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Loksabha Elections 2024: चुनाव आयोग का अनूठा किस्सा, एक वोटर के लिए टीम ने किया 300 किलोमीटर का सफर, पढ़िए Sokela Tayang की पूरी कहानी

भारत में 96 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं और केंद्रीय चुनाव आयोग ने समय-समय पर यह साबित किया है कि हरेक वोट कीमती है. गैमर बाम और उनकी टीम की कहानी इस बात की एक अनूठी मिसाल है.

Malogam's only voter, Sokela Tayang (Photo/Getty Images) Malogam's only voter, Sokela Tayang (Photo/Getty Images)
हाइलाइट्स
  • मालोगम की एकमात्र वोटर हैं सोकेला तयांग

  • चार दिन के सफर से सफल हुई थी चुनावी प्रक्रिया

लोकतंत्र का महापर्व, आम चुनाव. भारत में इस बार के आम चुनाव 19 अप्रैल को शुरू होंगे. एक गणराज्य में लोकतंत्र को प्रासंगिक बनाने में सबसे बड़ी भूमिका चुनावों की ही होती है. एक आम नागरिक अपने वोट के जरिए लोकतंत्र में भागीदार बन पाता है. भारत में 96 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं और केंद्रीय चुनाव आयोग ने समय-समय पर यह साबित किया है कि हरेक वोट कीमती है. गैमर बाम और उनकी टीम की कहानी इस बात की एक अनूठी मिसाल है.

बाम का सफर दूर गाम
बात अप्रैल 2019 की है. चुनाव आयोग आम चुनावों में कई सरकारी कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों को चुनाव अधिकारी बनाता है. इसी तरह अरुणाचल प्रदेश के इंजीनियर गैमर बाम को प्रदेश के सुदूर गांव मालोगम में पोलिंग बूथ लगाने की जिम्मेदारी दी गई. इस जिम्मेदारी की खास बात यह थी कि उन्हें सिर्फ सोकेला तयांग नामक एकमात्र वोटर के लिए 300 किलोमीटर का सफर तय करना था. 

वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि बाम और उनकी टीम का चार दिन का यह सफर अनजॉल जिले के हवाई शहर से हुआ, जहां चुनाव आयोग का मुख्यालय मौजूद है. बाम और उनकी टीम दो वोटिंग मशीन, जरूरी कागजात और बाल्टी एवं लैम्प जैसी जरूरी चीजें लेकर अपने सफर पर निकले. अगले दिन आठ घंटे तक संकरी सड़कों और जर्जर पुलों पर सफर करने के बाद चुनावी टीम मालोगम के करीब आ गई, लेकिन यहां से आगे वे गाड़ी पर नहीं जा सकते थे. यहां से उन्होंने एक संकरी पगडंडी पर पैदलयात्रा शुरू की. 

मंजिल पर पहुंचते ही मिली नई चुनौती
जंगली झाड़ियों और सांपों से बचते हुए, एक हाथ में वोटिंग मशीन लिए बाम मालोगम पहुंच तो गए लेकिन वहां पहुंचकर उन्हें पता चला कि जिस वोटर के लिए उन्होंने यह सफर किया वह गांव छोड़ चुकी थीं. सोकेला तयांग अब अपनी मां के साथ उस गांव से 125 किलोमीटर दूर रहती थीं.

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बाम ने फिर भी हार नहीं मानी. उन्होंने गांव के बाहर वाली सड़क पर ही पोलिंग बूथ लगाने का फैसला किया. गांव वालों की मदद से तयांग तक बात पहुंचाई गई कि मालोगम में चुनावी प्रक्रिया के लिए पोलिंग बूथ लग रहा है. इस उम्मीद के साथ कि संदेश मिलने पर तयांग वोट देने जरूर आएंगी, बाम और उनकी टीम उस रात अपना काम पूरा कर सो गए. 

अगली सुबह उठकर बाम और उनकी टीम ने चुनावी औपचारिकताएं पूरी कीं और सात बजे पोलिंग बूथ खुल गया. चुनावी टीम की यात्रा तब सफल हुई जब 42 वर्षीय किसान तयांग सुबह 8:30 बजे वोट देने आ पहुंचीं. लंबा सफर करके वोट देने पहुंचीं तयांग को पहले गर्मी से राहत पहुंचाने के लिए लस्सी पिलाई गई. इसके बाद उन्होंने वोट डाला. उनकी उंगली को स्याही से रंगा गया और मालोगम के चुनाव 100 प्रतिशत वोटिंग के साथ समाप्त हुए.

इस साल भी होगी तयांग के लिए वोटिंग की तैयारी
मालोगम में कुल पांच लोग रहते हैं. लेकिन तमांग उस गांव की एकमात्र वोटर हैं. चुनाव आयोग इस साल भी उनके लिए पोलिंग बूथ लगाएगा. इस बार चुनाव अधिकारी 40 किलोमीटर का सफर कर उन तक पहुंचेंगे.

मुख्य चुनाव अधिकारी पवन कुमार सैन कहते हैं, "बात हमेशा आंकड़ों की नहीं होती. हमारे लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हर नागरिक की आवाज सुनी जाए. सोकेला तयांग का वोट इस बात का सबूत है कि हम "समावेशिता और बराबरी के लिए प्रतिबद्ध हैं."

यह गांव हयुलियांग विधानसभा सीट और अरुणाचल पूर्व लोकसभा क्षेत्र में है जहां मुकाबला कांग्रेस पार्टी के बोसीराम सिरम और भाजपा के तापिर गाओ के बीच होगा.
2019 के पिछले चुनावों में, गाओ ने 1.5 लाख से अधिक वोट प्राप्त करके सीट जीती थी. उन्होंने कांग्रेस पार्टी के लोवांगचा वांगलाट को हराया, जिन्हें 83,935 वोट मिले थे.