Bihar Politics: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) सात चरणों में होना है. बिहार की कुल 40 सीटों को जीतने के लिए एनडीए (NDA) हो इंडिया (INDIA) गठबंधन जुट गई हैं. आज हम आपको पूर्णिया लोकसभा सीट के बारे में बताने जा रहे हैं.
यहां के वर्तमान सांसद संतोष कुशवाहा (Santosh Kushwaha) एक बार फिर जदयू (JDU) के टिकट से मैदान में हैं तो वहीं आरजेडी (RJD) ने बीमा भारती (Bima Bharti) को अपना उम्मीदवार बनाया है. पप्पू यादव (Pappu Yadav) भी इसी सीट से चुनाव लड़ना चाह रहे हैं. वह अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय कांग्रेस (Congress) में कर चुके हैं.
आजादी के बाद से 1971 तक कांग्रेस की हुई जीत
पूर्णिया लोकसभा सीट से एक-दो नहीं कई राष्ट्रीय स्तर के कद्दावर नेता चुनाव लड़ चुके हैं और जीत दर्ज कर चुके हैं. यहां से स्वतंत्रता सेनानी फणी गोपाल सेन गुप्ता, स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य मोहम्मद ताहिर, बाहुबली नेता पप्पू यादव और सीमांचल के कद्दावर नेता मो. तस्लीमुद्दीन लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं.
देश की आजादी के बाद जब पहली बार लोकसभा का चुनाव हुआ था, उस समय पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का नाम पूर्णिया सेंट्रल हुआ करता था. उस समय कांग्रेस उम्मीदवार फणी गोपाल सेन गुप्ता ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1967 तक फणी गोपाल सेन गुप्ता को ही पूर्णिया को लोगों ने कांग्रेस के टिकट से अपना सांसद बनाया.
... जब पहली बार गैर कांग्रेसी पर जनता ने दिखाया भरोसा
लोकसभा चुनाव 1971 में पूर्णिया से कांग्रेस ने फणी गुप्ता का टिकट काट कर मोहम्मद ताहिर को चुनावी मैदाने में उतारा था. मोहम्मद ताहिर ने जीत दर्ज कर कांग्रेस का झंडा बुलंद किया था. मोहम्मद ताहिर पूर्णिया के पहले मुस्लिम सांसद थे. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1977 में कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा. पहली बार पूर्णिया की जनता ने गैर कांग्रेसी को अपना सांसद चुनकर दिल्ली भेजा.
इस चुनाव में भारतीय लोकदल के टिकट पर लखन लाल कपूर ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहीं माधुरी सिंह को मात दी थी. हालांकि 1980 के चुनाव में माधुरी सिंह जीत दर्ज करने में सफल रहीं. वह लोकसभा चुनाव 1984 में भी कांग्रेस के टिकट पर यहां से सांसद बन पाने में सफल रहीं. 1989 में हुए आम चुनाव में माधुरी सिंह को जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मो. तस्लीमुद्दीन ने मात दी.
बिना सांसद के चार सालों तक रहा पूर्णिया
पूर्णिया चार सालों तक बिना सांसद के भी रह चुका है. 1991 में 10वीं लोकसभा के लिए मतदान हुआ था. इस चुनाव के दौरान प्रमुख दलों ने चुनाव आयोग से बूथ लूटने और धांधली की शिकायत की थी. इसके बात कड़ा एक्शन लेते हुए उस समय के मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन ने चुनाव परिणाम के नतीजे पर रोक लगा दी थी. इसके बाद मामला कोर्ट तक पहुंचा. कोर्ट ने 4 साल बाद पुनर्मतदान का आदेश दिया. मार्च 1995 में चुनाव आयोग ने निर्दलीय प्रत्याशी राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को विजेता घोषित किया.
सीमांचल में पप्पू यादव एक बड़े नेता के रूप में उभरे
1996 में 11वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुआ. समाजवादी पार्टी के टिकट पर पप्पू यादव ने पूर्णिया से जीत दर्ज करने में सफलता प्राप्त की. उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता को मात दी थी. इस जीत ने सीमांचल में पप्पू यादव को एक बड़े नेता के तौर पर पहचान दिलाई. हालांकि लोकसभा चुनाव 1998 में पप्पू यादव को भाजपा उम्मीदवार जय कृष्ण मंडल ने हरा दिया.
इस चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्णिया की पूर्व सांसद माधुरी सिंह के बेटे उदय सिंह उर्फ़ पप्पू सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. इसके बाद लोकसभा का चुनाव 1999 में हुआ. इस बार पप्पू यादव की जीत हुई. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े पप्पू यादव ने पिछली बार के सांसद जय कृष्ण मंडल को शिकस्त दी थी. लोकसभा चुनाव 2004 में पप्पू यादव को भाजपा के उम्मीदवार उदय सिंह ने हरा दिया. लोकसभा चुनाव 2009 में भी बीजेपी प्रत्याशी उदय सिंह को जीत मिली थी.
2014 में जदयू उम्मीदवार ने बीजेपी को दी थी मात
लोकसभा चुनाव 2014 में जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार संतोष कुमार कुशवाहा ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी उदय सिंह को मात दी थी. संतोष कुमार कुशवाहा को कुल 4,18,826 मत मिले थे. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार उदय सिंह को 3,02,157 वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस की टिकट पर अमरनाथ तिवारी ने चुनाव लड़ा था. उन्हें सिर्फ 1,24,344 वोट से संतोष करना पड़ा था.
2019 के लोकसभा चुनाव में संतोष कुमार कुशवाहा ने कांग्रेस उम्मीदवार उदय सिंह को हराया था. संतोष कुमार कुशवाहा को 6,32,924 वोट जबकि उदय सिंह को 3,69,463 वोट मिले थे. 18 हजार से ज्यादा लोगों ने NOTA का बटन दबाया था. इस तरह से संतोष कुमार कुशवाहा ने उदय सिंह को 2,63,461 वोटों से मात दी थी. लोकसभा चुनाव 2019 में जदयू को 55 प्रतिशत मत, कांग्रेस को 30 प्रतिशत और अन्य को 15 प्रतिशत मिला था.
कौन और कब रहे पूर्णिया के सांसद
1951: फणी गोपाल सेन गुप्ता, कांग्रेस
1957: फणी गोपाल सेन गुप्ता, कांग्रेस
1962: फणी गोपाल सेन गुप्ता, कांग्रेस
1967: फणी गोपाल सेन गुप्ता, कांग्रेस
1971: मोहम्मद ताहिर, कांग्रेस
1977: लखन लाल कपूर, भारतीय लोक दल
1980: माधुरी सिंह, कांग्रेस
1984: माधुरी सिंह, कांग्रेस
1989: तस्लीमुद्दीन, जनता दल
1991: चुनाव आयोग ने परिणाम पर लगाया रोक
1995: पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन, निर्दलीय
1996: पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन, समाजवादी पार्टी
1998: जय कृष्ण मंडल, भाजपा
1999: पप्पू यादव उर्फ राजेश रंजन, निर्दलीय
2004: उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह, भाजपा
2009: उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह, भाजपा
2014: संतोष कुशवाहा, जदयू
2019: संतोष कुशवाहा, जदयू
कुल इतनी हैं विधानसभा सीटें
पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें बनमनखी, धमदाहा, रुपौली, कसबा, पूर्णिया व कोढ़ा आती हैं. विधानसभा चुनाव 2020 में बीजेपी ने 3, जेडीयू ने 2 और कांग्रेस ने 1 सीट पर जीत दर्ज की थी. ब्राह्मण व राजपूत मतदाता पूर्णिया, रुपौली और धमदाहा में सबसे अधिक हैं.
कोढ़ा, कसबा और बनमनखी में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अधिक है. बनमनखी में सबसे अधिक यादव मतदाता हैं. एससी-एसटी, बीसी और ओबीसी मतदाता बनमनखी व कोढ़ा में अधिक हैं. धमदाहा विधानसभा में सबसे अधिक महिला मतदाता हैं.
क्या है सामाजिक समीकरण
पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में 60 फीसदी मतदाता हिंदू और 40 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 13 लाख 5 हजार 396 है. इनमें से 6 लाख 88 हजार 182 पुरुष मतदाता और 6 लाख 17 हजार 214 महिला वोटर शामिल हैं.हिंदुओं में जाति के हिसाब से देखें तो मतदाताओं में पांच लाख एससी-एसटी, ईबीसी और ओबीसी हैं.
इसके बाद यादव डेढ़ लाख, ब्राह्मण सवा लाख और राजपूत मतदाताओं की संख्या सवा लाख से अधिक है. एक लाख से थोड़ा ज्यादा दूसरी जातियों के मतदाता हैं. पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र में लगभग सात लाख मुस्लिम मतदाता हैं. यहां कुशवाहा, कोयरी-कुर्मी की भी अच्छी खासी जनसंख्या है. वैश्य समुदाय भी पूर्णिया की राजनीति में अहम स्थान रखती है.