मैनपुरी लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 250 किलोमीटर दूर है.पिछले 28 सालों से इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है. मुलायम सिंह यादव इस सीट से 5 बार सांसद चुने गए. अगर बात पार्टी की की जाए तो समाजवादी पार्टी को इस सीट पर 9 बार जीत मिली है. मैनपुरी में यादव, शाक्य और राजपूत वोटर्स की बहुलता है. चलिए समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी लोकसभा सीट के समीकरण और इतिहास के बारे में बताते हैं.
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार-
यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का गठबंधन है. जबकि एनडीए में बीजेपी, आरएलडी, अपना दल और निषाद पार्टी शामिल है. इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) ने एक बार फिर डिंपल यादव को इस सीट से उम्मीदवार बनाया है. लेकिन अब तक एनडीए की तरफ से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया गया है. पूर्व सीएम मायावती की पार्टी बीएसपी (BSP) ने भी अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है.
2019 आम चुनाव और उपचुनाव के नतीजे-
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हुई थी. जिसपर साल 2022 में उपचुनाव हुए. जिसमें मुलायम सिंह की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को जीत मिली थी. एसपी उम्मीदवार ने 2.88 लाख वोटों से जीत हासिल की थी. डिंपल यादव को 6 लाख 18 हजार 120 वोट मिले थे. जबकि बीजेपी के उम्मीदवार रघुराज सिंह शाक्य को 3 लाख 29 हजार 659 वोट मिले थे.
साल 2019 आम चुनाव में समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया था. चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की थी. समाजवादी पार्टी के लीडर को 5 लाख 24 हजार 926 वोट यानी 53.75 फीसदी वोट मिले थे. जबकि बीजेपी के उम्मीदवार प्रेम सिंह शाक्य को 4 लाख 30 हजार 537 वोट यानी 55.09 फीसदी मिले थे.
28 साल से समाजवादी पार्टी का दबदबा-
मैनपुरी लोकसभा सीट पर पिछले 28 साल से समाजवादी पार्टी का दबदबा है. पहली बार साल 1996 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी के उपदेश सिंह चौहान को हराया था. उसके बाद से इस सीट पर समाजवादी पार्टी की जीत का सिलसिला बरकरार है. मैनपुरी में एसपी को 9 बार जीत मिली है. जबकि कांग्रेस के उम्मीदवारों ने 5 बार जीत का परचम लहराया है. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, बीएलडी, जनता पार्टी (सेकुलर), जनता दल और जनता पार्टी को एक-एक बार जीत मिली है.
मैनपुरी लोकसभा सीट का इतिहास-
मैनपुरी लोकसभा सीट को पहले मैनपुरी जिला पूर्व के नाम से जाना जाता था. इस सीट पर साल 1951-52 में कांग्रेस को बादशाह गुप्ता को जीत मिली थी. इसके बाद इसका नाम बदलकर मैनपुरी लोकसभा सीट कर दिया गया. साल 1957 आम चुनाव में इस सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बंशी दास धनगर ने बादशाह गुप्ता को हराया. लेकिन साल 1962 के चुनाव में बादशाह गुप्ता ने वापसी की और दूसरी बार सांसद बने. लेकिन साल 1967 आम चुनाव में कांग्रेस ने बादशाह गुप्ता की जगह महाराज सिंह को उम्मीदवार बनाया. महाराज सिंह ने 1967 और 1971 आम चुनाव में जीत दर्ज की. आपातकाल के बाद साल 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के रघुनाथ सिंह वर्मा को जीत मिली. साल 1980 आम चुनाव में जनता पार्टी (सेकुलर) के उम्मीदवार के तौर पर रघुनाथ सिंह वर्मा ने फिर से जीत दर्ज की.
साल 1984 आम चुनाव में कांग्रेस ने बलराम सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया. बलराम सिंह को जीत मिली. लेकिन साल 1989 में फिर से ये सीट जनता दल के खाते में चली गई. उदय प्रताप सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार को हराया. साल 1991 में जनता पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर उदय प्रताप सिंह ने ही जीत हासिल की.
साल 1996 में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की. जबकि साल 1998 और साल 1999 चुनाव में समाजवादी पार्टी के बलराम सिंह यादव को जीत मिली. साल 2004 आम चुनाव में एक बार फिर मुलायम सिंह यादव सांसद चुने गए. उन्होंने 2009, 2014 और 2019 आम चुनाव में भी जीत दर्ज की. साल 2014 में जीत के बाद मुलायम सिंह यादव ने सीट छोड़ दी थी. जिसके बाद उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के तेज प्रताप सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी.
5 विधानसभा सीटों का गणित-
मैनपुरी लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभाएं आती हैं. जिसमें मैनपुरी, भोंगांव, किशनी, करहल और जसवंतनगर शामिल है. साल 2022 विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर समाजवादी पार्टी और 2 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है. मैनपुरी विधानसभा सीट से बीजेपी के जयवीर सिंह और भोंगांव सीट से बीजेपी के रामनरेश अग्निहोत्री ने जीत हासिल की. जबकि किशन, करहल और जसवंतनगर से समाजवादी पार्टी को जीत मिली. किशनी से ब्रजेश कठेरिया, करहल से अखिलेश यादव और जसवंतनगर से शिवपाल सिंह यादव विधायक हैं.
मैनपुरी लोकसभा सीट का जातीय समीकरण-
मैनपुरी लोकसभा सीट पर पिछड़ी जातियों की बहुलता है. इस सीट पर सबसे ज्यादा वोटर यादव समुदाय के हैं. एक अनुमान के मुताबिक यादव वोटर्स की संख्या 3.5 लाख है. इसके अलावा राजपूत वोटर्स की संख्या 1.5 लाख है और शाक्य वोटर्स की संख्या 1.6 लाख है. इस सीट पर ब्राह्मण वोटर 1.2 लाख, जाटव वोटर 1.4 लाख और लोधी राजपूत वोटर्स की संख्या एक लाख है. मैनपुरी में मुस्लिम वोटर भी एक लाख के करीब है. जबकि कुर्मी मतदाता भी एक लाख हैं.
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