Bihar Politics: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) की डुगडुगी बज चुकी है. एनडीए (NDA) हो या इंडिया गठबंधन (India Alliance) से जुड़ी पार्टियां, सभी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही हैं. आज हम आपको बिहार की हॉट सीटों में शुमार नालंदा लोकसभा सीट (Nalanda Lok Sabha Seat) का इतिहास और ताजा समीकरण बताने जा रहे हैं. बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का गृह जिला भी यही है. यहां 7वें और आखिरी चरण में 1 जून 2024 को मतदान होना है.
जदयू ने फिर कौशलेंद्र कुमार पर जताया है भरोसा
नालंदा लोकसभा सीट इस बार भी बंटवारे के तहत एनडीए से जुड़ी जदयू (JDU) के खाते में गई है. यहां से नीतीश कुमार की पार्टी ने मौजूदा सांसद कौशलेंद्र कुमार (Kaushalendra Kumar) पर ही अपना भरोसा जताया है. वह यहां से तीन बार लगातार चुनाव जीत चुके हैं. इस बार लगातार चौथी बार विजय पताका फहराने के लिए जोर लगा रहे हैं. उधर, इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट भाकपा माले के खाते में है. यहां से CPIML ने संदीप सौरभ (Sandeep Saurabh) को अपना उम्मीदवार बनाया है.
नीतीश नाम का ही चलता है सिक्का
पिछले कई लोकसभा चुनावों से नालंदा में नीतीश कुमार का ही सिक्का चल रहा है. यानी जिस भी उम्मीदवार के सिर नीतीश का हाथ होता है, वह जीत जाता है. 1996 से लगातार हुए आम चुनाव और एक उपचुनाव में नालंदा की जनता ने सीएम नीतीश कुमार से आगे नहीं सोचा है. यहां कहा तो यह भी जाता है कि यदि नालंदा रोम है तो नीतीश कुमार इसके पोप हैं. सीएम नीतीश का गृह जिला होने के कारण नालंदा में काफी विकास हुआ है. इसके देखते हुए जदयू उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार का पलड़ा इस लोकसभा चुनाव में भी भारी है.
सीएम नीतीश कुमार की नालंदा लोकसभा सीट पर पकड़ इतनी मजबूत है कि लोकसभा चुनाव 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर थी, उस समय भी यहां जदयू उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी. इस बार के चुनावी रण में वाम दल महागठबंधन के साथ उतरी है. ऐसे में राजद का एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण चुनावी जंग को रोचक और संघर्षपूर्ण बना सकता है. फिर भी कहा जा सकता है कि संदीप सौरव के लिए यह लोकसभा चुनाव बड़ी अग्निपरीक्षा है. संदीप सौरभ जेएनयू छात्र संघ के महासचिव रह चुके हैं. वह वर्तमान में पालीगंज के विधायक हैं.
नालंदा का कैसा रहा चुनावी इतिहास
पटना से अलग होकर नालंदा 1972 में एक अलग जिला बना. इसके पहले के लोकसभा चुनावों में नालंदा पटना जिले का ही हिस्सा बना रहा.यहां पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ था. उस समय पटना सेंट्रल ही वर्तमान का नालंदा का लोकसभा क्षेत्र था. पटना सेंट्रल के नाम से हुए उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार कैलाशपति सिन्हा ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदावर चंद्रिका सिंह को 46 हजार 401 मतों से हराया था. 1957 के आम चुनाव में पटना से अलग होकर नालंदा लोकसभा को अपना नाम मिला.
इस चुनाव में भी कांग्रेस के टिकट से कैलाशपति सिन्हा ने जीत दर्ज की थी. नालंदा लोकसभा सीट से पहले चुनाव से लेकर 1971 तक यानी छठी लोकसभा तक लगातार कांग्रेस की जीत मिली. इसके बाद यहां से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा रहा. लोकसभा चुनाव 1996 में नालंदा से समता पार्टी के टिकट पर जार्ज फार्नाडिंस ने जीत दर्ज कर सीपीआई के गढ़ पर कब्जा जमाया. अभी इस सीट पर जदयू का कब्जा है.
कांग्रेस की जीत के सिलसिले को जनता पार्टी ने रोका
लोकसभा चुनाव 1962, 1967 और 1971 में नालंदा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार सिद्धेश्वर प्रसाद ने लगातार जीत दर्ज की. कांग्रेस की जीत के इस सिलसिले को लोकसभा चुनाव 1977 में जनता पार्टी के उम्मीदवार वीरेंद्र प्रसाद ने रोका. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1980 और 1984 में भाकपा के उम्मीदवार विजय कुमार यादव ने नालंदा से जीत दर्ज की. लोकसभा चुनाव 1989 में एक बार फिर कांग्रेस का नालंदा सीट पर कब्जा हो गया. कांग्रेस उम्मीदवार रामस्वरूप प्रसाद विजयी रहे. लोकसभा चुनाव 1991 में भाकपा के विजय कुमार यादव को नालंदा से सफलता मिली. इसके बाद कांग्रेस और भाकपा को नालंदा से कभी जीत नहीं मिली.
जॉर्ज फर्नांडिस तीन बार नालंदा के रह चुके हैं सांसद
जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार ने जनता दल से अलग होकर 1994 में समता पार्टी का गठन किया. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1996 में नालंदा से समता पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जॉर्ज फर्नांडिस ने जीत दर्ज की थी. फिर समता पार्टी के टिकट से ही जॉर्ज फर्नांडिस 1998 में नालंदा के सांसद बने. लोकसभा चुनाव 1999 में जॉर्ज फर्नांडिस ने नालंदा से जदयू के टिकट पर जीत दर्ज की थी.
लोकसभा चुनाव 2004 में नीतीश कुमार जदयू के टिकट पर नालंदा से विजयी हुए थे. इसके बाद 2006 में यहां लोकसभा का उपचुनाव हुआ और जदयू के टिकट से रामस्वरूप प्रसाद विजयी हुए. जदयू की जीत का यह सिलसिला लगातार जारी रहा. जदयू की टिकट से कौशलेन्द्र कुमार लोकसभा चुनाव 2009, 2014 और 2019 में नालंदा से चुनाव जीत दर्ज कर चुके हैं. इस बार जदयू के टिकट से कौशलेन्द्र कुमार चौथी बार जीत का स्वाद चखना चाह रहे हैं.
कैसा रहा लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में जनादेश
लोकसभा चुनाव 2014 में नालंदा से जदयू उम्मीदवार कौशलेंद्र कुमार ने एलजेपी प्रत्याशी सत्य नंद शर्मा को हराया था. कौशलेंद्र कुमार को 3,21,982 वोट जबकि सत्य नंद शर्मा को 3,12,355 मत मिले थे. तीसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार आशीष रंजन सिन्हा रहीं थी. उन्हें 1,27,270 वोट मिला था. चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमशः बीएसपी और सीपीआई (एमएल) के उम्मीदवार रहे थे.
लोकसभा चुनाव 2019 में भी कौशलेंद्र कुमार जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीत हासिल की थी. कौशलेंद्र कुमार को 540,888 वोट मिले थे. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के अशोक कुमार आजाद 284,751 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर थे. राष्ट्रीय हिन्द सेना के राम विलास पासवान 21,276 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर थे. शोषित समाज दल के ब्रह्मदेव प्रसाद 16,346 मतों के साथ चौथे स्थान पर रहे थे.
सिर्फ एक सीट को छोड़ बाकी विधानसभा सीटों पर एनडीए का कब्जा
नालंदा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल सात विधानसभा सीटें आती हैं. ऐसा नए परिसीमन के बाद किया गया. सात विधानसभा क्षेत्रों में अस्थावां, बिहारशरीफ, राजगीर, इस्लामपुर, हिलसा, नालंदा और हरनौत शामिल हैं. इसमें राजगीर एससी रिजर्व सीट है. बाढ़ संसदीय क्षेत्र में पहले चंडी और हरनौत विधानसभा आते थे लेकिन परिसीमन के बाद चंडी विधानसभा समाप्त कर दिया गया और उसका हिस्सा हरनौत में शामिल हो गया.
हरनौत को बाढ़ से हटाकर नालंदा में शामिल कर लिया गया. हरनौत ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विधानसभा क्षेत्र है. वर्तमान में इन सात विधानसभा सीटों में इस्लामपुर को छोड़कर सभी सीटों पर एनडीए का कब्जा है. 5 सीटों पर जदयू और एक सीट पर बीजेपी के विधायक हैं.
क्या है जातीय समीकरण
नालंदा लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 22 लाख 37 हजार 750 है. इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 11 लाख 90 हजार 971 और महिला मतदाताओं की संख्या 10 लाख 46 हजार 709 है. नालंदा लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां कुर्मियों की बहुलता है. यहां करीब 26 फीसदी मतदाता कुर्मी हैं. कुर्मी मतदाताओं की संख्या करीब 4 लाख 50 हजार है. यही मतदाता जदयू के कोर वोटर हैं. यहां दूसरे नंबर पर यादव हैं, जिनकी संख्या करीब 3 लाख 35 हजार है. ये राजद के कोर वोटर माने जाते हैं.
मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 2 लाख के करीब है, जो राजद और कांग्रेस के वोटर थे, बाद में जदयू ने इसमें सेंधमारी की. नालंदा लोकसभा में करीब 1 लाख 85 हजार बनिया मतदाता हैं, जो भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं. पासवान मतदाताओं की संख्या लगभग 1 लाख 35 हजार है. इन्हें लोजपा का कोर वोटर माना जाता है. कुशवाहा मतदाताओं की संख्या एक लाख से ज्यादा है. ये साइलेंट वोटर के तौर पर देखे जाते हैं. वैसे यहां हर चुनाव में सवर्ण मतदाता भी निर्णायक भूमिका में रहते हैं.