जौनपुर लोकसभा सीट (Jaunpur Lok Sabha Seat) उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में है. ये सीट वर्तमान से लेकर इतिहास तक को लेकर चर्चा में रही है. फिलहाल जौनपुर पूर्व सांसद और बाहुबली धनंजय सिंह की वजह से चर्चा में है. लेकिन कभी इस सीट से जनसंघ के मुखिया दीनदयाल उपाध्याय भी चुनाव लड़े थे, हालांकि उनको हार का सामना करना पड़ा था. इस लोकसभा सीट पर राजपूत, ब्राह्मण और यादव वोटरों का दबदबा है. इस सीट पर कांग्रेस को 6, बीजेपी को 4, जनता दल को 3 और जनसंघ को एक बार जीत मिली है. इसके अलावा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को इस सीट पर 2-2 बार जीत मिली है. चलिए आपको इस सीट का इतिहास और इसके जातीय समीकरण के बारे में बताते हैं.
साल 2024 में किसको मिला है टिकट-
जौनपुर लोकसभा सीट से अभी सिर्फ बीजेपी ने उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया है. बीजेपी ने इस सीट से कृपाशंकर सिंह को उम्मीदवार बनाया है. इस चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन है. गठबंधन में ये सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है. हालांकि पार्टी ने अभी तक उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. बहुजन समाज पार्टी (BSP) की तरफ से भी उम्मीदवार के नाम का इंतजार है.
साल 2019 BSP को मिली थी जीत-
साल 2019 आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन था. जौनपुर की सीट बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थी. बीएसपी ने इस सीट से श्याम सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया था, जबकि बीजेपी ने कृष्ण प्रताप सिंह को मैदान में उतारा था. लेकिन इस सीट पर बीएसपी उम्मीदवार ने 80936 वोटों से जीत हासिल की. श्याम सिंह यादव को 5.21 लाख मिले थे, जबकि बीजेपी उम्मीदवार को 4.40 लाख वोट हासिल हुए थे.
जौनपुर लोकसभा सीट का इतिहास-
जौनपुर लोकसभा सीट पर 18 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं. साल 1952 आम चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के बीरबल सिंह को जीत मिली थी. जबकि साल 1957 में कांग्रेस के गणपत राम विजयी हुए थे. लेकिन आम चुनाव1962 में जनसंघ के ब्रह्मजीत सिंह जीत गए. इस सीट पर पहली बार कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन एक साल के भीतर ही ब्रह्मजीत सिंह का निधन हो गया. इसके बाद साल 1963 में इस सीट पर उपचुनाव हुए. जिसमें जनसंघ के मुखिया पंडित दीनदयाल उपाध्याय मैदान में उतरे. लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के राजदेव सिंह ने जनसंघ के सबसे बड़े लीडर को हरा दिया था. इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस राजदेव सिंह साल 1971 तक लगातार जीतते रहे.
साल 1977 में जनता पार्टी के यादवेंद्र दत्त दुबे को जीत मिली. साल 1980 में जनता दल के ही अजीजुल्लाह आजमी को जीत हासिल हुई. लेकिन साल 1984 में कांग्रेस ने वापसी की और कमला प्रसाद सिंह ने जीत हासिल की. इसके बाद इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा. साल 1989 में बीजेपी के यादवेंद्र दुबे को जीत मिली. लेकिन साल 1991 में जनता दल के अर्जुन सिंह यादव जीते. साल 1996 में एक बार फिर बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली. बीजेपी के राज केसर सिंह को जीत मिली. साल 1998 के आम चुनाव में इस सीट पर पहली बार समाजवादी पार्टी को जीत मिली. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार पारसनाथ यादव ने जीत हासिल की.
साल 1999 में बीजेपी के स्वामी चिन्मयानंद, साल 2004 में समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव और साल 2009 में बीएसपी के धनंजय सिंह ने जीत हासिल की. एक बार फिर इस सीट पर साल 2014 में बीजेपी उम्मीदवार कृष्ण प्रताप सिंह को जीत मिली. लेकिन साल 2019 आम चुनाव में बीएसपी के श्याम सिंह यादव विजयी हुए.
इस सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें-
जौनपुर लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें बदलापुर, शाहगंज, जौनपुर सदर, मल्हनी और मुंगरा बादशाहपुर सीटें शामिल हैं. इसमें से तीन सीटें एनडीए और दो सीट समाजवादी पार्टी के खाते में हैं. बदलापुर विधानसभा सीट से बीजेपी के रमेश चंद्र मिश्रा, शाहगंज से निषाद पार्टी के रमेश, जौनपुर सदर से बीजेपी के गिरिश यादव ने जीत हासिल की है. जबकि मल्हनी से समाजवादी पार्टी के लक्की यादव और मुंगरा बादशाहपुर से समाजवादी पार्टी के पंकज को जीत मिली है.
जौनपुर सीट का क्या है जातिगत समीकरण-
जौनपुर लोकसभा सीट पर राजपूत वोटरों का दबदबा माना जाता है. इस सीट पर 11 बार राजपूत उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. जबकि यादव उम्मीदवारों ने 4 और ब्राह्मण उम्मीदवारों ने 2 बार जीत दर्ज की है. जौनपुर लोकसभा सीट पर ब्राह्मण वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है. करीब ढाई लाख मतदाता ब्राह्मण समुदाय के हैं. जबकि राजपूत करीब दो लाख हैं. इनके अलावा यादव वोटर सवा दो लाख और मुस्लिम मतदाता सवा दो लाख हैं. अनुसूचित जाति के वोटर्स की संख्या भी सवा दो लाख के करीब है.
600 साल पुराना है शहर-
जौनपुर शहर की स्थापना 14वीं शताब्दी में हुई थी. मुगल शासक फिरोजशाह तुगलक ने अपने भाई मुहम्मद बिन तुगलक की याद में जौनपुर शहर को बसाया था. इसका पहले नाम जौना खां था, जिसे बाद में बदलकर जौनपुर कर दिया गया. साल 1394 के आसपास मलिक सरवर ने जौनपुर को शर्की साम्राज्य के तौर पर स्थापित किया था.
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