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Lok Sabha Elections 2024: सस्ता नहीं बहुत महंगा होता है इलेक्शन करवाना, जानें एक चुनाव में कितना आता है खर्च?

Lok Sabha Elections 2024: प्रति वोट की बात करें, तो 1951 में प्रति मतदाता कीमत 6 पैसे आती थी. जबकि 2014 में ये बढ़कर 46 रुपये हो गई. चुनावी अभियानों से जुड़े खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2024 सात चरणों में होने वाले हैं. समापन 4 जून को परिणामों की घोषणा के साथ होने वाला है.

Loksabha Elections (Photo: PTI) Loksabha Elections (Photo: PTI)
हाइलाइट्स
  • महंगी होती है चुनावी प्रक्रिया 

  • 4 जून को होगी परिणामों की घोषणा 

भारत में सात चरणों में 2024 के लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. 19 अप्रैल से ये शुरू हो चुके हैं. देश में चुनाव करवाने का काम चुनाव आयोग (EC) को सौंपा जाता है. इसबार देश भर के 96.8 करोड़ से ज्यादा लोग वोट देने वाले हैं. हालांकि, लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व मनाना इतना ही सस्ता नहीं होता है. 

इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराने में काफी लागत आती है. ये लागत पिछले कुछ दशकों में तेजी से बढ़ी है. 1951-52 के चुनावों के दौरान अपने शुरुआती चरण में, भारत में चुनाव करवाने में 10.5 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था. जबकि 1957 के चुनावों में लागत में थोड़ी गिरावट देखी गई थी. लेकिन उसके बाद के सभी चुनावों में इस लागत में बढ़ोतरी देखी गई, है और खर्चे भी काफी बढ़े हैं.

महंगी होती है चुनावी प्रक्रिया 

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फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 2019 के लोकसभा चुनावों में लगभग 50,000 करोड़ रुपये ($7 बिलियन) लागत आई थी, जो 2014 के चुनावों के दौरान खर्च किए गए 3,870 करोड़ रुपये से काफी ज्यादा थी. OpenSecrets.org के आंकड़ों के अनुसार, यह लागत 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान खर्च किए गए लगभग 6.5 बिलियन डॉलर से काफी ज्यादा है. इससे पता चलता है कि चुनाव कितना महंगा होता है. 

प्रति वोट कितनी लागत आती है

प्रति वोट की बात करें, तो 1951 में प्रति मतदाता कीमत 6 पैसे आती थी. जबकि 2014 में ये बढ़कर 46 रुपये हो गई. चुनावी अभियानों से जुड़े खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं. इस वृद्धि के लिए असंख्य कारक जिम्मेदार हैं. जिनमें सोशल मीडिया का बढ़ता प्रभाव और राजनीतिक अभियानों की बढ़ती मांगें शामिल हैं.

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की खरीद का खर्चा सबसे बड़ा है. प्रशासनिक लागत, जिसमें अधिकारियों के लिए पारिश्रमिक, ट्रेनिंग सेशन और जागरूकता अभियान शामिल हैं. 

इतना ही नहीं, बल्कि चुनाव आयोग के आदेश के मुताबिक, जिन अधिकारियों की ड्यूटी चुनावी प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में होती है उन्हें प्रतिदिन 350 रुपये और मतदान अधिकारियों को 250 रुपये मिलते हैं. 

कौन झेलता है इस बोझ को?

लोकसभा चुनाव कराने की लागत केंद्र और राज्य सरकारों दोनों वहन करते हैं. जहां केंद्र लोकसभा चुनावों का पूरा खर्च वहन करता है, वहीं राज्य विधानसभा चुनावों का खर्चा पूरी तरह से संबंधित राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है. हालांकि, एक साथ चुनाव के मामले में, वित्तीय जिम्मेदारी केंद्र और राज्यों के बीच समान रूप से बंट जाती है. 

4 जून को होगी परिणामों की घोषणा 

लोकसभा चुनाव 2024 सात चरणों में होने वाले हैं. समापन 4 जून को परिणामों की घोषणा के साथ होने वाला है. घोषणा और वोटों की गिनती सहित कुल 82 दिनों की चुनावी प्रक्रिया के साथ, 2024 लोकसभा चुनाव भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे लंबे समय तक चलने वाले चुनाव हैं.