हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट चर्चा में है. इस सीट से बीजेपी ने कंगना रनौत को मैदान में उतारा है. हालांकि इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. कांग्रस पार्टी ने इस सीट पर 13 बार जीत दर्ज की है. जबकि बीजेपी को 5 बार जीत मिली है. मंडी सीट से वीरभद्र सिंह की फैमिली मे 6 बार जीत हासिल की है. कांग्रेस की तरफ से सुखराम ने भी 3 बार जीत हासिल की है.
किस पार्टी से कौन उम्मीदवार-
मंडी लोकसभा सीट से बीजेपी ने एक्ट्रेस कंगना रनौत को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस की प्रतिभा सिंह इस सीट से सांसद हैं. शुरुआत उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. लेकिन अब उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. अब देखना है कि कांग्रेस किसको इस सीट से मैदान में उतारती है.
मंडी में रहा है कांग्रेस का दबदबा-
मंडी लोकसभा सीट पर 19 बार चुनाव हुए हैं. इसमें से तीन बार उपचुनाव हुए हैं. तीनों उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली है. इस सीट पर कांग्रेस ने 13 बार चुनावों में जीत हासिल की है. जबकि बीजेपी को सिर्फ 5 बार जीत नसीब हुई है. एक बार जनता पार्टी के उम्मीदवार विजयी हुए हैं. इस सीट पर वीरभद्र सिंह फैमिली को 6 बार जीत मिली है. तीन बार वीरभद्र सिंह खुद सांसद चुने गए और तीन बार उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को जीत मिली.
2019 आम चुनाव में बीजेपी को जीत-
पिछले आम चुनाव में बीजेपी के राम स्वरूप शर्मा और कांग्रेस के आश्रय शर्मा को मैदान में उतारा था. बीजेपी उम्मीदवार को 68.75 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 25.68 फीसदी वोट हासिल हुए थे. इस चुनाव में बीएसपी और सीपीएम ने भी उम्मीदवार उतारा था. लेकिन दोनों को 15 हजार से कम वोट मिले.
साल 2021 में बीजेपी सांसद रामस्वरूप शर्मा के निधन से ये सीट खाली हो गई. साल 2021 में इस सीट पर उपचुनाव हुए. बीजेपी ने ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को मैदान में उतारा. जबकि कांग्रेस ने प्रतिभा सिंह को चुनाव में उम्मीदवार बनाया. प्रतिभा सिंह ने बीजेपी उम्मीदवार को 8 हजार 766 वोटों से हरा दिया. प्रतिभा सिंह को 3 लाख 65 हजार 650 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 3 लाख 56 हजार 884 वोट मिले थे.
मंडी लोकसभा चुनाव का इतिहास-
मंडी लोकसभा सीट पर राजपूत और ब्राह्मण नेताओं का दबदबा रहा है. साल 1952 आम चुनाव में अनुसूचित जाति (SC) उम्मीदवार के तौर पर गोपी राम ने जीत दर्ज की थी. उसके बाद से हर बार राजपूत या ब्राह्मण सांसद चुने गए. साल 1952 आम चुनाव में कांग्रेस की राजकुमारी अमृत कौर ने जीत हासिल की थी. लेकिन साल 1957 में कांग्रेस ने राजा जोगिंदर सेन बहादुर को उम्मीदवार बनाया. उन्होंने जीत हासिल की. इसके बाद साल 1971 तक कांग्रेस लगातार जीतती रही. साल 1962 और साल 1967 में ललित सेन और साल 1971 में वीरभद्र सिंह ने जीत दर्ज की.
आपातकाल के बाद हुए 1977 आम चुनाव जनता पार्टी को जीत मिली. गंगा सिंह सांसद चुने गए. लेकिन साल 1980 में कांग्रेस ने इस सीट पर फिर से कब्जा कर लिया. वीरभद्र सिंह सांसद चुने गए. लेकिन साल 1984 में कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह की जगह सुखराम को उम्मीदवार बनाया. सुखराम सांसद चुने गए. लेकिन साल 1989 में बीजेपी उम्मीदवार महेश्वर सिंह ने जीत दर्ज की.
साल 1991 आम चुनाव में कांग्रेस के सुखराम सांसद चुने गए. उन्होंने ये सीट साल 1996 आम चुनाव में भी बरकरार रखी. लेकिन साल 1998 चुनाव में बीजेपी ने वापसी की और महेश्वर सिंह सांसद चुने गए. महेश्वर सिंह ने साल 1999 चुनाव में भी जीत दर्ज की.
साल 2004 में कांग्रेस ने प्रतिभा सिंह को चुनाव में उतारा. प्रतिभा सिंह सांसद चुनी गईं. साल 2009 आम चुनाव में वीरभद्र सिंह खुद सांसद चुने गए. साल 2013 में उपचुनाव हुआ. जिसमें प्रतिभा सिंह फिर से सांसद बनीं.
साल 2014 आम चुनाव में बीजेपी ने वापसी की और रामस्वरूप शर्मा को जीत मिली. बीजेपी ने साल 2019 में रामस्वरूप शर्मा को फिर से मैदान में उतारा. उन्होंने फिर से जीत दर्ज की. लेकिन साल 2021 में उनका निधन हो गया और उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने जीत दर्ज की.
मंडी सीट का जातीय समीकरण-
मंडी लोकसभा क्षेत्र में 33.6 फीसदी राजपूत आबादी है. जबकि 21.4 फीसदी ब्राह्मण आबादी है. मंडी में अनुसूचित जाति की आबादी 29.85 फीसदी है, जो ब्राह्मणों से अधिक है. लेकिन इस सीट पर अब तक सिर्फ एक बार अनुसूचित जाति का सांसद चुना गया है. गोपी राम साल 1952 आम चुनाव में पहली बार सांसद चुने गए थे.
मंडी क्षेत्र में विधानसभा सीटों का गणित-
कई मंदिरों के होने की वजह से मंडी को छोटी काशी कहा जाता है. इस शहर में 300 से अधिक मंदिर हैं. मंडी लोकसभा क्षेत्र में 17 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें भरमौर, लाहौल और स्पीति, किन्नौर, मनाली, कुल्लू, बंजार, आनी, करसोग, सुंदरनगर, नाचन, सेराज, दरंग, जोगिंदरनगर, मंडी, बल्ह, सरकाघाट और रामपुर समेत 17 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इसमें से 12 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है.
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