scorecardresearch

Lok Sabha Election से पहले Karpoori Thakur को भारत रत्न दे PM Modi ने Nitish-Lalu के वोट बैंक पर की सर्जिकल स्ट्राइक, जानें कैसे बिहार में EBC-OBC वोटर्स पर साधा निशाना 

BJP Mission 2024: लोकसभा चुनाव से पहले जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है. बिहार की राजनीति में अति पिछड़ा समाज खास महत्व रखता है. इस वर्ग को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का कोर वोटर माना जाता है. अब बीजेपी ने उसी में सेंध लगा दी है.

PM Modi PM Modi
हाइलाइट्स
  • बिहार में 27 प्रतिशत पिछड़ा और 36 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग की है हिस्सेदारी 

  • नीतीश कुमार ईबीसी वोट बैंक को टार्गेट करके ही चमका रहे हैं अपनी राजनीति 

लोकसभा चुनाव कुछ ही महीनों में होने वाला है. उससे पहले ही जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान करके मोदी सरकार ने नीतीश कुमार और लालू यादव के वोट बैंक पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी है. ऐसे में 2024 की जंग से पहले ओबीसी वर्ग के 'हमदर्द' को लेकर बहस छिड़ गई है. सभी पार्टियां उन्हें अपना बताने की कोशिश में जुट गई हैं. आइए जानते हैं कैसे पीएम मोदी ने कर्पूरी कार्ड से नीतीश-लालू का 'गेम' कर दिया है और कैसे ईबीसी-ओबीसी वोट बैंक में बीजेपी ने सेंध लगा दी है?

कर्पूरी ठाकुर गरीबों और पिछड़ों के मसीहा 
कर्पूरी ठाकुर की गिनती देश के ईमानदार नेताओं में होती है. उन्हें गरीबों और पिछड़ों का मसीहा कहा जाता है. सबसे पहले पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने की पहल उन्होंने ही की थी. वे दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे. वे जेपी और लोहिया को अपना गुरु मानते थे. उनकी गिनती बड़े समाजवादी नेताओं में होती थी.

लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर की ही पाठशाला के छात्र रहे हैं. दोनों ने कर्पूरी ठाकुर से ही राजनीति के गुर सीखे थे. जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल उनपर अपना एकाधिकार मानती आई है. ऐसे में कर्पूरी ठाकुर के लिए देश के सबसे बड़े सम्मान का ऐलान करके बीजेपी ने चुनाव से पहले ओबीसी वर्ग को टारगेट किया है. 

भारत रत्न देने के ऐलान का विरोध कोई दल नहीं कर सकेंगे
मरणोपरांत कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान करके मोदी सरकार ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार के ईबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) कार्ड पर भी बड़ा दांव खेला है. अब बीजेपी को घेरने के लिए INDIA अलायंस का कोई भी दल भारत रत्न के ऐलान का विरोध नहीं कर सकेगा. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव तो ऐसा कतई नहीं करेंगे. यदि उन्होंने मोदी सरकार के इस कदम का विरोध किया, तो चुनाव से पहले ओबीसी वोटर्स की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. 

बीजेपी ने ले लिया है सारा क्रेडिट
हालांकि नीतीश कुमार कई मौकों पर कर्पूरी ठाकुर के लिए भारत रत्न की मांग कर चुके हैं. बेशक नीतीश ने ईबीसी और ओबोसी वोटर्स को साधने के लिए ये मांग की हो, लेकिन पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने उनकी इस मांग को मानकर सारा क्रेडिट ले लिया है. 

बिहार के वोट बैंक को किया टारगेट
बिहार में 27 प्रतिशत पिछड़ा और 36 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी है. कुल मिलाकर 63% की भागीदारी वाले समाज पर कर्पूरी ठाकुर का बहुत बड़ा प्रभाव है. यह वर्ग उन्हें अपने नायक के तौर पर देखता है. इनके बल पर ही लालू प्रसाद 15 साल शासन में रहे. इसी आबादी के दम पर नीतीश कुमार अपनी राजनीति चमका रहे हैं. 2005 में नीतीश कुमार को पहली बार सीएम बनाने में अति पिछड़ी आबादी का विशेष योगदान रहा.

नीतीश कुमार ने यादव की आबादी के मुकाबले ईबीसी की छोटी-छोटी जातियों को जोड़ा और एक बड़ा वोट बैंक बनाने में कामयाब रहे. इन्हीं के बदौलत वे फिर बिहार के सीएम बने हैं. अति पिछड़ी आबादी को नीतीश कुमार की सबसे बड़ी राजनीतिक पूंजी मानी जाती है. नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ग को साधने के लिए कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की है.

नीतीश ने ईबीसी आरक्षण को 18 से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया था
नीतीश कुमार ने सरकार में आने के बाद पंचायत स्तर से लेकर राज्य सरकार तक ईबीसी की हिस्सेदारी बढ़ाई. नीतीश सरकार ने पिछले साल जातिगत गणना रिपोर्ट जारी होने के बाद राज्य में ईबीसी आरक्षण को 18 से बढ़ाकर 25 फीसदी कर दिया था. अब बीजेपी ने इससे एक कदम आगे निकलकर कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दे दिया है.

इसका फायदा बीजेपी को इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही 2025 के बिहार विधानसभा इलेक्शन में भी मिल सकता है. जब से नीतीश एनडीए से अलग होकर आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में गए हैं, बीजेपी की नजर उनके ईबीसी वोट बैंक पर रही है.

ईबीसी वर्ग को नजरअंदाज करके नहीं हासिल की जा सकती है सत्ता 
पिछले साल नीतीश सरकार की ओर से कराई गई जाति गणना के आंकड़ों पर नजर डालें, तो बिहार में अति पिछड़ों की संख्या सबसे ज्यादा है. इनकी आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है, लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, यह वर्ग किसी भी पार्टी की जीत या हार में अहम भूमिका निभाता है. इसलिए चुनाव से पहले सभी पार्टियां इस वोट बैंक को लुभाने में लग गई हैं.

नीतीश कुमार ईबीसी वोटबैंक को टार्गेट करके ही सत्ता में आए थे और बीते दो दशकों से अपनी राजनीति चमका रहे हैं. बीजेपी हो या आरजेडी या चाहे कांग्रेस, कोई भी ईबीसी वर्ग नजरअंदाज करके बिहार की सत्ता में शामिल नहीं हो पाया है.

जेडीयू के साथ आरजेडी और कांग्रेस की भी बढ़ीं मुश्किलें 
बिहार में आरजेडी जहां मुस्लिम और यादवों को केंद्र में रखकर राजनीति करती है. वहीं कांग्रेस और वामदलों का वोट बैंक बिखरा हुआ है. नीतीश ही अकेले ऐसे नेता हैं जिनकी पार्टी बिहार के एक तिहाई वोटरों को साधकर चलती है. अब बीजेपी ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर उनके वोट बैंक में सेंधमारी की पूरी तैयारी कर ली है, जिससे जेडीयू के साथ ही आरजेडी और कांग्रेस की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं. बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. 

मोदी सरकार ने बिहार की जनता को दिया यह संदेश
मोदी सरकार ने जननायक को भारत रत्न देना का ऐलान करके बिहार की जनता से एक तरह से सीधा संवाद किया है. मोदी सरकार ने एक बार फिर संदेश देने की कोशिश की है कि उसकी राजनीति हर वर्ग के लिए है. किसी भी नेक शख्स का काम भुलाया नहीं जाएगा. समय आने पर सबको एक समान मौका मिलेगा और सम्मान भी.

बिहार भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर को सम्मान देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और महादलितों को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता पर मुहर लगाई है. उन्होंने कहा कि इससे समाज के निचले तबकों को आगे लाने में जननायक द्वारा की गई भागीदारी को सम्मान मिलेगा.