लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) का बिगुल बज चुका है. छह चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है. आखिरी और सातवें चरण का चुनाव 1 जून को है. इसी फेज में बिहार की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक पटना साहिब लोकसभा सीट (Patna Sahib Lok Sabha Seat) पर मतदान होना है.
यहां एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन (India Alliance) के बीच सीधी टक्कर है. दोनों गठबंधन के दिग्गज नेता अपने-अपने प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी सभाएं कर रहे हैं. हम आपको आज कायस्थ बाहुल्य पटना साहिब सीट का इतिहास और ताजा समीकरण बताने जा रहे हैं.
बीजेपी ने फिर रविशंकर प्रसाद पर जताया है भरोसा
पटना साहिब लोकसभा सीट इस बार भी एनडीए गठबंधन की तरफ से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खाते में गई है. बीजेपी ने यहां से वर्तमान सांसद रविशंकर प्रसाद (Ravi Shankar Prasad) को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है. उधर, इंडिया अलायंस की तरफ से यह सीट कांग्रेस (Congress) के पास है. यहां से इस पार्टी ने अंशुल अविजीत (Anshul Avijit) को अपना उम्मीदवार बनाया है. अंशुल जहां पहली बार पटना साहिब से चुनाव लड़ रहे हैं, वहीं रविशंकर प्रसाद इस सीट से 2019 में जीत दर्ज कर चुके हैं.
रविशंकर प्रसाद की बीजेपी के दिग्गज नेताओं में होती है गिनती
रविशंकर प्रसाद राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं साथ ही केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. रविशंकर प्रसाद की गिनती भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेताओं में होती है. वह बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं. सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं. राजधानी पटना में रविशंकर प्रसाद के पक्ष में पीएम मोदी रोड शो भी कर चुके हैं. उधर, अंशुल अविजीत का भी राजनीतिक बैकग्राउंड पुराना रहा है.
अंशुल अभी कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं. उन्हें राजनीति विरासत में मिली है. अंशुल सासाराम लोकसभा सीट से 8 बार सांसद रह चुके देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम के नाती और सासाराम की दो बार सांसद रह चुकीं लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार के पुत्र हैं. अंशुल की दादी सुमित्रा देवी भी बिहार सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. अंशुल कुशवाहा जाति से ताल्लुक रखते हैं.
ये भी हैं चुनावी मैदान में
लोकसभा चुनाव 2024 में पटना साहिब से बीजेपी उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद और कांग्रेस प्रत्याशी अंशुल अविजीत सहित कुल 17 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. अखंड भारत जनप्रिय पार्टी से सुमित रंजन सिन्हा, जनतंत्र आवाज पार्टी से मो. शाहिद आलम, भारतीय मोमिन फ्रंट से महबूब आलम अंसारी, भारतीय जन क्रांति दल (डेमोक्रेटिक) से राकेश दत्त मिश्रा, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी से गुलाब प्रसाद, पिपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) से उमेश रजक, समता पार्टी से महेश कुमार, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट) से सरोज कुमार सुमन चुनावी मैदान में हैं. निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर डॉ. धर्मवीर कुमार भास्कर, अमित कुमार अलबेला, संजय कुमार, राकेश शर्मा और अवधेश प्रसाद अपनी किस्तम आजमा रहे हैं. 4 जून को एक साथ पूरे देश में रिजल्ट आएगा. इस दिन तय हो जाएगा कि पटना साहिब लोकसभा सीट से इसबार किसको मौका मिलता है.
पटना साहिब लोकसभा सीट का क्या है इतिहास
पटना साहिब लोकसभा सीट साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी. इससे पहले पटना के लिए केवल एक लोकसभा सीट थी. परिसीमन के बाद पटना को दो सीटों में एक पाटलिपुत्र और दूसरा पटना साहिब में बांटा गया. परिसीमन के बाद 2009 में पटना साहिब लोकसभा सीट पर पहला चुनाव हुआ था. उस चुनाव में बीजेपी ने अपना उम्मीदवार फिल्म स्टार शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) को बनाया था.
बिहारी बाबू नाम से फेमस शत्रुघ्न सिन्हा ने जीत दर्ज की थी. शत्रुघ्न सिन्हा विरुद्ध कांग्रेस ने चर्चित टीवी स्टार और पटना के ही निवासी शेखर सुमन को चुनावी मैदान में उतारा था. राजद ने विजय कुमार पर भरोसा जताया था. शत्रुघ्न सिन्हा ने करीब 1.67 लाख मतों के बड़े अंतर से इस सीट पर कब्जा जमाया था. उन्होंने 57.30 प्रतिशत मत हासिल किया था. 27.11 प्रतिशत मतों के साथ राजद के विजय कुमार दूसरे तो कांग्रेस के शेखर सुमन 11.10 प्रतिशत मत लाकर तीसरे स्थान पर रहे थे.
कभी कांग्रेस और भाकपा का था गढ़
पहले पटना लोकसभा क्षेत्र में पहले पटना साहिब शामिल था. पटना साहिब बनने से पहले पटना लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस और भाकपा का गढ़ रहा था. यहां के पहले सांसद सारंगधर सिन्हा थे. लोकसभा चुनाव 1962 में कांग्रेस के टिकट पर रामदुलारी सिन्हा ने जीत दर्ज की थी. वह इस क्षेत्र की पहली महिला सांसद बनी थीं. इसके बाद भाकपा के रामावतार शास्त्री ने कांग्रेस के विजय रथ को रोका था. लोकसभा चुनाव 1967, 1971 और 1980 में रामावतार शास्त्री पटना के सांसद चुने गए.
लोकसभा चुनाव 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर महामाया प्रसाद सिन्हा ने जीत दर्ज की थी. डॉ. सीपी ठाकुर भी यहां से तीन बार 1984 में कांग्रेस के टिकट से इसके बाद लोकसभा चुनाव 1998 और 1999 में भाजपा के टिकट पर वह जीते थे. लोकसभा चुनाव 1989 में बीजेपी उम्मीदवार शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव ने जीत दर्ज की थी. रामकृपाल यादव यहां से 1991 और 1996 में जनता दल, 2004 में राष्ट्रीय जनता दल से संसद पहुंच चुके हैं.
लगातार दूसरी बार शत्रुघ्न सिन्हा रहे विजयी
लोकसभा चुनाव 2014 में एक बार फिर बीजेपी ने पटना साहिब लोकसभा सीट से शत्रुघ्न सिन्हा को अपना उम्मीदवार बनाया था.शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस प्रत्याशी कुणाल सिंह को हराया था. सिन्हा को 485,905 वोट मिले थे जबकि कुणाल को 220,100 मतों से संतोष करना पड़ा था. उस चुनाव शत्रुघ्न सिन्हा को 55.04 प्रतिशत वोट मिले थे और कुणाल सिंह को 24.93 प्रतिशत. तीसरे स्थान पर 91,024 मतों के साथ जदयू के उम्मीदवार डॉ. गोपाल प्रसाद सिन्हा रहे थे. चौथे स्थान पर आम आदमी पार्टी की परवीन अमानुल्ला और पांचवें स्थान पर सपा के उमेश कुमार रहे थे. इस चुनाव में 7,727 लोगों ने नोटा बटन दबाया था.
रविशंकर प्रसाद से मिली थी करारी हार
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. पटना साहिब लोकसभा सीट से इस बार बीजेपी ने अपना उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद को बनाया था. रविशंकर ने कांग्रेस उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा को करारी शिकस्त दी थी. रविशंकर प्रसाद को इस चुनाव में 607,506 वोट मिले थे. शत्रुघ्न सिन्हा को 322,849 मतों से संतोष करना पड़ा था. तीसरे नंबर पर 9,319 वोटों के साथ निर्दलीय उम्मीदवार निमेष शुक्ला थे. चौथे नंबर पर 5,446 वोटों के साथ निर्दलीय उम्मदीवार जावेद थे.
विधानसभा सीटों का समीकरण
पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 6 विधानसभा सीटें पटना साहिब, बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार और फतुहा आती हैं. वर्तमान में इन 6 सीटों में से 4 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. पटना साहिब विधानसभा से बीजेपी के नंदकिशोर यादव, बांकीपुर विधानसभा से बीजेपी के नितिन नवीन, दीघा विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के संजीव चौरसिया और कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र से अरुण सिन्हा बीजेपी के विधायक हैं. दो सीट पर राजद का कब्जा है. बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र से राजद के अनिरुद्ध कुमार और फतुहा विधानसभा से राजद के रामानंद यादव विधायक हैं.
क्या है जातीय समीकरण
पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 21 लाख 36 हजार 684 है. इस बार 20878 नए मतदाता जुड़े हैं. इस सीट की जातीय समीकरण की बात करें तो यहां कायस्थ मतदाताओं का दबदबा हर चुनाव में दिखता है. पिछले कई चुनावों से इस सीट पर कायस्थ मतदाताओं का झुकाव बीजेपी के पक्ष में रहता है. इसके अलावा राजपूत व अन्य जातियों के मतदाता भी बीजेपी को वोट देते हैं. जिसके चलते बीजेपी को इस सीट पर हर बार जीत मिल रही है. पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में कायस्थ मतदाता सबसे ज्यादा 5 लाख से ऊपर हैं. इसके बाद यादव और राजपूत वोटर्स हैं. इस सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाता भी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जिनकी आबादी लगभग 6 प्रतिशत है.