90 के दशक के हीरो नंबर 1 रहे गोविंदा एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना में शामिल हो गए हैं. गोविंदा ने गुरुवार को मुख्यमंत्री की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली. गोविंदा नॉर्थ-वेस्ट मुंबई सीट से शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार अमोल कीर्तिकर को चुनौती देते हुए चुनाव लड़ सकते हैं. महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों के लिए चुनाव 19 अप्रैल से 20 मई के बीच 5 चरणों में होंगे और वोटों की गिनती 4 जून को होगी.
क्या कहा गोविंदा ने?
गोविंदा ने अपने भाषण में कहा, मैं आदरणीय शिंदे साहब को धन्यवाद देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं और आज मैं पार्टी में शामिल हुआ हूं. ये भगवान का भेजा हुआ संदेश है और 2004 से 2009 तक मैं राजनीति में था. फिर उसके बाद मैंने सोचा कि मैं राजनीति में कभी वापस नहीं जाऊंगा और अब 14 साल के वनवास के बाद और अब जहां रामराज है, मैं उसी जगह से जुड़ रहा हूं. मैं प्रार्थना करता हूं कि मैं सभी उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश करूंगा. पिछले चौदह-पंद्रह साल से मैं फिल्मों और राजनीति से दूर हूं. मैं विरार से निकला और वो सबकुछ हासिल किया जो आज मेरे पास है. महाराष्ट्र अवसरों की भूमि है और इसने कई सितारों को जन्म दिया है.
राजनीति में गोविंदा की रीएंट्री
राजनीति में गोविंदा की ये दूसरी पारी है. 2004 के लोकसभा चुनाव में गोविंदा ने कांग्रेस की टिकट पर मुंबई नॉर्थ से चुनाव लड़ा था. उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम नाईक को हराया. हालांकि, बाद में गोविंदा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में चुनाव न लड़ने का फैसला करते हुए कांग्रेस पार्टी और राजनीति को अलविदा कह दिया.
कैसा रहा गोविंदा का फिल्मी सफर
अपनी कॉमिक टाइमिंग के लिए मशहूर गोविंदा अपने जमाने के सुपरस्टार रहे हैं. 80 और 90 के दशक में उनका सितारा बुलंद था. उस वक्त अकेले गोविंदा ही थे जो तीनों खान को टक्कर दे सकते थे. गोविंदा ने अपने सुपरहिट करियर में एक से बढ़कर एक सुपरहिट फिल्में दी हैं. आज भी उनकी फैन फॉलोइंग में कोई कमी नहीं आई है.
आर्थिक तंगी में गुजरा बचपन
हालांकि गोविंदा ने फिल्मी दुनिया में जो शोहरत कमाई वो उन्हें किसी थाली में परोस कर नहीं दी गई थी. फिल्मी दुनिया में अपना मुकाम बनाने के लिए उन्होंने खूब संघर्ष किया. बेशक गोविंदा के पिता अरुण कुमार अहूजा अपने दौर में एक मशहूर कलाकार लेकिन गोविंदा ने कभी इसका फायदा नहीं उठाया. गोविंदा जब छोटे थे तो उनका परिवार बेहद आर्थिक तंगी में था. एक्टिंग के शुरुआती दिनों में गोविंदा अपने मामा के घर रहते थे. गोविंदा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि स्ट्रगल के दिनों में कई निर्माता-निर्देशकों ने उन्हें धक्के मारकर बाहर निकाल दिया था. उस वक्त गोविंदा के पास खाना खाने तक के पैसे नहीं होते थे.
जब एक साथ साइन की 50 फिल्में
और फिर एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें एक साथ 50 फिल्में ऑफर हो गईं. गोविंदा के डांस पर फैंस झूम उठते थे. उस वक्त अगर थियेटर में लोगों की भारी भीड़ लगती थी तो देखने वाले समझ जाते थे गोविंदा की फिल्म लगी है. गोविंदा ने अपनी फिल्मी करियर में 165 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. साथ ही कई अवॉर्ड भी अपने नाम किए हैं. राजा बाबू, कुली नंबर 1,दीवाना मस्ताना, बड़े मिया छोटे मिया, हीरो नंबर 1, साजन चले ससुराल, दुलारा, शोला और शबनम, दूल्हे राजा, हसीना मान जाएगी उनकी कुछ सुपरहिट फिल्में हैं.