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Lok Sabha Elections: Akhilesh Yadav की Samajwadi Party और Jayant Chaudhary की RLD में डील पक्की, लेकिन Muzaffarnagar सीट पर फंस गया पेंच, जानें पूरा मामला

Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (SP) और राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के बीच सीटों को लेकर डील हो गई है. समाजवादी पार्टी आरएलडी को 7 सीटें देने पर राजी हो गई है. लेकिन इसमें से एक सीट मुजफ्फरनगर में उम्मीदवार को लेकर पेंच फंस गया है. समाजवादी पार्टी हरेंद्र मलिक को मैदान में उतारना चाहती है, जबकि आरएलडी के कार्यकर्ता उनका विरोध कर रहे हैं.

Jayant Chaudhary and Akhilesh Yadav Jayant Chaudhary and Akhilesh Yadav

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर उत्तर प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है. गठबंधन में सहयोगी पार्टियों के बीच लगातार आपसी तालमेल बैठाने की कोशिश हो रही है. करीब पखवाड़े भर पहले जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की लखनऊ में हुई मुलाकात के बाद दोनों के बीच 7 सीटों पर डील हो गई. इन 7 सीटों में 5 सीटों के नाम तय हैं. इसमें बागपत, मुजफ्फरनगर, कैराना, मथुरा, हाथरस तो तय हैं, लेकिन दो सीटों पर अभी भी नाम को लेकर संशय बना हुआ है. अभी यह नहीं हो पा रहा कि मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, नगीना और फतेहपुर सीकरी में से कौन सी और 2 सीट आरएलडी को दी जाएगी.

मुजफ्फरनगर पर फंसा पेंच-
मुजफ्फरनगर में प्रत्याशी को लेकर समाजवादी पार्टी और आरएलडी में खींचतान मची है. समाजवादी पार्टी चाहती है कि हरेंद्र मलिक को वहां से चुनाव लड़ाया जाए. बेशक समाजवादी पार्टी के हरेंद्र मलिक आरएलडी के टिकट पर लड़ जाएं, लेकिन उन्हें ही उम्मीदवार बनाया जाए. जबकि आरएलडी के कई स्थानीय नेता इसके विरोध में है. वो नहीं चाहते हैं कि हरेंद्र मलिक को मुजफ्फरनगर की सीट दी जाए. 

दरअसल हरेंद्र मलिक जब कांग्रेस में हुआ करते थे. तब से चौधरी परिवार से पुरानी अदावत रही है और मुजफ्फरनगर सीट चौधरी परिवार की कोर सीट मानी जाती है. इसलिए जयंत चौधरी या तो खुद के लिए या अपने किसी करीबी को यहां से लड़ना चाहते हैं. लेकिन जैसा कि तय हो चुका है कि ना तो जयंत चौधरी चुनाव लड़ेंगे और ना ही उनकी पत्नी चारु, ऐसे में पार्टी के भीतर कई नेता मुजफ्फरनगर सीट की दावेदारी कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी का मानना है कि संजीव बालियान को अगर कोई चुनौती दे सकता है तो वह या तो चौधरी परिवार या फिर हरेंद्र मलिक. लेकिन जयंत की पार्टी का काडर हर हाल में यह सीट अपने लिए चाहता है. वह नहीं चाहता कि समाजवादी पार्टी का कैंडिडेट हो और आरएलडी का सिंबल. यह लड़ाई अब सतह पर आ गई है. दावा तो यह भी किया जा रहा है कि अगर मुजफ्फरनगर पर समाजवादी पार्टी अपना कैंडिडेट देती है, तो आरएलडी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी को संभालना मुश्किल हो सकता है.

हालांकि माना जा रहा है कि अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच मुजफ्फरनगर का फार्मूला तय हो चुका है. जिसमें हरेंद्र मलिक आरएलडी के सिंबल पर चुनाव में उतरेंगे. लेकिन जयंत चौधरी इसे फिलहाल अपने कार्यकर्ताओं में जाहिर नहीं कर रहे हैं.

एनडीए में नहीं जाएंगे जयंत- सूत्र
नीतीश कुमार की तर्ज पर एनडीए में जयंत चौधरी के जाने की चर्चा तो सियासी फिजा में तैरती रहती है. लेकिन एक बार गठबंधन हो जाने, सीटों की संख्या तय हो जाने और अखिलेश और जयंत की हाल में हुई मुलाकात में सब कुछ तय हो जाने के बाद अचानक से एनडीए की ओर रुख करने का कोई कारण नहीं है, ऐसा आरएलडी की सियासत पर नजर रखने वालों का भी मानना है.

चंद्रशेखर रावण को मैदान में उतार सकते हैं जयंत-
बहरहाल बीएसपी के एक बड़े गुर्जर चेहरे और चंद्रशेखर रावण को लेकर भी दोनों दलों में चर्चा है. चंद्रशेखर रावण को जयंत चौधरी नगीना की सीट लड़ाना चाहते हैं, जबकि अखिलेश यादव से फिलहाल चंद्रशेखर रावण की कोई सीधी बातचीत नहीं हो रही है.
माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में आरएलडी को दी गई सीटों का ऐलान हो सकता है. अगर मुजफ्फरनगर पर समाजवादी पार्टी की चली तो उसकी एवज में आरएलडी को एक सीट और बढ़ाई जा सकती है. यह फार्मूला भी इस वक्त दोनों दलों के बीच चर्चा में है.

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