हराया था. लोकसभा चुनाव 1998 में समता पार्टी उम्मीदवार अब्दुल गफूर ने राजद के लाल बाबू यादव को पराजित कियाथा. लोकसभा चुनाव 1999 में राजद के रघुनाथ झा ने काली पांडेय को शिकस्त दी थी. लोकसभा चुनाव 2004 में लालू यादव के साले अनिरुद्ध यादव उर्फ साधु यादव आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उन्होंने जदयू उम्मीदवार प्रभुदयाल सिंह को हराया था. लोकसभा चुनाव 2009 में जदयू के पूर्णमासी राम ने राजद के अनिल को हराया था.
गोपालगंज के ये रह चुके हैं सांसद
1952: डॉ. सैय्यद महमूद, कांग्रेस
1957: डॉ. सैय्यद महमूद, कांग्रेस
1962: द्वारिका नाथ तिवारी, कांग्रेस
1967: द्वारिका नाथ तिवारी, कांग्रेस
1971: द्वारिका नाथ तिवारी, कांग्रेस
1977: द्वारिका नाथ तिवारी, भारतीय लोक दल
1980: नगीना राय, कांग्रेस
1984: काली प्रसाद पांडेय, निर्दलीय
1989: राजमंगल मिश्रा, जनता दल
1991: अब्दुल गफूर, जनता दल
1996: लाल बाबू यादव, जनता दल
1998: अब्दुल गफूर, समता पार्टी
1999: रघुनाथ झा, जदयू
2004: साधु यादव, राजद
2009: पूर्णमासी राम, जदयू
2014: जनक राम, बीजेपी
2019: डॉ. आलोक कुमार सुमन, जदयू
लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में कैसा रहा जनादेश
लोकसभा चुनाव 2014 गोपालगंज सीट से बीजेपी उम्मीदवार जनक राम ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. ज्योति भारती को हराया था. जनक राम को 4,78,773 वोट मिले थे. ज्योति भारती को 1,91,837 मतों से संतोष करना पड़ा था.जनक राम ने ज्योति भारती को 2,86,936 वोटों से हराया था.जदयू उम्मीदवार अनिल कुमार को 1,00,419 वोट मिले थे. लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा को 52.99%, कांग्रेस को 21.23% और जदयू को 11.11% मत मिला था.
लोकसभा चुनाव 2019 जदयू उम्मीदवार डॉ. आलोक कुमार सुमन ने जीत दर्ज की थी. सुमन को 5,68,150 वोट मिले थे. आरजेडी उम्मीदवार सुरेंद्र राम को 2,81,716 वोट मिले थे. सुमन ने सुरेंद्र राम को 2,86,434 मतों से हराया था. बीएसपी उम्मीदवार कुणाल किशोर विवेक को 36,016 वोट मिले थे. लोकसभा चुनाव 2019 में 50 हजार से ज्यादा लोगों ने NOTA का बटन दबाया था. लोकसभा चुनाव 2019 में जदयू को 55.44% और राजद को 52.99% मत मिला था.
गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत कुल इतनी हैं विधानसभा सीटें
गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र के तहत कुछ 6 विधानसभा सीटें आती हैं. वर्तमान समय में गोपालगंज विधानसभा सीट से बीजेपी की कुसुम देवी विधायक हैं.बैकुंठपुर विधानसभा से आरजेडी के विधायक हैं. बरौली विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक हैं.कुचायकोट विधानसभा सीट से जेडीयू के विधायक हैं. भोरे आरक्षित विधानसभा सीट से जेडीयू के सुनील कुमार विधायक हैं. हथुआ विधानसभा सीट से आरजेडी के राजेश कुशवाहा विधायक हैं.
क्या है जातीय समीकरण
गोपालगंज में कुल मतदाताओं की संख्या 18,39,514 है. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 8,98,680 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 9,40,761 है. गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र ब्राम्हण बाहुल्य माना जाता है. यहां अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या भी अच्छी-खासी है. मुस्लिम, यादव के अलावा राजपूत, ब्राह्मण और भूमिहार जाति के वोटरों का दबदबा रहा है. वैश्य, कुर्मी, कुशवाहा और महादलित वोटर की गोलबंदी हार-जीत तय करती रही है.
छह विधान सभा क्षेत्रों में हथुआ विधान सभा क्षेत्र में अतिपिछड़ा, सवर्ण, मुसलमान, यादव व वैश्य मतदाताओं की तादाद सबसे अधिक है.गोपालगंज सदर विधानसभा में भी स्वर्ण, पिछड़ा, वैश्य मतदाताओं की संख्या अच्छी-खासी है. भोरे विधानसभा क्षेत्र सवर्ण, पिछड़ा, यादव, महादलित जाति बाहुल्य क्षेत्र है. बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में यादवों की संख्या सबसे अधिक है. बरौली में अल्पसंख्यक मतदाताओं की तादाद ठीक-ठाक है.