scorecardresearch

Loksabha Election 2024: 9, 17, 36 वोट... अब तक के 17 आम चुनाव में सबसे कम वोट से जीतने वाले उम्मीदवारों के बारे में जानिए

Loksabha Election 2024: 19 अप्रैल से लोकतंत्र के महापर्व की शुरुआत हो रही है. ऐसे में हम आपको अब तक के 17 आम चुनाव में सबसे कम वोट से जीतने वाले उम्मीदवारों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.

Lok Sabha Election 2024 (Photo-PTI) Lok Sabha Election 2024 (Photo-PTI)

देशभर में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में जुटी हुई है. उम्मीदवार चुनावी सभा के जरिए जनता तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं और वोट देने की अपील कर रहे हैं. और जनता तमाम पार्टियों के उम्मीदवारों को सुनकर समझ कर पहले चरण का वोटिंग के लिए मन बना चुकी है. अगर हम अब तक हुए  17 आम चुनाव के डेटा पर नजर डालें तो कई सीटों पर मुकाबला एकतरफा देखा गया तो कुछ सीटें ऐसी भी रही जहां जीत का मार्जिन बेहद कम रहा. कुछ तो इतने करीबी मुकाबले रहे कि जीत का अंतर सिर्फ 9 वोट ही रहा. आमसभा चुनाव के इतिहास को टटोलते हुए आज हम बात करेंगे उन सांसदों की जो सबसे कम वोट से जीतकर लोकसभा पहुंचे.

दो उम्मीदवारों का 9 वोटों से मिली थी जीत

1989 और 1998 के लोकसभा चुनाव में दो ऐसे उम्मीदवार थे जिन्होंने केवल 9 वोटों से ही जीत दर्ज की. कौन थे वे उम्मीदवार आइए जानते हैं. 

सम्बंधित ख़बरें

1989 के लोकसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश के अनकापल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे के रामा कृष्णा को 9 वोटों से जीत मिली थी. रामा कृष्णा को 299,109 वोट तो वहीं दूसरे नंबर पर रहे तेलगु देशम पार्टी के अप्पालानरसिम्हम को 299,100 वोट मिले थे.

1998  के लोकसभा चुनाव में सोम मरांडी को भी 9 वोटों से जीत मिली थी. बिहार (अब झारखंड) के राजमहल सीट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार रहे सोम मरांडी के सामने थे कांग्रेस के थॉमस हांसदा. सोम मरांडी को 198,889 वोट तो थॉमस को 198,880 वोट मिले थे. इस तरह जीत का अंतर सिर्फ 9 वोट ही रहा.     

सबसे कम वोट से जीतने वाले उम्मीदवार (1952-2019)

1952- कांग्रेस के बसंत कुमार दास को 1952 के लोकसभा चुनाव में 127 वोटों से जीत मिली थी. बसंत कुमार पश्चिम बंगाल के कांथी लोकसभा सीट से उम्मीदवार थे. उन्होंने प्रमथनाथ बंद्योपाध्याय को हराया था. बसंत कुमार को 79,809 तो वहीं प्रमथनाथ को 79,682     वोट मिले थे.

1957- निर्दलीय उम्मीदवार टीडीएम नायडू को 59 वोटों से जीत मिली थी. नायडू को 98,605 तो वहीं दूसरे नंबर पर रहे एस राधाकृष्णन को 98,546    वोट मिले थे. 

1962- सोशलिस्ट पार्टी के रिशांग कीशिंग को 42 वोटों से जीत मिली थी. आउटर मणिपुर सीट से चुनाव लड़ रहे रिशांग ने सिबो लोरहो को हराया था. रिशांग को 35,621 वोट तो सिबो को 35,579 वोट मिले थे. 

1967- तुमकुर लोकसभा सीट से के लकप्पा प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. उन्होंने सीआर बसप्पा को 261 वोटों से हराया था. लकप्पा को 115,312 वोट तो बसप्पा को 115,051    वोट मिले थे. 

1971-  एमएस सिवासामी को महज 26 वोटों से जीत मिली थी. 

1977- दजीबा बलवंतराय को कोल्हापुर सीट से 165 वोटों के अंतर से जीत मिली थी.

1980- देवरिया सीट से कांग्रेस के रामायण राय 77 वोटों से जीत मिली थी.

1984- शिरोमणि अकाली दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहे मेवा सिंह 140 वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे. 

1989- के रामा कृष्णा को 9 वोटों से जीत मिली थी. जिसका जिक्र हम ऊपर कर चुके हैं. 

1991- अकबरपुर सीट से राम अवध को 156 वोटों से जीत मिली थी. राम अवध जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर संसद पहुंचे थे.

1996- सत्यजीत सिंह दिलिप सिंह गायकवाड़ गुजरात के वड़ोदरा सीट से 17 मतों से जीते थे. 

1998- सोम मरांडी को 9 वोटों से जीत मिली थी. सोम मरांडी के बारे में हम ऊपर जिक्र कर चुके हैं.

1999- प्यारेलाल ने बसपा के टिकट से चुनाव लड़ा था और उन्हें 105 वोटों से जीत मिली थी.

2004- पी पुकुनहीकोया लक्षद्वीप से 71 वोटों से जीतकर संसद पहुंचे थे.

2009- कांग्रेस के नमो नारायण को 317 वोटों से जीत मिली थी.

2014- लद्दाख सीट से संसद पहुंचने वाले थुपस्तान छेवांग को केवल 36 वोटों से जीत मिली थी.

2019- बीजेपी के भोलानाथ को मछली शहर से 181 वोटों से जीत मिली थी.

7 चरणों में डाले जाएंगे वोट

18वीं लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है. पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को होना है. इस बार कुल 7 चरणों में मतदान होना है. जिसकी शुरुआत 19 अप्रैल से हो रही है. बता दें कि पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है तो वहीं दूसरे की 26 अप्रैल, तीसरे की 7 मई, चौथे की 13 मई, पांचवे की 20 मई, छठे की 25 मई और 1 जून को सातवें चरण के लिए वोट डाले जाएंगे.