मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का जब भी जिक्र आता है तो जेहन में कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ की तस्वीर उभरने लगती है. वजह भी है. चाहे आपातकाल के बाद वाला चुनाव हो, चाहे राम मंदिर आंदोलन की लहर रही हो या 2014, 2019 में मोदी के नाम की लहर रही हो यहां की जनता टस से मस नहीं हुई. इस सीट पर कांग्रेस कितनी मजबूत है इसको ऐसे समझिए कि 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर कमल खिलाने में कामयाब रही लेकिन छिंदवाड़ा की सीट को कांग्रेस से नहीं छिन पाई. खुद कमलनाथ यहां से 9 बार सांसद चुने गए. उनकी पत्नी अलका नाथ 1 बार (1996) और 1 बार उनका बेटा नकुल नाथ (2019) यहां से चुनाव जीत चुके हैं.
2024 चुनाव के लिए किसको मिला टिकट
2019 में करीब 38 हजार वोटों से चुनाव जीतने वाले कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ पर एक बार फिर से कांग्रेस ने भरोसा जताया है. वहीं भाजपा ने विवेक बंटी साहू को टिकट दिया है. ये वही विवेक हैं जिन्होंने साल 2018 और साल 2023 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ को कड़ी टक्कर दी थी. हालांकि दोनों बार कमलनाथ जीत गए थे लेकिन वोटों का फासला बेहद कम था. 2018 के चुनाव में कमलनाथ ने 25 हजार और 2023 के चुनाव में 34 हजार वोटों से ही सफलता पाई थी. विवेक साहू पार्टी के जिला अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
73 सालों में सिर्फ एक बार ही खिला कमल
1980 से लगातार जीतते आ रहे कमलनाथ 1996 के चुनाव से पहले हवाला केस में घिर गए थे. तब उन्होंने इस सीट से अपनी पत्नी अलका नाथ को मैदान में उतारा. जनता ने अलका को खुलकर वोट किया और परिणाम ये रहा कि वे जीत गईं. बाद में कमलनाथ आरोपमुक्त हुए तो उनकी पत्नी ने सांसदी से इस्तीफा दे दिया. फलस्वरूप 1997 में उपचुनाव हुआ. एक तरफ कमलनाथ थे दूसरी तरफ बीजेपी ने इस सुंदरलाल पटवा को मैदान में उतारा था. भाजपा ने इस चुनाव को मौके के रूप में लिया और जनता के बीच यह मैसेज देने में कामयाब रही कि इस सीट को कमल नाथ बपौती समझते हैं. छिंदवाड़ा की जनता को ये बात समझ आ गई और कमलनाथ को गद्दी से उतार दिया. 1952 से लेकर 2019 तक हुए चुनाव में सिर्फ यही एक मौका था जहां बीजेपी इस सीट जीतने में कामयाब रही.
सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा
छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सातों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का ही कब्जा है. और ये सीटें हैं पांढुर्ना, अमरवाड़ा, जुन्नारदेव, सौंसर, चौरई,परासिया और छिंदवाड़ा. इनमें से तीन सीटें ST के लिए आरक्षित हैं. 21 लाख आबादी वाले इस लोकसभा सीट पर 92 फीसदी हिंदू और सिर्फ 4 फीसदी ही मुस्लिम है. इस सीट पर कुल 15 लाख 12 हजार 369 मतदाता हैं. जिनमें 7 लाख 71 हजार 601 पुरुष और 7 लाख 40 हजार 740 महिला मतदाता हैं.
2014 और 2019 का जनादेश
2014 और 2019 दोनों लोकसभा चुनाव में देश ने मोदी लहर को देखा. लेकिन दोनों ही चुनाव में इस सीट पर मोदी मैजिक नहीं चला. 2014 के चुनाव में कमलनाथ और 2019 के चुनाव में उनके बेटे नकुलनाथ ने जीत दर्ज की. 19 के चुनाव में तो नकुलनाथ प्रदेश से इकलौते कांग्रेस सांसद हैं. यानी 29 में से 28 सीटों पर बीजेपी ने ही कब्जा जमाया था.
जातीय समीकरण
2011 की जनगणना के अनुसार इस सीट पर लगभग 11.1 फीसदी अनुसूचित जाति, 36.2 फीसदी अनुसूचित जनजाति, 4.7 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं. ग्रामीण 75.3 फीसदी और 24.7 फीसदी शहरी मतदाता हैं. हालांकि पिछले सारे चुनावों के परिणाम पर नजर डालें तो जाति कोई भी हो चुनाव का रिजल्ट कांग्रेस के ही पक्ष में रहा है. ऐसे में इस बार का चुनाव दिलचस्प है कि क्या कांग्रेस के इस अभेद किले को भाजपा भेद पाएगी या फिर से मैदान कांग्रेस ही मार जाएगी.
सीट का इतिहास, कब किसने मारी बाजी (1952-2019)
साल | जीतने वाले प्रत्याशी | पार्टी |
1952 | रायचंदभाई शाह | कांग्रेस |
1957 | भिकुलाल | कांग्रेस |
1962 | भिकुलाल | कांग्रेस |
1967 | गार्गी शंकर मिश्रा | कांग्रेस |
1971 | गार्गी शंकर मिश्रा | कांग्रेस |
1977 | गार्गी शंकर मिश्रा | कांग्रेस |
1980 | कमलनाथ | कांग्रेस |
1984 | कमलनाथ | कांग्रेस |
1989 | कमलनाथ | कांग्रेस |
1991 | कमलनाथ | कांग्रेस |
1996 | अलका नाथ | कांग्रेस |
1997 | सुंदरलाल पटवा | बीजेपी |
1998 | कमलनाथ | कांग्रेस |
1999 | कमलनाथ | कांग्रेस |
2004 | कमलनाथ | कांग्रेस |
2009 | कमलनाथ | कांग्रेस |
2014 2019 |
कमलनाथ नकुलनाथ |
कांग्रेस कांग्रेस |