लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्ष की एकजुटता दरकती जा रही है. बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए के साथ जाने के बाद उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी दलों की एकता में फूट को लेकर सुगबुगाहट होने लगी है. खबर है कि अब तक अखिलश यादव के साथ पूरी ताकत के साथ खड़े रहने वाले जयंत चौधरी भी विपक्षी गठबंधन को छोड़ सकते हैं और बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं.
एनडीए में जा सकते हैं जयंत-
जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल बीजेपी के साथ बातचीत कर रही है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि बीजेपी और आरएलडी की बातचीत पर जल्द ही फैसला हो सकता है. अगर बातचीत योजना के मुताबिक रही तो आरएलडी को एनडीए में 5 सीटें मिल सकती हैं. हालांकि सूत्रों का ये भी मानना है कि बातचीत के नतीजों के बारे में कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी.
BJP के साथ खुद को सेफ मान रही RLD-
समाजवादी पार्टी के साथ बेहतर तालमेल दिखाने वाले जयंत चौधरी बीजेपी के साथ जाने की तैयारी में है. आरएलडी खेमे का कहना है कि अगर पार्टी लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की बजाय बीजेपी से हाथ मिलाती है तो चुनाव में वो बेहतर स्थिति में रहेगी. आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी की तरफ से आरएलडी को 7 सीटें देने का समझौता हुआ है. लेकिन आरएलडी एनडीए में कम सीटों के साथ भी खुद को बेहतर स्थिति में मान रही है.
आरएलडी के एनडीए के साथ जाने से बीजेपी को भी फायदा होगा. जयंत चौधरी के आने से एनडीए को जाट वोटर्स को अपने पाले में करने में सहूलियत होगी. इस तरह से पश्चिम यूपी में बीजेपी की राह आसान हो जाएगी.
मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा छिनने का खतरा-
राष्ट्रीय लोक दल के सामने राज्य स्तर की मान्यता प्राप्त पार्टी का दर्जा छिनने का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में आरएलडी को लग रहा है कि बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव में उतरने से जीत की संभावनाएं अधिक होगी और वोट परसेंटेज में भी इजाफा होगा. आपको बता दें कि बीजेपी और आरएलडी ने साल 2009 में मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था. जिसमें आरएलडी को 5 सीटों पर जीत मिली थी. अब एक बार फिर आरएलडी बीजेपी के साथ हाथ मिलाने की राह पर जाती दिख रही है.
बीजेपी और आरएलडी को फायदा-
आरएलडी का एनडीए की तरफ झुकाव की एक वजह वोट बैंक खिसकने का भी डर है. आरएलडी का वोट बैंक जाट समुदाय को माना जाता है. पश्चिमी यूपी में करीब 18 फीसदी जाट आबादी है. लेकिन साल 2017, 2019 और 2022 चुनाव में जाट समुदाय के वोट बीजेपी और आरएलडी में बंट गए थे. अगर आरएलडी एनडीए में जाती है तो वोटों का बंटवारा होने का खतरा खत्म हो जाएगा.
आरएलडी का एनडीए में आने से बीजेपी को भी फायदा होगा. पश्चिम यूपी में लोकसभा की 27 सीटें हैं. साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी को 19 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि आरएलडी को किसी भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. अगर आरएलडी एनडीए में शामिल होती है तो बीजेपी को इस इलाके में और मजबूती मिलेगी.
(नई दिल्ली से उदित नारायण की रिपोर्ट)
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