कन्नौज लोकसभा सीट (Kannauj Lok Sabha Seat) उत्तर प्रदेश में है और राजधानी लखनऊ से करीब 150 किलोमीटर दूर है. राम मनोहर लोहिया से लेकर मुलायम सिंह यादव तक ने संसद में इस लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है. इस सीट अब तक बहुजन समाज पार्टी को कभी भी जीत हासिल नहीं हुई है. जबकि बीजेपी को सिर्फ 2 बार ही जीत नसीब हुई है. कन्नौज में समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. इस सीट पर यादव और मुस्लिम वोटर की संख्या ज्यादा है.
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार-
यूपी में एनडीए और इंडिया गठबंधन के अलावा बहुजन समाज पार्टी भी चुनावी ताल ठोक रही है. एनडीए (NDA) के सहयोगी दल बीजेपी (BJP) ने कन्नौज लोकसभा सीट से सुब्रत पाठक को उम्मीदवार बनाया है. जबकि इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) में ये सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है. समाजवादी पार्टी की ओर से पूर्व सीएम अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) इस बार खुद कन्नौज से चुनाव मैदान में हैं. उधर, बीएसपी ने कन्नौज से अकील अहमद पट्टा को मैदान में उतारा है.
कन्नौज में समाजवादियों का दबदबा-
कन्नौज लोकसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद से ही इस सीट पर समाजवादियों का दबदबा रहा है. इस चुनाव में मशहूर समाजवादी नेता और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राम मनोहर लोहिया ने जीत हासिल की. इस सीट पर साल 1998 से साल 2014 आम चुनाव तक समाजवादी पार्टी का कब्जा था. लेकिन साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी ने इस सीट पर जीत हासिल की.
2019 आम चुनाव में बीजेपी को जीत-
साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी ने साल 1998 से चले आ रहे समाजवादी पार्टी के विजय अभियान को रोक दिया. बीजेपी उम्मीदवार सुब्रत पाठक ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी और समाजवादी नेता डिंपल यादव को हराया. सुब्रत पाठक को 5 लाख 63 हजार 87 वोट मिले थे, जबकि डिंपल यादव को 5 लाख 50 हजार 734 वोट मिले थे. इस तरह से बीजेपी ने सालों बाद इस सीट पर जीत हासिल की.
कन्नौज लोकसभा सीट का इतिहास-
कन्नौज लोकसभा सीट साल 1967 आम चुनाव में अस्तित्व में आई. इस चुनाव में राम मनोहर लोहिया ने जीत हासिल की. लोहिया संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे. लेकिन साल 1971 आम चुनाव में कांग्रेस ने ये सीट छीन ली. कांग्रेस के उम्मीदवार सत्य नारायण मिश्र ने जीत हासिल की. इसके बाद दो चुनाव में जनता पार्टी को जीत मिली.
साल 1977 में बीजेपी के राम प्रकाश त्रिपाठी और साल 1980 में बीजेपी के ही छोटे सिंह यादव ने जीत हासिल की. साल 1984 आम चुनाव में कांग्रेस की लहर में शीला दीक्षित सांसद चुनी गईं. लेकिन साल 1989 आम चुनाव में जनता दल के उम्मीदवार छोटे सिंह यादव ने जीत हासिल की. साल 1991 चुनाव में भी छोटे सिंह यादव ही सांसद बने. लेकिन इस बार वो जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे.
साल 1996 आम चुनाव में पहली बार कन्नौज लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) को जीत मिली. बीजेपी के उम्मीदवार चंद्र भूषण सिंह ने जीत हासिल की. लेकिन साल 1998 चुनाव में इस सीट पर समाजवादी पार्टी का खाता खुला. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रदीप यादव को जीत मिली. साल 1999 चुनाव में मुलायम सिंह यादव इस सीट से सांसद चुने गए. लेकिन उन्होंने ये सीट छोड़ दी. साल 2000 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ. जिसमें अखिलेश यादव ने भारी मतों से जीत दर्ज की. उन्होंने बीएसपी उम्मीदवार अकबर अहमद डम्पी को हराया था.
साल 2004 आम चुनाव में अखिलेश यादव एक बार फिर कन्नौज सीट से मैदान में उतरे और उन्होंने बीएसपी उम्मीदवार ठाकुर राजेश सिंह को हराया. साल 2009 आम चुनाव में अखिलेश यादव ने फिर से जीत दर्ज की. लेकिन साल 2012 में विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत के बाद अखिलेश यादव ने इस सीट को छोड़ दिया. इसी साल इस सीट पर उपचुनाव हुए. जिसमें डिंपल यादव निर्विरोध सांसद चुनी गईं.
साल 2014 आम चुनाव में मोदी लहर में भी समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार डिंपल यादव ने इस सीट को जीत लिया. हालांकि जीत का अंतर काफी कम था. साल 2019 आम चुनाव में समाजवादी पार्टी और बीएसपी का गठबंधन था. लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने डिंपल यादव को हरा दिया.
5 विधानसभा सीटों का गणित-
कन्नौज लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभाएं आती हैं. इसमें छिबरामऊ, तिर्वा, कन्नौज, बिधूना और रसूलाबाद सीट शामिल है. साल 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 4 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि समाजवादी पार्टी को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी. समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार रेखा वर्मा बिधूना से विधायक चुनी गई. इसके अलावा छिबरामऊ से अर्चना पांडे, तिर्वा से कैलाश सिंह राजपूत, कन्नौज से असीम अरुण और रसूलाबाद से पूनम संखवार को जीत मिली थी.
कन्नौज सीट का जातीय समीकरण-
कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में कुल वोटर्स की संख्या करीब 18 लाख हैं. इसमें 10 लाख पुरुष और 8 लाख महिला वोटर हैं. इस लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम और यादव मतदाता हैं. मुस्लिम वोटर्स की संख्या 2.50 लाख है. जबकि यादव वोटर्स की संख्या भी इतनी ही है. इसके अलावा 2.5 लाख दलित वोटर भी हैं. जबकि इस क्षेत्र में ब्राह्मण 15 फीसदी और राजपूत 10 फीसदी हैं.